सरकार ऐसे पैकेज दे जिसका उद्योगों को सीधा लाभ मिले: विकास जैन
पहले से ही आर्थिक सुस्ती के दौर से गुजर रहे उद्योग जगत के लिए वैश्विक महामारी कोरोना ने एक नया महासंकट खड़ा कर दिया है।
पहले से ही आर्थिक सुस्ती के दौर से गुजर रहे उद्योग जगत के लिए वैश्विक महामारी कोरोना ने नया महासंकट खड़ा कर दिया है। लॉकडाउन के बीच साइबर सिटी में औद्योगिक इकाइयों का संचालन तो शुरू हो गया है मगर औद्योगिक उत्पादन और कामकाज उम्मीद के मुताबिक रफ्तार पकड़ता नहीं दिख रहा है। हर क्षेत्र के उद्यमियों के लिए चुनौतियां ही चुनौतियां हैं, जिनसे पार पाना उनके लिए इस माहौल में फिलहाल आसान नहीं है। उद्योग जगत को गतिमान करने को लेकर केंद्र सरकार की ओर से भारी भरकम राहत पैकेज की घोषणाएं की गई हैं, इसके बावजूद औद्योगिक माहौल में सकारात्मकता दिखाई नहीं दे रही है। सैकड़ों औद्योगिक इकाइयों में इस समय मैनपावर की कमी बड़ी समस्या है। इन परिस्थितियों से उद्योग जगत कैसे निकलेगा इन्हीं मुद्दों पर दैनिक जागरण के यशलोक सिंह ने गुड़गांव चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष विकास जैन से बात की। प्रस्तुत हैं बातचीत के प्रमुख अंश:
इस समय उद्योग जगत को किन चुनौतियों से जूझना पड़ रहा है?
कोरोना महामारी के दस्तक देने से पूर्व ही उद्योग जगत बड़ी आर्थिक सुस्ती के दौर से गुजर रहा था। महामारी ने इस संकट को और बढ़ा दिया। केंद्र सरकार द्वारा घोषित राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के बाद औद्योगिक इकाइयां लंबे समय तक बंद रहीं। सरकार की अनुमति के बाद सैकड़ों फैक्टरियों में काम शुरू हुआ। वर्तमान में फैक्टरी मालिकों को मैनपावर की कमी से जूझना पड़ रहा है। गारमेंट इंडस्ट्री को कामगारों की कमी सबसे अधिक खल रही है। इसका परिणाम यह हो रहा है कि ऑर्डर होने के बाद भी उनके यहां काम नहीं हो पा रहा है। इसके बावजूद सरकार कामगारों को लगातार गुरुग्राम से उनके गृह राज्य भेज रही है जो उद्योगों के लिए आने वाले समय में और बड़ी समस्या बनने जा रहा है। दिल्ली सीमा पर सख्ती के बाद उद्योग विहार क्षेत्र की इंडस्ट्री काफी काफी हद तक ठप हो चुकी हैं। केंद्र सरकार द्वारा जो पैकेज जारी किया गया है, उससे औद्योगिक क्षेत्र कितना लाभान्वित होगा?
यह तो सही है कि केंद्र सरकार ने 20 लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज की घोषणा की है। इनका उद्योग जगत ने स्वागत भी किया है। लेकिन उद्योगों को तत्काल राहत की जरूरत है। अगर कोई उद्यमी इस राहत पैकेज के तहत किसी बैंक के पास लोन लेने जाए तो बैंक के अधिकारी कहते हैं कि इस संबंध में उनके पास कोई गाइडलाइंस नहीं आई है। इस प्रकार के राहत पैकेज का धरातल पर कोई खास असर पड़ने वाला नहीं है। सरकार को पैकेज की घोषणा के साथ ही इसकी गाइडलाइंस जारी करनी चाहिए थी। इन घोषणाओं में कई चीजें स्पष्ट नहीं हैं। औद्योगिक कामकाज के पूरी तरह से पटरी पर आने में कितना समय लगेगा?
जहां तक मेरा विचार है औद्योगिक कामकाज के पूरी तरह से पटरी पर आने में कम से कम एक से डेढ़ साल लगेंगे। गुरुग्राम ऑटोमोबाइल एवं गारमेंट इंडस्ट्री का बड़ा हब है। इन दोनों सेक्टरों की हालत काफी खराब है। बड़ी वाहन निर्माता कंपनियों के खुलने के बाद भी इस क्षेत्र में कोई खास उत्साह नहीं आया है। जब तक मार्केट में डिमांड नहीं होगी तब तक औद्योगिक उत्पादन का स्तर नहीं बढ़ेगा। जो भी औद्योगिक इकाइयां खुली हैं उनके अभी नाममात्र का ही काम हो रहा है। सरकार को इंडस्ट्री की बेहतरी के लिए क्या करना चाहिए?
औद्योगिक कामकाज को गति देने के लिए केंद्र सरकार को ऐसे कदम उठाने चाहिए, जिससे इंडस्ट्री को सीधे ऑक्सीजन मिल सके। गुरुग्राम में ऑटोमोबाइल और गारमेंट सेक्टर की इंडस्ट्री सबसे अधिक हैं। इन दोनों क्षेत्रों के लिए सरकार को अलग-अलग पैकेज तुरंत घोषित करने चाहिए। यह पैकेज ऐसा होना चाहिए जिसका सीधा लाभ इस क्षेत्र के उद्योगों को मिले। जो लोन के रूप में नहीं हो। ऑटोमोबाइल क्षेत्र को गति देने के लिए जीएसटी दर को घटाया जा सकता है। उद्योग जगत के लिए बैंक लोन की अदायगी को कम से कम एक साल के लिए स्थगित कर देना चाहिए। माइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज (एमएसएमई) की नई परिभाषा को लेकर केंद्रीय वित्त मंत्री और केंद्रीय एमएसएमई मंत्री की राय में विरोधाभास है। ऐसे में उद्योग जगत पूरी तरह से असमंजस में है। परिचय :
नाम- विकास जैन
जन्म तिथि- 14.12.1972
शिक्षा बी-फार्मा
पद- ज्वाइंट मैनेजिग डायरेक्टर, पीएमबी न्यूट्रिएंट प्राइवेट लिमिटेड, अध्यक्ष, गुड़गांव चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री
अन्य कार्य- सामाजिक कार्यों में भी सक्रिय