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अरावली की गोद में बसे गांवों के 1000 एकड़ जमीन में विकसित किया जाएगा सिटी फारेस्ट Gurugram News

अरावली की गोद में बसे गांव सकतपुर गैरतपुर बास और शिकोहपुर की लगभग एक हजार एकड़ भूमि पर सिटी फारेस्ट विकसित किया जाएगा।

By Edited By: Published: Wed, 07 Aug 2019 07:52 PM (IST)Updated: Wed, 07 Aug 2019 09:05 PM (IST)
अरावली की गोद में बसे गांवों के 1000 एकड़ जमीन में विकसित किया जाएगा सिटी फारेस्ट  Gurugram News
अरावली की गोद में बसे गांवों के 1000 एकड़ जमीन में विकसित किया जाएगा सिटी फारेस्ट Gurugram News

गुरुग्राम[आदित्य राज]। अरावली की गोद में बसे गांव सकतपुर, गैरतपुर बास और शिकोहपुर की लगभग एक हजार एकड़ भूमि पर सिटी फारेस्ट विकसित किया जाएगा। इसके लिए पौधारोपण अभियान 9 अगस्त से शुरू किया जाएगा। पहले दिन पांच हजार से अधिक स्थानीय पौधे लगाने की योजना है। इसमें जिला प्रशासन, वन विभाग की भूमिका होगी। साथ ही निजी कंपनियों की भी भागीदारी कुछ शर्तों के साथ सुनिश्चित की जाएगी। पौधे लगाने के बाद कम से कम चार साल तक देखभाल करनी होगी।

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पिछले महीने प्रदेश के वन मंत्री राव नरबीर सिंह ने मुख्यमंत्री मनोहरलाल की इच्छानुसार जिले में सिटी फारेस्ट विकसित करने की घोषणा की थी। इलाके के चयन की जिम्मेदारी वन विभाग को सौंपी गई थी। अपनी जिम्मेदारी को पूरी करते हुए विभाग ने गांव सकतपुर, गैरतपुर बास एवं शिकोहपुर की लगभग एक हजार एकड़ जमीन का चयन किया है। तीनों गांव की पहाड़ी मिली हुई है।

विभाग का विचार है कि एक हजार एकड़ को विभिन्न कंपनियों में बांटा जाए ताकि पौधों के ऊपर बेहतर तरीके से ध्यान दिया जा सके। इस दिशा में कई निजी कंपनियां सामने आ चुकी हैं। उनसे बातचीत भी फाइनल हो गई है। वे 9 अगस्त को पौधारोपण अभियान में बढ़-चढ़कर भाग भी लेंगी। वन मंडल अधिकारी सुभाष यादव इस विषय पर विशेष रूप से काम कर रहे हैं। देश व दुनिया के लोग देखने के लिए पहुंचेंगे सिटी फारेस्ट को इस तरह विकसित किया जाएगा कि हरियाली देखने के लिए देश ही नहीं बल्कि दुनिया के लोग भी पहुंचेंगे। इस बारे में योजना लगभग तैयार कर ली गई है। जल्द ही इसे अंतिम रूप देकर सार्वजनिक किया जाएगा।

पौधारोपण अभियान शुरू करने के साथ ही अन्य योजनाओं के ऊपर तेजी से काम किया जाएगा ताकि जल्द से जल्द सिटी फारेस्ट विकसित हो सके। यही नहीं तीनों गांवों के अरावली क्षेत्र में जितने भी तालाब हैं, सभी को बेहतर किया जाएगा। एक झील का भी निर्माण किया जाएगा। इसके ऊपर 50 लाख रुपये खर्च होंगे। इसके लिए प्रदेश सरकार ने झंडी दिखा दी है। उद्देश्य है कि बारिश के दौरान पहाड़ का पानी झील या तालाब में ही जमा हो, बाहर न जाए। फिलहाल बारिश का पानी बाहर चला जाता है।

यही नहीं शहर के कई इलाकों से भी बारिश का पानी तालाबों एवं झील तक पहुंचाने का प्रयास होगा। इससे शहर में जलभराव की समस्या कम हो जाएगी। सिटी फारेस्ट विकसित करने का काम 9 अगस्त से शुरू हो जाएगा। बड़े स्तर पर पौधारोपण अभियान चलाया जाएगा। राव नरबीर सिंह ने बताया कि इतनी घनी हरियाली करने का विचार है कि जिसे देखने के लिए देश ही नहीं बल्कि दुनिया से भी लोग पहुंच सकें। इस कार्य में निजी कंपनियां विशेष भूमिका निभाएंगी।

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