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पीएलपीए संशोधन बिल वापस लेने के लिए सरकार को दिया ज्ञापन

अरावली बचाओ अभियान के तहत मंगलवार को पचास से अधिक स्कूली बच्चों एवं पर्यावरण प्रेमियों ने एकत्र होकर दिल्ली स्थित हरियाणा भवन के सामने प्रदर्शन कर ज्ञापन दिया। मुख्यमंत्री की अनुपस्थिति में रेजीडेंट कमिश्नर से पीएलपीए (पंजाब भूमि संरक्षित अधिनियम) संशोधन बिल वापस लेने की मांग की। ज्ञापन देने के लिए हेरिटेज स्कूल गुरुग्राम के एक छात्र प्रतिनिधिमंडल (12 से 16 वर्ष के बच्चे) 50 से अधिक पर्यावरण प्रेमी एवं डीएलएफ निवासी मंगलवार सुबह 11 बजे हरियाणा भवन पहुंचे।

By JagranEdited By: Published: Tue, 05 Mar 2019 07:36 PM (IST)Updated: Tue, 05 Mar 2019 07:36 PM (IST)
पीएलपीए संशोधन बिल वापस लेने 
के लिए सरकार को दिया ज्ञापन
पीएलपीए संशोधन बिल वापस लेने के लिए सरकार को दिया ज्ञापन

संवाद सहयोगी, नया गुरुग्राम: अरावली बचाओ अभियान के तहत मंगलवार को 50 से अधिक स्कूली बच्चों एवं पर्यावरण प्रेमियों ने एकत्रित होकर दिल्ली स्थित हरियाणा भवन के सामने प्रदर्शन कर ज्ञापन दिया। इसमें उन्होंने मुख्यमंत्री की अनुपस्थिति में रेजिडेंट कमिश्नर से पीएलपीए (पंजाब भूमि संरक्षित अधिनियम) संशोधन बिल वापस लेने की मांग की।

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ज्ञापन देने के लिए हेरिटेज स्कूल गुरुग्राम का छात्र प्रतिनिधिमंडल (12 से 16 वर्ष के बच्चे), 50 से अधिक पर्यावरण प्रेमी एवं डीएलएफ निवासी मंगलवार सुबह 11 बजे हरियाणा भवन पहुंचे। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 1 मार्च को संशोधन लागू करने पर रोक लगा दी थी और इस सप्ताह 8 मार्च को मामले की सुनवाई रखी है।

प्रदर्शन में शामिल लोगों ने कहा सुप्रीम कोर्ट का सकारात्मक दिशा में यह महत्वपूर्ण कदम है तथा अब यह जिम्मेदारी हरियाणा सरकार की है कि वह इस दिशा को बनाए रखे और संशोधन बिल को वापस ले। अरावली के जंगल अत्यधिक प्रदूषित एनसीआर शहरों में रहने वाले लोगों के लिए हरे भरे फेफड़े हैं, भू-जल रिचार्ज का सबसे बड़ा स्रोत हैं और मरुस्थलीकरण के खिलाफ ढाल है।

उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में बेहद खराब वायु गुणवत्ता के कारण कई वयस्क और बच्चे गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना कर रहे हैं। एनसीआर के शहर भी लगातार नीचे जा रहे भूमिगत जल स्तर के लिए बदनाम हैं। नए बिल के मुताबिक अरावली वन क्षेत्र में अवैध रूप से बनी कोठी व फार्म हाउस वैध हो जाएंगे तथा बिल्डर को नए लाइसेंस भी मिल जाएंगे।

ज्ञापन के माध्यम से रखे ये सुझाव:

- पीएलपीए संशोधन को वापस लिया जाए।

- समय-समय पर समाप्त हुई पीएलपीए नोटिफिकेशंस को नोटिफाई करें।

- अरावली को वन घोषित करें।

- प्राकृतिक संरक्षण क्षेत्र में संपूर्ण अरावली को बनाए रखा जाए।

- अरावली भूमि के निजीकरण में एक जांच का आदेश दें और उन्हें सार्वजनिक स्वामित्व में बहाल करें। हरियाणा भवन निवास आयुक्त ने हमारा ज्ञापन लिया और आश्वासन दिया है कि कि इसे तत्काल सूचना पर सीएम को भेजा जाएगा।

- कृति भाटिया, छात्रा, हैरिटेज स्कूल गुरुग्राम प्रदेश में प्रभावी वन क्षेत्र का 33 प्रतिशत भाग खतरे में है, राज्य में मात्र 3.59 प्रतिशत वन क्षेत्र है जो कि देश के सबसे कम हैं और वह भी विनाश के दरवाजा पर खड़ा है। गुरुग्राम और फरीदाबाद सहित दक्षिण हरियाणा जिलों में 60,000 एकड़ में अरावली के जंगल और चंडीगढ़ (पंचकूला जिले) के आसपास 10000 एकड़ में शिवालिक के जंगल हैं।

- विनीता सिंह, संस्थापक वी द पीपल


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