कोरोना को लेकर कई निजी अस्पताल संचालक कर रहे खेल
कोरोना संक्रमण को लेकर पूरे देश में संकट है। इस दौरान भी शहर के कुछ प्राइवेट अस्पताल संचालक मुनाफे का खेल खेलने में पीछे नहीं है। उनके रवैये से प्रशासन भी परेशान है कई अस्पताल संचालकों को नोटिस भी दी जा चुकी पर कार्रवाई का डर इसके बाद भी नहीं। कोरोना टेस्ट की रिपोर्ट को पॉजिटिव बता रकम ऐंठी जा रही है। वहीं कई ऐसे भी मामले आए जब अस्पताल से सर्जरी की और मरीज से रकम ले ली। जैसे ही बिल भरा गया मरीज को कोरोना पॉजिटिव बता अपने यहां सुविधा नहीं होने की बात कह एंबुेलेंस से घर भेज दिया गया।
सत्येंद्र सिंह, गुरुग्राम
कोरोना महामारी को लेकर पूरे देश में संकट है। इस दौरान भी शहर के कुछ प्राइवेट अस्पताल संचालक मुनाफे का खेल खेलने में लगे हैं। उनके रवैये से प्रशासन भी परेशान है। कई अस्पताल संचालकों को नोटिस भी दिए जा चुके हैं, पर कार्रवाई का डर इसके बाद भी नहीं। कोरोना टेस्ट रकम ऐंठी जा रही है। वहीं कई ऐसे भी मामले आए जब अस्पताल ने सर्जरी की और मरीज से रकम ले ली। जैसे ही बिल भरा गया मरीज को कोरोना पॉजिटिव बता अपने यहां इलाज की सुविधा नहीं होने की बात कह एंबुलेंस से घर भेज दिया गया।
मोहम्मदपुर गांव में रहने वाले नीरज के साथ ऐसा ही हुआ। उनकी आंत में परेशानी थी। पटौदी रोड स्थित एक प्राइवेट अस्पताल में नीरज 28 मई को पहुंचे तो उन्हें भर्ती कर लिया गया। ऑपरेशन का खर्च 28 हजार बताया गया। डॉक्टर ने कोरोना टेस्ट कराने के लिए साढ़े चार हजार की फीस ऊपर से जमा करा ली। पहले टेस्ट की रिपोर्ट नेगेटिव बताई, फिर आपरेशन कर दिया। तीस मई की शाम नीरज को एंबुलेंस से उनके घर यह कहते हुए भेज दिया कि वह कोरोना पॉजिटिव हैं।
मरीज की पत्नी ने घर भेजने पर सवाल किए तो कहा गया कि यहां सुविधा नहीं। घर में रहो। किराए के एक कमरे में रहने वाले नीरज कोरोना के डर से पूरी रात घर के बाहर ही पड़े रहे। स्वास्थ्य विभाग से संपर्क किया तो घर में रहने की सलाह दी गई। शुक्र है कि मकान मालिक ने नीचे के खाली कमरे में रहने को इजाजत दे दी। जबकि मरीज की हालत ऐसी नहीं कि उसे घर पर रखा जाए।
बसई निवासी रामकिशन के साथ भी ऐसा ही हुआ। चोट लगने से पैर की सर्जरी के नाम पर एक प्राइवेट अस्पताल ने पचास हजार की रकम ले ली। कोरोना टेस्ट के लिए अलग से रकम ली। सर्जरी के पहले रिपोर्ट नेगेटिव बताई। बाद में बगैर सैंपल लिए अस्पताल प्रबंधन ने कोरोना पॉजिटिव बता रामकिशन को घर भेज दिया। किराए पर रहने वाले रामकिशन परिवार के साथ उसी कमरे में रह रहे हैं। जबकि उन्हें अस्पताल प्रबंधन ने सर्जरी से पहले तीन दिन अस्पताल में रखने का वादा किया था। सिविल सर्जन डॉ. जसवंत सिंह पूनिया ने कहा कि अभी शिकायत आई नहीं है। आने पर जांच कर अस्पताल प्रबंधन पर कार्रवाई होगी। छह दिन में दी अधूरी रिपोर्ट
एक प्राइवेट लैब प्रबंधन की मनमानी सामने आई है। सिविल सर्जन डॉ. जसवंत सिंह पूनिया ने कोविड-19 की रिपोर्ट समय पर उपलब्ध नहीं करवाने व अधूरी रिपोर्ट देने पर कोर डायग्नोस्टिक नामक टेस्टिग लैब को कारण बताओ नोटिस जारी कर जवाब दो दिन के अंदर मांगा गया है। चंदन कुमार नामक व्यक्ति के सैंपल 22 मई को कोर डायग्नोस्टिक के पास भेजे गए थे, जिसकी रिपोर्ट 28 मई को कई बार फोन करने के बाद अधूरी दी गई।