पुरानी फोटोग्राफी की तकनीक जिदा है इस म्यूजियम में
कैमरे का एक क्लिक और पांच मिनट में रंगीन प्रिट तैयार करना मुमकिन है लेकिन पुराने दौर में यह लंबी और कठिन प्रक्रिया होती थी। डिजिटल दौर में पुरानी डार्करूम तकनीक और फोटोग्राफी देखनी हो तो चकरपुर के विटेज कैमरा म्यूजियम जरूर आएं।
संदीप रतन, गुरुग्राम
कैमरे का एक क्लिक और पांच मिनट में रंगीन प्रिट तैयार करना मुमकिन है, लेकिन पुराने दौर में यह लंबी और कठिन प्रक्रिया होती थी। डिजिटल दौर में पुरानी डार्क रूम तकनीक और फोटोग्राफी देखनी हो तो चकरपुर के विटेज कैमरा म्यूजियम जरूर आएं। नगर निगम की देखरेख में यह म्यूजियम लगभग एक साल पहले बनकर तैयार हो गया था, लेकिन कोरोना काल के चलते कई महीने तक बंद रहा। अब यह दोबारा खुल गया है और फोटोग्राफी व कला के शौकीन फिर से म्यूजियम का दीदार कर सकते हैं।
इस म्यूजियम की खास बात ये है कि इसमें पुराने जमाने में जासूसी के लिए बनाए गए घड़ी के आकार वाले विदेशी कैमरे से लेकर दूसरे विश्वयुद्ध में जापान के हिरोशिमा-नागासाकी पर अमेरिका द्वारा परमाणु बम गिराने की एयरक्राफ्ट से तस्वीर लेने वाले के-20 किस्म का कैमरा भी रखा है। शहर के मशहूर फोटोग्राफर आदित्य आर्य ने इस म्यूजियम में अपने लगभग ढाई हजार से ज्यादा विटेज कैमरों के कलेक्शन का रखा है। 1850 से लेकर अब तक के कैमरों का है संग्रह
दुनिया का पहला फोटो कैमरा 19 अगस्त 1839 को बनाया गया था। फोटोग्राफर आदित्य आर्य के पास 1850 से लेकर अब तक के करीब ढाई हजार से ज्यादा पुराने कैमरों का संग्रह है। आर्य का दावा है कि इतने पुराने फोटो कैमरों का संग्रह उन्हीं के पास है और देश में विटेज कैमरों का फिलहाल कोई और संग्रहालय नहीं बना है। आदित्य आर्य बताते हैं कि लंदन, फ्रांस सहित विश्व के कई स्क्रैप डीलरों से उनका संपर्क है और उनसे काफी कैमरे खरीदे हैं। नगर निगम ने इस म्यूजियम को तैयार करने पर आठ करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं।
म्यूजियम में है खास
- वर्कशाप रूम
- डार्क रूम
- तीन आर्ट गैलरी
- तीन लेक्चर हाल
- लाइब्रेरी
- कैफेटेरिया।