3 कांवड़ियों की मौत के बाद सोहना ढाणी में पसरा मातम, परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल Gurugram news
डाक कांवड़ लाने जा रहे तीन कांवड़ियों की मौत की खबर मिलते ही सोहना ढाणी में कोहराम मच गया। 11 अन्य कांवड़ियों के गंभीर रूप से घायल होने से परिजनों में चिंता बनी हुई है।
गुरुग्राम [सतीश राघव]। डाक कांवड़ लाने जा रहे तीन कांवड़ियों की मौत की खबर मिलते ही शनिवार सुबह सोहना ढाणी में कोहराम मच गया। 11 अन्य कांवड़ियों के गंभीर रूप से घायल होने से परिजनों में चिंता बनी हुई है। इस हादसे की सूचना के बाद शनिवार को गांव में किसी के घर चूल्हा तक नहीं जला। शुक्रवार शाम सभी कांवड़िया मंदिर में पूजा-अर्चना कर अपनी बहन व पत्नी से माथे पर तिलक लगवाकर डाक कांवड़ लाने हरिद्वार के लिए निकले थे।
सोहना ढाणी के बिक्रम (26), राहुल (20) व नीरज (19) के शवों को देख परिजनों के साथ ही पूरा गांव बिलख पड़ा। तीनों के शवों का गांव के श्मशान में एक साथ दाह संस्कार किया गया। ये तीनों अपने गांव के 19 युवकों के साथ शुक्रवार की शाम सात बजे हरिद्वार के लिए टाटा 407 में सवार होकर निकले थे। पलवल के समीप केएमपी एक्सप्रेस-वे पर कांवड़ियों का टाटा 407 कैंटर सड़क पर पलट जाने से तीन कांवड़ियों की मौत हो गई जबकि कैंटर में सवार 11 अन्य कांवड़िये गंभीर रूप से घायल हो गए।
कहां गया मेरा लाडला बिक्कू
शुक्रवार की रात नौ बजे पलवल के समीप एक्सप्रेस-वे पर हादसे में हुई बिक्रम की मौत के बाद उनकी मां मिसरी देवी का रो-रोकर बुरा हाल है। रोते हुए बस यही कह रही हैं कि मेरा बिक्कू कब आएगा गंगा जल लेकर। मेरे लाडले ने तो अभी पुत्र का सुख भी नहीं देखा था। वहीं, पिता किशन की भी हालत खराब थी। वे रो-रोकर कह रहे थे कि मेरे बुढ़ापे का सहारा था बिक्कू। किसी काम में आलस नहीं करता था। उसके सहारे से ही घर चल रहा था। अब मेरे बुढ़ापे का क्या होगा।
मेरी तो दुनिया ही उजड़ गई
बिक्रम की पत्नी रेखा का रो-रोकर बुरा हाल था। वह बार-बार यही कह रही थी कि अब मैं किसके सहारे जीऊंगी। कहकर गए थे कि कांवड़ लाने के बाद हमारे घर में बच्चे की किलकारी गूंजेगी। शिव बाबा घर में खुशी लाएंगे। शादी के तीन साल बाद भी उनकी कोई औलाद नहीं थी। जवान बेटे को कंधा देना छाती पर रखने के समान राहुल के पिता हरपाल रो-रोकर यही कह रहे थे कि अपने जवान बेटे के गम को भूल पाना नामुमकिन है।
बेटे के जाने से दुनिया ही उजड़ गई
नीरज के पिता मोहन बदहवास हालत में यही कह रहे थे कि सबसे बड़े बेटे के इस तरह चले जाने से मेरी दुनिया ही उजड़ गई। घर में कमाने वाला एक वही अकेला बेटा था। इस गम को वे जीवन भर नहीं भुला सकते। नहीं भूल पा रहे हादसे का मंजर घायल अमरजीत का कहना है कि कांवड़ लेने जाने वाले सभी कांवड़िया अपने मन में कुछ न कुछ अरदास लेकर निकले थे कि उनकी मन्नतें पूरी होंगी तो वे दोबारा कावड़ लाकर शिव बाबा के चरणों में गंगा जल चढ़ाएंगे। लेकिन यह हादसा हो गया। रात को जिस समय कैंटर पलटा, सभी की चीख पुकार मच गई थी। कैंटर में रखे डीजे के नीचे कोई दब गया तो कोई पलटी कैंटर के नीचे दब गया। सबकुछ चंद मिनटों में ही घट गया। होश आया तो अस्पताल में था।
दिल्ली-NCR की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां पर करें क्लिक
अब खबरों के साथ पायें जॉब अलर्ट, जोक्स, शायरी, रेडियो और अन्य सर्विस, डाउनलोड करें जागरण एप