ऑर्डर में कमी से गारमेंट इंडस्ट्री पर मंदी की मार
साइबर सिटी में गारमेंट इंडस्ट्री की गिनती एक बड़े रोजगार प्रदाता के तौर पर होती है। इसकी स्थिति में सुधार की बजाय दिनों दिन गिरावट दर्ज हो रही है। विदेश से मिलने वाले ऑर्डर में कमी से इस इंडस्ट्री का कामकाज घटता जा रहा है। उद्यमियों का कहना है कि साल में एक से दो माह तक ऑफ सीजन होता है, मगर इस बार यह सीजन काफी लंबा होता जा रहा है। जिससे यह क्षेत्र मंदी की चपेट में आता जा रहा है। यह स्थिति कब सुधरेगी इसका अनुमान नहीं लगाया जा सकता है। इसका प्रभाव रोजगार की मात्रा पर भी पड़ता दिख रहा है।
जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: साइबर सिटी में गारमेंट इंडस्ट्री की गिनती एक बड़े रोजगार प्रदाता के तौर पर होती है। इसकी स्थिति में सुधार की बजाय दिनों दिन गिरावट दर्ज हो रही है। विदेश से मिलने वाले ऑर्डर में कमी से इस इंडस्ट्री का कामकाज घटता जा रहा है।
उद्यमियों का कहना है कि साल में एक से दो माह तक ऑफ सीजन होता है, मगर इस बार यह सीजन काफी लंबा होता जा रहा है। इससे यह क्षेत्र मंदी की चपेट में आता जा रहा है। यह स्थिति कब सुधरेगी इसका अनुमान नहीं लगाया जा सकता है। इसका सीधा प्रभाव रोजगार पर पड़ रहा है।
पिछले करीब 12 साल से गुरुग्राम की गारमेंट इंडस्ट्री के मनोबल और संख्या में गिरावट का दौर चल रहा है। इन्हें बुनियादी समस्याओं के साथ-साथ वैश्विक चुनौतियों और सरकारी उपेक्षा से भी जूझना पड़ रहा है। चीन, बांग्लादेश, वियतनाम, श्रीलंका और अब पाकिस्तान के कारण गारमेंट इंडस्ट्री का दायरा लगातार सिकुड़ने लगा है। जो क्लाइंट पहले गुरुग्राम के गारमेंट इंडस्ट्री को ऑर्डर दे रहे हैं वह सस्ते के लिए इन देशों के साथ सौदा करने लगे हैं। एक गारमेंट यूनिट में अधिकारी नवीन भाट का कहना है कि इस समय जो माहौल इस क्षेत्र में चल रहा है वह काफी परेशान करने वाला है। पहले सितंबर की शुरुआत से ही विदेश से विदेशी ऑर्डर का सिलसिला आरंभ हो जाता था। बायर्स का आना-जाना शुरू हो जाता था। अभी तक ऐसा दिखाई नहीं दे रहा है। एक-एक ऑर्डर के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। जीएसटी, कच्चे माल की कीमत में वृद्धि, महंगी लेबर, महंगी बिजली एवं विशेष प्रोत्साहन नहीं मिलने से उत्पादन लगात में वृद्धि होती जा रही है। गारमेंट इंडस्ट्री की स्थिति में सुधार की बजाय गिरावट अधिक देखी जा रही है। ऑर्डर में कमी आने से काम घट गया है। इसका असर रोजगार पर भी पड़ रहा है। ऐसी स्थिति में इंडस्ट्री को उबारने के लिए सरकारी प्रोत्साहन की दरकार है।
एपी जैन, महासचिव उद्योग विहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन गारमेंट इंडस्ट्री में ऑर्डर की कमी से काम काफी घट गया है। यहां रोजगार की संभावनाएं काफी सिकुड़ गई हैं। इस कारण कांट्रैक्ट कर्मियों की संख्या में कमी कर दी गई है। काम होने पर उन्हें फिर से बुला लिया जाएगा।
सत्येंद्र ¨सह, महाप्रबंधक ईस्ट एंड वेस्ट एक्सपोर्ट्स