Gurugram News: अधिकारियों को बचाने के फेर में नहीं खुल रही रजिस्ट्री घोटाले की फाइल
Gurugram News नगर निगम में भ्रष्टाचार के मामलों को दबाया जा रहा है। जांच के नाम पर खानापूर्ति की जा रही है। दुकानों की रजिस्ट्री घोटाले की फाइल भी पिछले पांच महीने से लटकाया जा रहा है। हालांकि अब निगम की विजिलेंस विंग ने जांच रिपोर्ट तैयार कर ली है।
गुरुग्राम, संदीप रतन: नगर निगम गुरुग्राम में भ्रष्टाचार के मामलों को दबाया जा रहा है। जांच के नाम पर खानापूर्ति की जा रही है और कई पुरानी जांचों को लीपापोती कर निपटा दिया गया है। मुख्यमंत्री शहरी निकाय स्वामित्व योजना के तहत निगम की टैक्स विंग के दुकानों की रजिस्ट्री घोटाले की फाइल को भी पिछले पांच महीने से लटकाया जा रहा है। हालांकि अब निगम की विजिलेंस विंग ने जांच रिपोर्ट तैयार कर ली है और कानूनी सलाह के लिए फाइल निगम की डीए ब्रांच (जिला न्यायवादी शाखा) को भेजी गई है।
विजिलेंस विंग ने रजिस्ट्रियों में अनियमितताओं की पुष्टि की है। खास बात ये है कि ट्रंक मार्केट के नजदीक घमंडन सराय की चार दुकानें ऐसी हैं, जिन पर जिला परिषद का मालिकाना हक था, लेकिन गलत तरीके से इनकी रजिस्ट्री निगम अधिकारियों द्वारा कर दी गई। सूत्रों के मुताबिक कई निगम अधिकारी और स्थानीय नेता रजिस्ट्री घोटाले को दबाने तथा जांच रिपोर्ट को घुमाने का प्रयास कर रहे हैं।
निगम विजिलेंस के बजाय अगर स्टेट विजिलेंस ब्यूरो तह तक इस मामले की जांच करे तो कई उच्चाधिकारियों की भी संलिप्तता उजागर हो सकती है। बता दें कि एक जून 2021 की मुख्यमंत्री शहरी निकाय स्वामित्व योजना के तहत 20 साल यानी 31 दिसंबर 2020 तक निगम की दुकानों पर काबिज किरायेदारों को दुकानों का मालिकाना हक दिया जाना था। इसके लिए गुरुग्राम निगम ने किरायेदारों से आवेदन मांगे थे। पांच से सात लाख रुपये लेकर रजिस्ट्री कराने और घोटाला करने से संबंधित एक शिकायत शहरी स्थानीय निकाय विभाग को भेजी गई थी।
बंदरबांट
- रजिस्ट्री घोटाले की शिकायत विभाग को 10 मई 2022 को की गई थी।
- नगर निगम गुरुग्राम की शहर में हजार से ज्यादा दुकानें हैं, 372 आवेदन मिले
- जेडटीओ (जोनल टैक्सेशन आफिसर) की रिपोर्ट के मुताबिक शिकायत के समय तक 182 दुकानों की रजिस्ट्री हो चुकी थी विजिलेंस ने इन बिंदुओं की जांच की
- शिकायत में आरोप लगाया गया था कि कई रजिस्ट्री 31 दिसंबर 2020 (कट आफ डेट) के बाद के मालिकों के नाम भी कर दी गई।
- तत्कालीन जेडटीओ (जोनल टैक्सेशन आफिसर) दिनेश कुमार ने पद का दुरुपयोग करते हुए अपने बेटे रोहित कुमार के नाम निगम की भीमनगर की 42 नंबर दुकान (पहलवान ढाबा) की रजिस्ट्री करवा दी, जबकि नगर निगम के रिकार्ड के मुताबिक 31 दिसंबर 2020 (कट आफ डेट) तक चिराग सेतिया के पास दुकान का पजेशन था।
- जिला परिषद की दुकानों की भी करा दी रजिस्ट्री ट्रंक मार्केट के नजदीक घमंडन सराय में जिला परिषद की कई दुकानें हैं। नगर निगम की मिल्कियत नहीं होने के बावजूद जिला परिषद की चार दुकानों की भी रजिस्ट्री गलत तरीके से करवा दी गई।
- घोटाले में तत्कालीन क्लर्क नितीन, जेडटीओ दिनेश कुमार और तत्कालीन संयुक्त आयुक्त की भूमिका संदिग्ध है। इन सबके माध्यम से फाइल पास होने के बाद रजिस्ट्री की स्वीकृति निगमायुक्त द्वारा दी गई।
12 रजिस्ट्रियां रोक दी गईं
गड़बड़झाला उजागर होने के बाद दुकानों की रजिस्ट्री रोक दी गई और जांच के दौरान 12 केस और भी ऐसे पाए गए जिनमें कटआफ डेट के बाद के भी आवेदन लेकर रजिस्ट्री करवाने की तैयारी थी। इनकी रजिस्ट्री फिलहाल नहीं हुई है।
इनका कहना है
रजिस्ट्री मामले की जांच में अनियमितताएं पाई गई हैं। कानूनी सलाह के लिए फाइल डीए ब्रांच में भेजी गई है। आरके कंसल, कंसल्टेंट विजिलेंस विंग नगर निगम गुरुग्राम। - लगाए गए आरोप निराधार हैं। कोई भी रजिस्ट्री गलत नहीं की गई थी। -दिनेश कुमार, तत्कालीन जेडटीओ