Move to Jagran APP

परमार्थ के बिना अधूरा है जीवन : उपेंद्र मुनि

जैन संत उपेंद्र मुनि ने कहा कि परमार्थ के बिना जीवन अधूरा है। जीवन एक कलश है तो परमार्थ उसमें भरने वाला अमृत है। अपने स्वार्थ के लिए तो हर कोई काम करता है। दूसरों के लिए भी जीना जीवन का मकसद होना चाहिए। दूसरों की सहायता में जिस आनंद की प्राप्ति होती है वह अनमोल होती है। उससे हमें जिस सुख की अनुभूति होती है वह पवित्र एवं अलौकिक होती है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 13 Sep 2018 03:48 PM (IST)Updated: Thu, 13 Sep 2018 03:48 PM (IST)
परमार्थ के बिना अधूरा है जीवन : उपेंद्र मुनि
परमार्थ के बिना अधूरा है जीवन : उपेंद्र मुनि

जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: जैन संत उपेंद्र मुनि ने कहा कि परमार्थ के बिना जीवन अधूरा है। जीवन एक कलश है तो परमार्थ उसमें भरने वाला अमृत है। अपने स्वार्थ के लिए तो हर कोई काम करता है। दूसरों के लिए भी जीना जीवन का मकसद होना चाहिए। दूसरों की सहायता में जिस आनंद की प्राप्ति होती है वह अनमोल होती है। उससे हमें जिस सुख की अनुभूति होती है वह पवित्र एवं अलौकिक होती है।

loksabha election banner

जैन मुनि ने यह बातें बुधवार को न्यू रेलवे रोड स्थित जैन स्थानक में श्रद्धालुृओं से कहीं। उन्होंने मनुष्य को दिन व्यतीत हो जाने के बाद यह ¨चतन अवश्य करना चाहिए कि आज का उसका पूरा दिन पशुवत गुजरा या सत्कर्म करते हुए। बिना समाज सेवा, परोपकार के तो पशु भी अपना गुजारा प्रतिदिन करते हैं जबकि देव दुर्लभ मनुष्य देह का कर्तव्य तो अपने जीवन को सार्थक करना है। दूसरों के हित में ¨चतन करने से अन्य लोग भी प्रेरित होकर सेवा को अपनी आदत फिर उसे स्वभाव बना सकते हैं।

कार्यक्रम में जैन स्थानक के अध्यक्ष प्रेमचंद जैन, चेयरमेन विजय जैन, वरिष्ठ उपप्रधान निवास जैन, उपप्रधान रामलाल जैन, उपप्रधान विनोद जैन, उपप्रधान अनिल जैन, महामंत्री संदीप जैन, कोषाध्यक्ष रमेश चंद जैन व जैन समाज के प्रवक्ता अभय जैन सहित अन्य लोग मौजूद रहे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.