Move to Jagran APP

समाज में परस्पर सौहार्द को नए आयाम देती कार पूलिग

कार पूलिग की संस्कृति दिल्ली-एनसीआर की छवि के उस स्याह पहलू को पीछे छोड़ती प्रतीत हो रही है जिसमें इसे असुरक्षित करार दिया जाता है। ऐसी मखमली चादर जिसके तले सुरक्षा समरसता और सद्भाव की एक अलग संस्कृति विकसित हो रही है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 14 Jan 2021 07:33 PM (IST)Updated: Thu, 14 Jan 2021 07:33 PM (IST)
समाज में परस्पर सौहार्द को नए आयाम देती कार पूलिग
समाज में परस्पर सौहार्द को नए आयाम देती कार पूलिग

प्रियंका दुबे मेहता, गुरुग्राम

loksabha election banner

कार पूलिग की संस्कृति दिल्ली-एनसीआर की छवि के उस स्याह पहलू को पीछे छोड़ती प्रतीत हो रही है जिसमें इसे असुरक्षित करार दिया जाता है। ऐसी मखमली चादर जिसके तले सुरक्षा, समरसता और सद्भाव की एक अलग संस्कृति विकसित हो रही है। जरूरत कहें या फिर किफायत, लोग कार पूलिग को तेजी से अपना रहे हैं और इसके बढ़ते चलन में कहीं न कहीं समाज में एक अलग तरह का सौहार्द देखने को मिल रहा है। कोई डाक्टर है तो कोई साफ्टवेयर इंजीनियर, कोई बैंककर्मी है तो कोई व्यवसायी, राहें एक हों तो क्षेत्र, आय, आयु, धर्म और लिग जैसी तमाम असमानताएं गौण हो जाती हैं। सुरक्षा की गारंटी देते एप्स

कार पूलिग की शुरुआत भले ही व्यक्तिगत तौर पर हुई हो, लेकिन धीरे-धीरे यह कान्सेप्ट लोगों को इतना भाया कि लोगों ने इसे अपनी जीवनशैली और कार्यशैली का हिस्सा बना लिया है। क्विक राइड, राइडली, एसराइड जैसे तमाम ऐसे एप हैं जो इस कल्चर को बढ़ा रहे हैं, वह भी सुरक्षा की पूरी गारंटी के साथ। इसमें बाकायदा वेरीफिकेशन होता है जिसमें हर यात्री की पूरी जानकारी होती है। एक नाव के सवार लगते लोग

पेशे से बैंककर्मी श्वेता अग्रवाल का कहना है कि उन्होंने ऐसा कोई और मंच नहीं देखा जहां इस तरह, अलग-अलग वर्गों के लोग एक जगह होते हैं। एक दूसरे से दिल का हाल बयान करते लोग जैसे अपने तनाव को भूल जाते हैं। हालात का मजाक उड़ाते सफर कब कट जाता है, पता ही नहीं चलता। श्वेता का कहना है कि हर क्षेत्र के लोगों को देखकर लगता है कि सब जिदगी की एक ही नाव के सवार हैं। असुरक्षा की भावना तो कभी आती ही नहीं। अनकहा बंधन, सुरक्षा का दायित्व

व्यवसायी नीरज कपूर का कहना है कि यह हमसफर एक ऐसा अनकहा बंधन साझा करते हैं जिसमें अनजाने, अनचाहे ही एक दूसरे की सुरक्षा, सुगमता और निजता का भी पूरा-पूरा ख्याल रखा जाता है। एक दूसरे से बातों में घर-परिवार से लेकर आफिस भी भागदौड़ और राजनीति की उठापटक तक शामिल होती है। हां, सभी चीजें सुरक्षा और निजता के सम्मान के दायरे में होती हैं। कई बार तो ऐसा भी होता है कि एक दूसरे के सुख-दुख में भी शामिल होते हैं। मैं तकरीबन पांच वर्षों से रोजाना फरीदाबाद से नोएडा जाता था। ऐसे में पता चला कि कार पूलिग एप बहुत सुगम साबित होता है। मैं काफी समय से कार पूलिग से जुड़ा हूं और हम लगभग हर सह यात्री को अच्छी तरीके से पहचान चुके हैं। एक साथ होकर हम में असुरक्षा की भावना नहीं आती चाहे समय कोई भी हो।

- तरुण, इंजीनियर मैं दिल्ली जाता हूं और ऐसा काफी समय से कर रहा हूं। हम सह यात्री नहीं बल्कि एक तरह के संगी बन गए हैं जो इस सफर में साथ रहते हुए एक दूसरे का पूरा ख्याल रखते हैं।

- अभिजीत, अकाउंट मैनेजर कार पूलिग हम जैसी युवतियों के लिए वरदान साबित हो रहा है। इस यात्रा ने कई अच्छे मित्र और शुभचितक दिए जिनका सफर मात्र घंटे भर का होता है, लेकिन सुरक्षा का भाव ऐसा होता है जैसे सदियों का साथ हो।

- रिया आहूजा, एडमिन मैनेजर


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.