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विकास शुल्क देने के बाद भी नहीं बनी सड़क

इंफ्रास्ट्रक्चर विकास के लिए करोड़ों रुपये लेने के बाद भी सरकार की ओर से जरूरी सुविधाएं नहीं मिले तो लोग ठगे महसूस करते हैं। सेक्टर 37 डी की सोसायटी एनबीसीसी ग्रीन व्यू के लोगों को बरसात की चिता सता रही है क्योंकि यहां तक पहुंचने के लिए सड़क नहीं बनी।

By JagranEdited By: Published: Tue, 21 May 2019 06:19 PM (IST)Updated: Wed, 22 May 2019 06:39 AM (IST)
विकास शुल्क देने के बाद भी नहीं बनी सड़क

जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: इंफ्रास्ट्रक्चर विकास के लिए करोड़ों रुपये लेने के बाद भी सरकार की ओर से जरूरी सुविधाएं नहीं मिले तो लोग ठगा महसूस करते हैं। सेक्टर-37 डी की सोसायटी एनबीसीसी ग्रीन व्यू के लोगों को बरसात की चिता सता रही है क्योंकि यहां तक पहुंचने के लिए सड़क नहीं बनी। वर्ष 2010 में इस सोसायटी ने सरकार को इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट चार्ज के रूप में करीब 45 करोड़ रुपये चुकाए थे। उसके बाद भी न तो इस सोसायटी का सेक्टर-37 डी की ओर से कोई रास्ता जुड़ा है और न ही द्वारका एक्सप्रेस-वे की ओर से।

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द्वारका एक्सप्रेस-वे के पास एक नया गुरुग्राम बस रहा है। बसाव की प्रक्रिया में यहां रहने वाली कुछ सोसायटियों के लोगों को बहुत ज्यादा कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। एक्सप्रेस-वे की कुछ सोसायटियां पुराने शहर और गुरुग्राम के गांवों के करीब हैं, मगर वहां और भी बुरा हाल है। सेक्टर-37 डी में रेलवे क्रॉसिग के पास स्थित एनबीसीसी ग्रीन व्यू सोसायटी के लोग इस बात को लेकर बहुत परेशान हैं कि बरसात के समय बड़े-बड़े गड्ढों के बीच किस तरह घर तक पहुंचेंगे। एक दिन भी बारिश हुई तो सोसायटी टापू बन जाएगी। यही नहीं अगर कोई व्यक्ति गंभीर स्थिति में हो तो यहां एंबुलेंस तक समय पर नहीं पहुंच सकती। न तो शहर की ओर से इस सोसायटी की कनेक्टिविटी है और न द्वारका एक्सप्रेस वे से। दोनों ओर से यहां की सड़क अधूरी है। यहां तक पहुंचने के लिए योजनाओं में 24 मीटर की सड़क दिखाई गई है।

एनबीसीसी ग्रीन व्यू सोसायटी के अध्यक्ष जी मोहंती, उपाध्यक्ष एससी कौशिक, महासचिव नीरज कुमार गुप्ता, ज्वाइंट सेक्रेटरी रणधीर सिंह और आरडब्ल्यूए टीम सोसायटी की कनेक्टिविटी का मामला सीएम विडो पर उठाया है। इस बाबत हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण समेत संबंधित सभी उच्चाधिकारियों को भी पत्र लिखा है। प्रतिनिधियों ने बताया कि एनबीसीसी सोसायटी के बच्चों को स्कूल से आने-जाने, आपात स्थिति में एंबुलेंस या फायर ब्रिगेड की गाड़ी पहुंचने में काफी परेशानी आ सकती है। लोगों को रोजमर्रा के जीवन में कार्यालय या बाजार जाने में बहुत दिक्कत आती है। धूल और गड्ढे के बीच दुर्घटना की संभावना बनी रहती है। जबकि सोसायटी की ओर से ईडीसी (एक्सटर्नल डेवलपमेंट चार्ज) और आइडीसी (इंटरनल डेवलपमेंट चार्ज) के रूप में जून 2010 में ही सरकार को करीब 45 करोड़ रुपये दिए जा चुके हैं। यह राशि सड़क, सीवेज लाइन, पेयजल की लाइन, बिजली जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए ही होती है। फिलहाल इस सोसायटी में करीब 50 परिवार बसे हैं। सुविधाओं की कमी लोगों के यहां नहीं आने की वजह बन रही है।


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