Move to Jagran APP

एक लाख बच्चों को मात देकर 7 साल की बच्ची ने जीती डूडल फॉर गूगल प्रतियोगिता Gurugram News

गुरुग्राम में दूसरी क्लास में पढ़ने वाली छात्रा दिव्यांशी सिंघल ने डूडल फॉर गूगल प्रतियोगिता जीता है। प्रतियोगिता में करीब एक लाख बच्चे शामिल हुए थे।

By Mangal YadavEdited By: Published: Fri, 15 Nov 2019 08:37 PM (IST)Updated: Fri, 15 Nov 2019 08:37 PM (IST)
एक लाख बच्चों को मात देकर 7 साल की बच्ची ने जीती डूडल फॉर गूगल प्रतियोगिता Gurugram News

गुरुग्राम, जागरण संवाददाता। महानगरों की तथाकथित प्रगति की बलि चढ़ रही हरियाली को भले ही बड़े बड़े पर्यावरण विद, राजनेता और प्रशासनिक अधिकारी न देख पा रहे हैं लेकिन दिव्यांशी के नन्हे मन पर पेड़ों के दर्द का गहरा असर हुआ। सात वर्षीय दिव्यांशी ने धरा के दर्द और पेड़ों की स्थिति को इस प्रकार समझा कि उसे कल्पना के रंगों में सजाकर काजगों पर उकेरा और उसे देश-विदेश में सराहना मिली।

loksabha election banner

हम बात कर रहे हैं दिल्ली पब्लिक स्कूल गुरुग्राम की दूसरी कक्षा की छात्रा दिव्यांशी सिंघल की, जिसका बनाया डूडल बाल दिवस पर गूगल पर राज करता नजर आया। प्रदूषण की समस्या और पेड़ों को कटाई से बचाने के लिए इस नन्ही चित्रकार ने पेड़ों के पैर होने की कल्पना की ताकि पेड़ कटाई से बचने के लिए भाग सकें। जानकारी के मुताबिक प्रतियोगिता में एक से लेकर 10वीं तक करीब एक लाख बच्चे शामिल हुए थे। 

पर्यावरण को बचाना चाहती हैं दिव्यांशी

दिव्यांशी के लिए इस प्रतियोगिता में जीत की खुशी है लेकिन कल्पना को साकार रूप देने को लेकर वे चिंतित हैं। वे चाहती हैं कि पेड़ों की कटाई रुके ताकि हर साल प्रदूषण के दंश से बचा जा सके। ऐसा नहीं हो पा रहा है ऐसे में वे अपनी कृति के माध्यम से संदेश देना चाहती हैं कि लोग पेड़ों को न काटें। उनका कहना है कि कटे हुए पेड़ देकर उन्हें बेहद दुख होता है। और वे सोचती हैं कि इंसान तो इस चीज को समझ नहीं रहा है, क्यों न पेड़ों को ही पैर दे दिए जाएं।

बहुआयामी प्रतिभा की धनी हैं दिव्यांशी

यह पहली प्रतियोगिता नहीं है जिसमें दिव्यांशी को सफलता मिली है। इससे पहले वे अन्य प्रतियोगिता में भी हिस्सा ले चुकी हैं और पुरस्कार जीत चुकी हैं। वे एक चित्रकार होने के साथ-साथ अच्ची नृत्यांगना भी हैं। हिपहॉप से लेकर कथक तक में वे प्रशिक्षण ले रही हैं और डांस इंडिया डांस (2017) जैसी प्रतियोगिता में भी वे लोगों को अपनी प्रतिभा का प्रमाण दे चुकी हैं। माता पिता की इकलौती संतान दिव्यांशी इंटरनेट से विभिन्न आइडियाज भी लेती रहती हैं। 2017 में हुए गुरुग्राम गॉट टैलेंट में भी दिव्यांशी ने दूसरा स्थान प्राप्त किया।

खेल-खेल में बनी प्रतिभागी

दिव्यांशी की मां दीप्ती ने हर वर्ष होने वाले गूगल के डूडल प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के लिए कहा। इस बार के टॉपिक ‘आइ होप वेन आई ग्रो अप...’ के लिए दिव्यांशी ने आइडिया दिया कि वे पेड़ों को चलता हुआ दिखाना चाहती हैं। फिर उन्होंने वॉकिंग ट्री बनाकर अपनी एंट्री भेजी। विभिन्न चरणों में उसका चयन हुआ और फिर वोटिंग के जरिए दिव्यांशी को सफलता मिली।

दिव्यांशी को नहीं है इस सफलता का अहसास

हालांकि दिव्यांशी को इस सफलता का अहसास नहीं है लेकिन मां दीप्ती और पिता नितिन सिंघल को लग रहा है कि यह उनके लिए एक बड़ी सफलता है। दिव्यांशी का कहना है कि उन्हे सफलता तब मिलेगी जब पर्यावरण को लेकर कोई ठोस कदम उठाया जाएगा और पेड़ों की कटाई पर रोक लग सकेगी। दिव्यांशी के स्कूल की प्राचार्य रश्मि सिंह का कहना है कि वे विद्यार्थियों को पर्यावरण के प्रति संवेदनशील बनाते हैं और वे इस सफलता से बेहद खुश हैं।

 दिल्‍ली-एनसीआर की खबरों को पढ़ने के लिए यहां करें क्‍लिक


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.