Move to Jagran APP

निगम की डायरी: संदीप रतन

प्लानिग विग यानी योजना शाखा। नगर निगम की यह मुख्य शाखा है लेकिन कामकाज के मामले में कोई खास उपलब्धि नहीं है। हो भी कैसे?

By JagranEdited By: Published: Wed, 10 Mar 2021 06:35 PM (IST)Updated: Wed, 10 Mar 2021 06:35 PM (IST)
निगम की डायरी: संदीप रतन

प्लानिग कौन करे, अफसर ही नहीं

loksabha election banner

प्लानिग विग यानी योजना शाखा। नगर निगम की यह मुख्य शाखा है, लेकिन कामकाज के मामले में कोई खास उपलब्धि नहीं है। हो भी कैसे? पिछले लगभग चार-पांच माह से इस विग में अफसर ही नहीं है। पहले डीटीपी (जिला नगर योजनाकार) का तबादला हुआ। कई महीने तक कुर्सी खाली रही तो नगर एवं योजनाकार विभाग के डीटीपी आरएस बाठ को अतिरिक्त जिम्मेदारी सौंपी दी गई। यहां भी महज खानापूर्ति हो रही है। एसटीपी (वरिष्ठ नगर योजनाकार) की सीट भी खाली है। अकेले सीटीपी (मुख्य नगर योजनाकार) के भरोसे काम चल रहा था, अब वे भी सेवानिवृत हो गए। अब एसटीपी और सीटीपी दोनों के पद खाली हैं। विग के कामकाज पर गौर करें तो नियमित की गई कालोनियों के बकाया विकास शुल्क की 52 करोड़ से ज्यादा की राशि भी नहीं वसूल पाए हैं। अवैध मोबाइल टावरों से भी निगम को हर माह लाखों का नुकसान हो रहा है।

आइएएस ने पढ़ा दिया इंजीनियरिग का पाठ

नगर निगम में टेंडर मंजूर होने से काम होने तक किस तरह के गड़बड़झाले होते हैं, यह बात किसी से छिपी नहीं है, लेकिन अफसर भी अगर इंजीनियरिग पढ़कर आ जाए तो नीचे वालों की पोल खुल जाती है। आइआइटी से एमटेक कर प्रशासनिक सेवा में आए आइएएस हितेश कुमार मीणा (सहायक आयुक्त प्रशिक्षाधीन) इन दिनों निगम में संयुक्त आयुक्त-1 की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। पिछले सप्ताह संयुक्त आयुक्त अपने जोन के दौरे पर थे। बसई गांव में एक सीवर व पेयजल लाइन बिछाई जानी है। एक ठेकेदार ने यह काम 18 फीसद बिलो (कम) रेट पर ले रखा है। काम की गुणवत्ता और टेंडर प्रक्रिया पर सवाल खड़े करते हुए संयुक्त आयुक्त ने अधीनस्थ कर्मचारियों की क्लास ले ली। जोन में सफाई नहीं होने, हाजिरी के गड़बड़झाले पर सैनिटेशन विग और ठेकेदारों को भी लताड़ लगाई। फील्ड में ऐसे दौरे हों तो घोटालों पर काफी हद तक रोक लगेगी।

जय और वीरू की दोस्ती..

ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे, तोड़ेंगे दम मगर..तेरा साथ ना छोड़ेंगे। फिल्म शोले का ये गाना तो आपने सुना ही होगा। जय और वीरू के इस दोस्ताने की तरह निगम और मुख्यमंत्री के उड़नदस्ते में शामिल अधिकारियों की दोस्ती के चर्चे भी कम नहीं हैं। ये हम नहीं कह रहे हैं। इनके संबंधों को उजागर करने वाली एक शिकायत चंडीगढ़ पहुंची है। शिकायती पत्र वाया चंडीगढ़ गुरुग्राम निगम दफ्तर में आ गया। लक्ष्मण विहार निवासी भीम सिंह ने मुख्यमंत्री, गृहमंत्री, पुलिस महानिदेशक, गुप्तचर विभाग सहित कई अन्य जगहों पर भेजे पत्र में आरोप लगाया है कि सरकारी कर्मचारियों द्वारा जमकर भ्रष्टाचार किया जा रहा है। शिकायतकर्ता का आरोप है कि कुछ दिन पहले उनकी व उनके पड़ोस में कई इमारतों को निगम व मुख्यमंत्री के उड़नदस्ते ने सील किया था। जिन इमारतों से सुविधा शुल्क मिल गया वहां सील के बावजूद काम शुरू हो गया, बाकी जगह काम बंद है। हक तो इनको भी नहीं मिला

निगम की सफाई एजेंसियों में कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) के नाम पर गड़बड़झाला कोई नई बात नहीं है। सफाई एजेंसी ही नहीं अन्य कर्मचारियों, कंप्यूटर क्लर्क आदि का भी प्राविडेट फंड (पीएफ) जमा नहीं हो रहा है। 14-15 हजार की नौकरी कर अपने परिवार का पेट भरने वाले कर्मचारियों में शिकायत करने की तो हिम्मत नहीं है। क्योंकि शिकायत करते ही नौकरी चली जाएगी। ऐसे में ठेकेदारों के पास चक्कर काटने के अलावा कोई चारा नहीं है। ठेकेदारों द्वारा पीएफ जमा नहीं कराने की शिकायतें मिल चुकी हैं। निगम में 1500 से ज्यादा कार्यालय स्टाफ और चार हजार से ज्यादा सफाई कर्मचारी और सीवरमैन एजेंसियों से आउटसोर्स पालिसी के तहत नियुक्त हैं। कुछ दिन पहले कर्मचारी भविष्य निधि के क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा पीएफ जमा नहीं कराने वाली कंपनियों के खिलाफ पुलिस में मामला दर्ज कराया गया था। अगर यहां भी कार्रवाई हो तो कर्मचारियों को उनका हक मिल सकता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.