Move to Jagran APP

लाइफस्टाइल: डिजिटल दायरों को लांघ प्रकृति की गोद में मिल सकते हैं सुकून के कुछ पल

आजकल की दिनचर्या में अकारण ही गुस्सा चिड़चिड़ापन तनाव और अवसाद हावी हो रहा है। काम करना मजबूरी है लेकिन उसके बाद जो गुस्सा अपने और अपनों पर आता है उसे रोकने के लिए दवाइयों से बेहतर है प्रकृति का सानिध्य और सामीप्य।

By Edited By: Published: Thu, 10 Jun 2021 04:39 PM (IST)Updated: Thu, 10 Jun 2021 06:21 PM (IST)
लाइफस्टाइल: डिजिटल दायरों को लांघ प्रकृति की गोद में मिल सकते हैं सुकून के कुछ पल
हरियाली में वह ताकत है जो कि गहरे से गहरे अवसाद को खत्म कर सकती है।

गुरुग्राम [प्रियंका दुबे मेहता]। आजकल की दिनचर्या में अकारण ही गुस्सा, चिड़चिड़ापन, तनाव और अवसाद हावी हो रहा है। काम करना मजबूरी है, लेकिन उसके बाद जो गुस्सा अपने और अपनों पर आता है, उसे रोकने के लिए दवाइयों से बेहतर है प्रकृति का सानिध्य और सामीप्य। मनोविज्ञानी बताते हैं कि इस तरह की स्थिति में लोगों में चिड़चिड़ापन आ रहा है, ऐसे में उन्हें सलाह दी जाती है कि वे कुछ अलग करें। उसमें एक यह भी कि वे अपना कुछ वक्त केवल पेड़-पौधों के पास बिताएं। सकारात्मकता देती है हरियाली: मनोविज्ञानी अनीता गोस्वामी का कहना है कि हरियाली अपने आप में सकारात्मक वाइब्स देती है। पेड़ पौधों को निहारने मात्र से एक अलग सी ऊर्जा मिलती है। ऐसे में अगर पौधों की देखभाल करें, अपने आसपास के बगीचे में टहलने का मौका मिले या फिर फूल-पत्तों से गुफ्तगू करने का मौका मिलेगा तो इसे छोड़ना नहीं चाहिए। हरियाली में वह ताकत है जो कि गहरे से गहरे अवसाद को खत्म कर सकती है।

loksabha election banner

नेचुरोपैथी चिकित्सक डा. सुचित्रा का कहना है कि प्रकृति का हरा रंग कई शेड लिए हुए होता है और मन की तरंगों को सकारात्मक ध्वनि देता है। ऐसे में बड़े से बड़े असाध्य रोग में भी प्रकृति के सामीप्य का गहरा प्रभाव पड़ता है। जरूरत जमीन से जुड़ने की: लाइफस्टाइल कोच रागिनी सरोहा का कहना है कि व्यस्त दिनचर्या में से कुछ वक्त प्रकृति के पास रहने के लिए जरूर निकालना चाहिए। केवल हरियाली ही नहीं, मिट्टी से खेल सकते हैं और उगते सूर्य की रोशनी में थोड़ा समय बिताना आध्यात्मिक और वैज्ञानिक रूप से भी लाभकारी होता है। कुदरत केवल हरियाली का ही पर्याय नहीं है, जीवन के सभी तत्व इसके विस्तार में समाहित हैं। ऐसे में मिट्टी के बर्तन बनाना, रंग करना, पेड़-पौधे लगाना, उन्हें सींचना, नंगे पैर जमीन पर चलना सब कुछ जड़ों से जुड़ने का ही हिस्सा है।

कुदरत की छांव के कुछ पल

मनोविज्ञानी रुपाली धर का कहना है कि इस समय आउटडोर जाने से परहेज करना है तो कैसे घर पर ही रहते हुए प्रकृति का सानिध्य पाएं, इस बारे में उन्होंने कुछ टिप्स दिए

  • अभी अगर पार्कों में नहीं जा सकते तो घर के आसपास ही नंगे पैर चलें
  • अपनी क्यारी में पौधों से बातें करें
  • उनके साथ संगीत सुनें, म्यूजिक थेरेपी इंसान ही नहीं पौधों के लिए भी बेहतरीन होती है
  • घर पर लगाए पौधों के बीच बैठकर प्राणायाम कर सकते हैं और कुछ नहीं तो चिड़ियों की चहचहाट ही सुनें
  • एसी का मोह छोड़ कर खिड़कियां खोलकर तो देखें, पेड़, पक्षी, नीला आकाश सब शीतलता देते नजर आएंगे
  • अपने शौक को घास पर बैठकर जिएं, पेंट करें, पढ़ें, दिन भर के लिए ऊर्जा मिलेगी।

Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.