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सड़कों पर बुनियादी सुविधाओं की कमी से भी हो रहे हादसे

पूरी दुनिया में साइबर सिटी की पहचान है लेकिन एक भी सड़क पूरी तरह दुरुस्त नहीं। यहां तक कि लाइफ लाइन कहे जाने वाली दिल्ली-जयपुर हाईवे पर भी बुनियादी सुविधाओं का अभाव है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 26 Nov 2020 08:18 PM (IST)Updated: Thu, 26 Nov 2020 08:18 PM (IST)
सड़कों पर बुनियादी सुविधाओं की कमी से भी हो रहे हादसे

आदित्य राज, गुरुग्राम

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पूरी दुनिया में साइबर सिटी की पहचान है, लेकिन एक भी सड़क पूरी तरह दुरुस्त नहीं। यहां तक कि लाइफ लाइन कहे जाने वाली दिल्ली-जयपुर हाईवे पर भी बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। हाईवे के निर्माण के साथ ही कुछ जगहों पर अंडरपास या फ्लाईओवर बनाने पर जोर देना चाहिए था, लेकिन अब तक ध्यान नहीं। नतीजा यह है कि अक्सर हादसे होते रहते हैं। हाईवे की पहचान खूनी हाईवे के रूप में होती जा रही है।

जिले में हर साल सैकड़ों लोग मौत के शिकार होते हैं। पिछले साल भी 433 लोग जहां मौत के शिकार हुए थे वहीं, 1200 से अधिक लोग घायल हुए थे। इनमें काफी लोग अपाहिज जैसी जिदगी जीने के लिए मजबूर हैं। इसके पीछे एक मुख्य कारण सड़कों के ऊपर गंभीरता से ध्यान नहीं दिया जाना है। दिल्ली-जयपुर हाईवे के किसी भी प्रवेश एवं निकास की जगह रिफ्लेक्टर नहीं, जिससे कि रात में दूर से कट दिखाई दे। कोहरे के दौरान कट नहीं दिखाई देने से वाहन रेलिग से टकरा जाते हैं। हाईवे चार लेन की है। चार लेन दिखाई दें इसके लिए पट्टी बनाई गई थी। लगता है कि पट्टी को पेंट करने का काम दोबारा नहीं किया गया। अधिकतर जगह हाईवे पर लेन की पट्टियां नहीं दिखाई देती हैं। हाईवे पर निर्धारित प्रवेश एवं निकास के अलावा भी सुविधा के मुताबिक कट बना दिए गए हैं। सेक्टर-31 पुलिया से आगे व सिग्नेचर टावर चौक से पहले कुछ ही मीटर की दूरी पर प्रवेश व निकास दोनों है। लाइट कट आफ के ऊपर ध्यान नहीं: दिल्ली-जयपुर हाईवे को छोड़कर अन्य किसी भी सड़क पर लाइट कट आफ की सुविधा नहीं है। लाइट कट आफ के लिए सड़क के बीच में रेलिग इस तरह बनाई जाती है कि एक साइड से आ रहे वाहन की लाइट दूसरी साइड से जा रहे वाहन के ऊपर नहीं पड़ती है। यह बुनियादी सुविधा है, जिसके ऊपर ध्यान देना चाहिए, लेकिन अधिकतर सड़कों पर रेलिग केवल दिखावे के लिए है। लाइट पड़ने से ही रात में आमने-सामने से वाहन आने पर चालकों की आंखों के सामने अंधेरा छा जाता है। उसी दौरान वाहन डिवाइडर से टकरा जाते हैं। कई बार वाहन डिवाइडर के ऊपर चढ़ जाते हैं। रेलिग की ऊंचाई इतनी अधिक होनी चाहिए कि दोनों तरफ के वाहनों की सीधी लाइट एक-दूसरे के ऊपर न पड़े। ये हैं गुरुग्राम के दुर्घटना बहुल क्षेत्र

दिल्ली-जयपुर हाईवे पर सबसे अधिक हादसे होते हैं। हाईवे निर्माण के दौरान सिरहौल बार्डर एवं पचगांव चौक पर अंडरपास, मानेसर एवं बिलासपुर चौक पर फ्लाईओवर का निर्माण होना चाहिए था। इनमें फिलहाल सिरहौल बार्डर पर अंडरपास का निर्माण चल रहा है। पचगांव चौक एवं बिलासपुर चौक की पहचान खूनी चौक के रूप में हो चुकी है। सप्ताह में एक-दो हादसे होते रहते हैं। इनके अलावा नरसिंहपुर गांव के सामने से काफी लोग हाईवे पार करते हैं। इसे ध्यान में रखकर वहां पर ट्रैफिक पुलिस की सक्रियता बढ़ानी चाहिए, लेकिन ध्यान नहीं दिया जाता है। गुरुग्राम-फरीदाबाद रोड पर घाटा मोड़, खुशबू चौक, ग्वालपहाड़ी चौक एवं टोल प्लाजा के नजदीक अक्सर हादसे होते रहते हैं। इन जगहों पर पुलिस की सक्रियता बढ़ानी होगी। गुरुग्राम-सोहना रोड पर सुभाष चौक, इस्लामपुर गांव के सामने, बादशाहपुर, कादरपुर मोड़ एवं अलीपुर मोड़ के नजदीक हादसे होते हैं। इन जगहों से लोग सड़क पार करते हैं। एमजी रोड पर सहारा माल के सामने सड़क पार करने के दौरान कई लोग हादसे के शिकार हो चुके हैं। इन विषयों के ऊपर देना होगा ध्यान

- सभी सड़कों पर लाइट कट आफ के लिए रेलिग बनाने के ऊपर जोर दिया जाए।

- सड़कों के किनारे स्लाप होना चाहिए, जिससे कि बारिश का पानी न जमा हो।

- समय-समय पर ब्रेकर की पेंटिग करने पर जोर देना चाहिए ताकि दूर से दिखाई दे।

- जहां पर भी कट है वहां पर इंडिकेटर की सुविधा हो ताकि दूर से दिखाई दे।

- सड़कों में जहां पर भी मोड़ है वहां पर चौड़ाई अधिक होनी चाहिए।

- सभी चौराहों के नजदीक ही नहीं बल्कि कट के नजदीक भी ट्रैफिक सिग्नल की सुविधा बेहतर हो। लगता है कि कोई भी योजना अगले कुछ सालों को ध्यान में रखकर नहीं तैयार नहीं की जाती है। यदि तैयार की जाती तो पचगांव चौक के नजदीक अंडरपास एवं बिलासपुर चौक के नजदीक फ्लाईओवर का निर्माण साथ-साथ किया जाता। जहां तक सड़कों पर सुविधाओं का सवाल है तो सबसे पहले लाइट कट आफ के ऊपर गंभीरता से विचार करना चाहिए। अंडरपास में मोड़ के नजदीक अधिक हादसे होते हैं। क्योंकि मोड़ के नजदीक चौड़ाई बढ़ाने के ऊपर ध्यान ही नहीं दिया गया। मेदांता के नजदीक अंडरपास में यह बड़ी समस्या है। मेदांता की तरफ से आने पर अंडरपास में मोड़ के नजदीक एक पल के लिए कुछ भी नहीं दिखता है।

-- राव विवेक सिंह, वाइस प्रेसिडेंट, इंडियन इंस्टीट्यूट आफ आर्किटेक्ट्स


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