कब चंडीगढ़ पहुंचेगी रजिस्ट्री घोटाले की जांच रिपोर्ट
मानेसर रजिस्ट्री घोटाले की जांच चार दिन में पूरी कर ली गई, लेकिन रिपोर्ट 12 दिन बाद भी चंडीगढ़ नहीं पहुंची है। कई दिनों से मंडलायुक्त कार्यालय में रिपोर्ट पड़ी हुई है। यह हाल तब है जब जांच में सरकारी जमीन की रजिस्ट्री कराने का आरोप हर स्तर पर प्रमाणित हो चुका है।
आदित्य राज, गुरुग्राम
मानेसर रजिस्ट्री घोटाले की जांच चार दिन में पूरी कर ली गई, लेकिन रिपोर्ट 12 दिन बाद भी चंडीगढ़ नहीं पहुंची है। कई दिनों से मंडलायुक्त कार्यालय में रिपोर्ट पड़ी हुई है। यह हाल तब है जब जांच में सरकारी जमीन की रजिस्ट्री कराने का आरोप हर स्तर पर प्रमाणित हो चुका है। एक या दो नहीं बल्कि सात रजिस्ट्री कराई गईं। दो ट्रांसफर डीड कराने की शिकायत भी प्रमाणित हो चुकी है।
आइएमटी मानेसर के विस्तार के लिए प्रदेश की भूपेंद्र ¨सह हुड्डा सरकार के दौरान मानेसर, नौरंगपुर एवं नखड़ौला की 912 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया जाना था। आरोप है कि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू होते ही बिल्डरों ने ग्रामीणों से मुलाकात शुरू कर दी। मुलाकात के दौरान ग्रामीणों को समझाया कि सरकार द्वारा जमीन अधिग्रहण करने पर अधिक राशि नहीं मिलेगी। यदि वे बिल्डरों से जमीन बेचें तो सरकार से अधिक राशि मिलेगी। इसके बाद काफी ग्रामीणों ने अपनी जमीन बिल्डरों से बेच दी। ग्रामीणों द्वारा जमीन बेचने के बाद प्रदेश सरकार ने अधिग्रहण का निर्णय रद कर दिया। इससे ग्रामीण अपने आपको ठगा महसूस करने लगे क्योंकि उन्होंने सरकारी अधिग्रहण के डर से अपनी जमीन बिल्डरों से बेची थी। मामला कोर्ट में डाल दिया गया। गत 12 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए बिल्डरों द्वारा खरीदी गई 444 एकड़ जमीन की मलकीयत हरियाणा स्टेट इंडस्ट्रियल इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कारपोरेशन (एचएसआइआइडीसी) को सौंप दी। इस तरह 444 एकड़ जमीन सरकारी हो गई। यह सब जानते हुए मानेसर तहसील में सात प्लाट की रजिस्ट्री करा दी गई। एसडीएम संजीव ¨सगला को सौंपी गई थी जांच
मामले सामने आते ही जांच एसडीएम संजीव ¨सगला को 10 मई को सौंपी गई। उन्होंने 11 मई से जांच शुरू की। तहसीलदार सहित सभी अधिकारियों एवं कर्मचारियों से ही नहीं बल्कि क्रेताओं एवं विक्रेताओं से भी पूछताछ चार दिन में पूरी कर रिपोर्ट अगले दिन यानी 15 मई को सौंप दी। जिला उपायुक्त कार्यालय से रिपोर्ट मंडल आयुक्त कार्यालय में कई दिन पहले पहुंच चुकी है लेकिन मंडल आयुक्त कार्यालय से चंडीगढ़ 27 मई तक रिपोर्ट नहीं पहुंची थी। सूत्रों के मुताबिक तहसीलदार, नायब तहसीलदार, कानूनगो, रजिस्ट्री क्लर्क, दो कंप्यूटर ऑपरेटर एवं एक पटवारी के खिलाफ लापरवाही की शिकायत सही पाई गई है। सभी के खिलाफ कार्रवाई तय मानी जा रही है।
जिला उपायुक्त कार्यालय से रिपोर्ट आ गई है। लीगल ब्रांच रिपोर्ट की जांच कर रही है। जांच पूरी होते ही आगे की कार्यवाही की जाएगी। इतना तय है कि यदि गलत किया गया है तो कार्रवाई हर हाल में होगी। सरकारी जमीन की रजिस्ट्री कराने का आरोप काफी गंभीर है।
-डॉ. डी. सुरेश, मंडल आयुक्त, गुरुग्राम