लाइफस्टाइल: शरीर का संतुलन बनाने में मदद करता है नाद योग
ध्रुपद गायक वसीफुद्दीन डागर ने स्पिक मैके के ऑनलाइन नाद योग सत्र में इस योग की विभिन्न क्रियाओं और शरीर पर उसके प्रभावों के बारे में बताया।
गुरुग्राम [प्रियंका दुबे मेहता]। जितना नीर पृथ्वी पर, उतना ही शरीर में, जितनी वायु पृथ्वी पर, उतनी ही शरीर में। और जितनी जरूरत इन तत्वों की धरा पर, उतनी ही हमारे शरीर में। तो बताइए हुआ न हमारा शरीर भी पृथ्वी स्वरूप। ऐसे में शरीर पर नियंत्रण पाकर हम एक प्रकार का संतुलन स्थापित कर पाने में सफल होंगे तो निश्चित रूप से दारूण महामारी जैसे कोरोना काल से जूझने को भी खुद को तैयार कर सकेंगे।
ये संवाद आज उस वक्त कानों में पड़ मन की तरंगों में उतर रहा था, जब भोर..अंगड़ाई लेते हुए पक्षियों के कलरव से जाग रही थी। सूर्ख आसमां एक नई सुबह की गवाही दे रहा था। और बादलों में सुबह की सैर पर निकले पक्षी सबा से संवाद कर रहे थे। मंगलवार की सुबह स्पिक मैके अनुभव उत्सव में नाद योग के साथ हुई। और इस संवाद के साथ श्रोताओं से रूबरू हो रहे थे ध्रुपद गायक वसीफुद्दीन डागर। स्पिक मैके के ऑनलाइन नाद योग सत्र में डागर ने इस योग की विभिन्न क्रियाओं और शरीर पर उसके प्रभावों के बारे में बताया। सुबह एक घंटे के इस आयोजन में बड़ी संख्या में लोगों ने ऑनलाइन हिस्सा लिया।
कोरोना संकट के इस दौर में कठिनाइयों से सामंजस्य बिठाने की आवश्यकता पर बल देते हुए डागर ने कहा कि पहले अपने शरीर में संतुलन स्थापित होगा तभी तो हम प्रकृति के साथ सामंजस्य बिठा पाएंगे। इस दौर के लिए कोई तैयार नहीं था लेकिन मनुष्य वो जिद्दी और धैर्यशील शरीर है जो हर बार हर हालात को मात दे उठ खड़ा होता है। नाद योग का अभ्यास इन तमात चुनौतियों को परास्त करने के लिए भीतर और बाहर दोनों से तैयार करता है। योग की इस क्रिया में वायु और ध्वनि के जरिए शरीर के तंत्र को मजबूत और सतर्क बना सकते हैं।
वसीफुद्दीन के मुताबिक इस महामारी ने नए आयाम दिए हैं। कोई अन्य जीव परास्थितियों के बदलाव को स्वीकार नहीं कर पाता और वह खत्म हो जाता है। इंसान में सामंजस्य बिठाने की अद्भुद क्षमता है, बस उसे पहचानने की जरूरत है। सूर्योदय से पहले ब्रह्म मुहूर्त में किया गया नाद योग शरीर को अग्नि, वायु और जल जैसे तत्वों के संचार को सुचारु बनाता है। नाद योग में ध्वनि पर आधारित है। इस क्रिया से व्यक्ति को धीर-धीरे इस बात का भान होने लगता है कि एक-एक शब्द कितना प्रभावशाली होता है।
नापतौल कर न बोला गया तो इसका हर्जाना चुकाना पड़ सकता है। नाद योग ध्वनि के कंपन और वायु के संचालन को प्रभावी बना शरीर को नई ऊर्जा देता है। यह क्रिया सिखाती है कि किस तरह से हमें अपनी ऊर्जा का उपयोग करना चाहिए। ऑनलाइन मंच पर इस तरह के अभ्यास के बारे में उन्होंने कहा कि इस दौर में यह मंच बहुत लाभदायक साबित हो रहा है।