जोगिया द्वारे-द्वारे: सत्येंद्र सिंह
कामकाज में पारदर्शिता तथा कमीशनखोरी रोकने के लिए फसल खरीद प्रणाली आनलाइन कर दी गई है। मनोहर सरकार का यह प्रयास उन किसानों के लिए भारी पड़ रहा जो तकनीक के ज्ञान से अनजान हैं।
मेट्रो दौड़ाकर मानेंगे राव
राव को पुराने गुरुग्राम में मेट्रो चाहिए। इसके लिए वह हरसंभव प्रयास करने के दावे भी कर रहे हैं। दरअसल पुराने शहर के लोग दस साल से मेट्रो का विस्तार करने की मांग केंद्रीय राज्यमंत्री राव इंद्रजीत सिंह के माध्यम से कर रहे हैं। राव ने पिछले लोकसभा चुनाव में जनता से वादा भी किया था कि वह इसके लिए भरसक प्रयास करेंगे। उनकी मांग के बाद प्रदेश सरकार की ओर से मेट्रो विस्तार के करने के दावे किए गए। सारे जतन करने के बाद भी बात अब तक सर्वे से आगे नहीं बढ़ सकी है। शहर के लोगों को उम्मीद थी कि प्रदेश सरकार अपने बजट में कुछ करेगी पर ऐसा कुछ नहीं हुआ। अपने जुझारू अंदाज के लिए माने जाने वाले राव ने कह दिया कि केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय के सहारे ही प्रोजेक्ट को आगे तक ले जाएंगे। यह दावा उन्होंने जीएमडीए की समीक्षा बैठक में किया।
तकनीक के ज्ञान से अनजान किसान
कामकाज में पारदर्शिता तथा कमीशनखोरी रोकने के लिए फसल खरीद प्रणाली आनलाइन कर दी गई है। मनोहर सरकार का यह प्रयास उन किसानों के लिए भारी पड़ रहा जो तकनीक के ज्ञान से अनजान हैं। दरअसल पंजीकरण के बाद मोबाइल पर एसएमएस आता है उसके बाद ही फसल खरीदी जाती है। ऐसे सिस्टम से जोड़ी खुर्द गांव के होशियार सिंह, भरत सिंह परेशान हैं। फावड़ा व खुरपा छोड़ कभी मोबाइल से नाता नहीं रखा। ऐसे में एसएमएस के फेर में उनका गेहूं मंडी नहीं पहुंच पा रहा है। यह पीड़ा केवल इन दो किसानों की ही नहीं है। कई किसान ऐसे हैं जो मोबाइल से दूर रहते हैं। प्रयोग भी करते हैं तो केवल काल रिसीव करने तक ही सीमित है। कुछ किसानों ने पटौदी क्षेत्र के विधायक सत्यप्रकाश जरावता से अपनी पीड़ा सुनाई तो आश्वासन मिला कि सरकार से बात कर कोई रास्ता निकाला जाएगा। रास्ते का इंतजार है।
दो नेताओं की तकरार कई संदेश दे गई
बुधवार को बीच सड़क पर दो वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं के बीच हुई तकरार कई संदेश दे गई। सबको पता चल गया कि पार्टी में कुछ भी ठीक नहीं है। मनमुटाव व एकला चलो की नीति नेता छोड़ नहीं पाए हैं। हालांकि खींचतान की बात नई नहीं है, पहले भी इस तरह की बातें सामने आई थीं। अब महत्वपूर्ण इसलिए है कि पार्टी का शीर्ष नेतृत्व ही हाशिए पर है। दल को इस दौर में आक्सीजन की जरूरत है तो नेता अपनी गर्मी शांत नहीं कर पा रहे हैं। धरना प्रदर्शन की जगह को लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व मंत्री कैप्टन अजय यादव व पूर्व खेल मंत्री सुखबीर कटारिया सड़क पर तल्ख अंदाज में बात ना कर फोन कर भी संदेह दूर कर सकते थे। हालांकि दोनों नेताओं ने कहा यह क्षणिक संयोग था, पर एकता के डोर में बंधे कमल वाले कुनबे को एक मौका और मिल गया।
मैडम की चाल से प्लान हुआ फुस्स
कमल वाले कुनबे में पहले कई नेता जिला संगठन में पद पाने के लिए बेकरार थे, उम्मीद भी पूरी हो गई। कइयों को लगता था कि पद मिल जाएगा। सप्ताह में एक दिन पार्टी के लिए काम करेंगे बाकी दिन अपने लिए। इस प्लान पर पानी फिर गया। दरअसल सुबह ही पार्टी जिला अध्यक्ष गार्गी कक्कड़ का मैसेज आ जाता है कि यहां बैठक है और इतने बजे पहुंचना है। मैसेज पढ़ कई समर्पित भाव से बैठक में पहुंचते हैं तो कुछ दबाव मानकर। पार्टी का शीर्ष नेतृत्व भी जिले में चल रही संगठन की गतिविधियों पर पैनी नजर रख रहा है। जिम्मेदारी को बोझ मानने वाले कार्यकर्ताओं व पदाधिकारियों को पार्टी से दरकिनार भी किया जा सकता है। इसकी वजह यह भी है कि संगठन की मजबूती से ही पार्टी इतने आगे है कि विपक्षी दलों को धरना- प्रदर्शन के लिए जनसमूह जुटाने के लिए जुगाड़ करना पड़ता है।