साक्षात्कार : ऐतिहासिक फिल्मों के दौर ने बदला दर्शकों का नजरिया: दिया मिर्जा
मॉडलिग करते हुए सन 2000 में मिस एशिया पैसिफिक का क्राउन जीतने वाली दिया मिर्जा ने अपनी खूबसूरती ही नहीं अपनी प्रतिभा व संतुलित व्यक्तित्व के बूते एक अलग पहचान बनाई है। सौंदर्य प्रतियोगिता में विजेता रही दिया का मानना है कि बाहरी आकर्षण कुछ समय का होता है लेकिन मन की खूबसूरती हमेशा के लिए होती है। इसलिए इंसान की खूबसूरती को उसके रंग रूप से नहीं बल्कि उसके आचरण और प्रतिभा से होती है।
मॉडलिंग करते हुए सन 2000 में मिस एशिया पैसिफिक का क्राउन जीतने वाली दिया मिर्जा ने अपनी खूबसूरती ही नहीं, अपनी प्रतिभा व संतुलित व्यक्तित्व के बूते पर एक अलग पहचान बनाई है। सौंदर्य प्रतियोगिता में विजेता रही दिया का मानना है कि बाहरी आकर्षण कुछ समय का होता है लेकिन मन की खूबसूरती हमेशा के लिए होती है। इसलिए इंसान की खूबसूरती को उसके रंग रूप से नहीं बल्कि उसके आचरण और प्रतिभा से देखना चाहिए। फिल्मों के प्रति लोगों के बदलती रुचि, ऐतिहासिक फिल्मों के दौर और अपने करियर को लेकर फेमिना मिस इंडिया के आयोजन में बतौर जज पहुंची अभिनेत्री दिया मिर्जा से दैनिक जागरण की वरिष्ठ संवाददाता प्रियंका दुबे मेहता ने बातचीत की। प्रस्तुत हैं बातचीत के प्रमुख अंश : आपको सौंदर्य प्रतियोगिताओं का खासा अनुभव रहा है, आप प्रतिभागी से लेकर जज की भूमिका में विभिन्न प्रतियोगिताओं का हिस्सा बनती रही हैं, ऐसे में आपको क्या लगता है कि केवल रैंप पर चलने का तरीका और खूबसूरत चेहरा ही सफलता के मायने हैं?
बिलकुल नहीं, मिस इंडिया से लेकर मिस वर्ल्ड तक की प्रतियोगिताओं में प्रतिभा को प्राथमिकता दी जाती है। अब वक्त बदल रहा है और बड़े कैनवस पर लोग इस चीज को मानने लगे हैं कि बाहरी आकर्षण मन की खूबसूरती से बेहतर नहीं हो सकता। सौंदर्य प्रतियोगिताओं में भी व्यक्तित्व प्रतिभा का आकलन किया जाता है। इसलिए युवतियों को खूबसूरती के पीछे भागने की जरूरत नहीं है, अपने अंदर की खूबसूरती निखारने के लिए मन को साफ करने की जरूरत होती है। उससे जो आत्मविश्वास आता है उसके आगे हर प्रकार की खूबसूरती फीकी नजर आती है। आप काफी समय से अपने प्रशंसकों से दूर हैं, इसकी क्या वजह है?
मैं हमेशा चुनिंदा प्रोजेक्ट ही करती हूं। मैने कभी पैसों के लिए काम नहीं किया बल्कि अपने शौक और अपनी मन की तसल्ली के लिए फिल्में की। मुझे अगर कोई स्क्रिप्ट लुभाती है तभी मैं उसके बारे में आगे सोचती हूं। मैने फिल्म संजू में रोल किया और अब आगे भी वेब सीरीज और फिल्मों में काम करने की योजना बना रही हूं। आप बेहद कम उम्र में प्रोड्यूसर बनीं और मेनस्ट्रीम सिनेमा से थोड़ी अलग थलग दिखाई देने लगीं, ऐसा क्यों?
मैं बहुत कम उम्र में प्रोड्यूसर बनी क्योंकि मैं अपने हिसाब से फिल्में बनाना चाहती थी। इसकी वजह यह थी कि ह्यूमन स्टोरी व सशक्त रोल वाली फिल्में लोगों को देना चाहती हूं। मैं ऐसी दमदार स्टोरीज व किरदार चाहती थी जिससे मैं लोगों को बेहतर सिनेमा दे सकूं। अब जल्दी ही मैं कई मीडियम पर नजर आने वाली हूं। आप किस तरह के रोल करना चाहती हैं?
मैं ऐसे रोल व स्टोरीज करना चाहती हूं जो स्टोरी मुझे हिला दें और लीक से हटकर हों। चाहे टीवी हो, वेब सीरीज हो या फिर सिनेमा हो, स्टोरी ऐसी होनी चाहिए जो कि मूल्यों, इंसानी भावनाओं और बेहतरीन कला का मिश्रण हो। पिछले कुछ समय से ऐतिहासिक फिल्मों का जो दौर चला है, उसे आप किस तरह से देखती हैं?
सिनेमा को लेकर लोगों की रुचि बदली है। कुछ अर्थपूर्ण चाहते हैं। इस तरह की ऐतिहासिक फिल्में सिनेमा के स्वर्णिम दौर की याद दिलाती हैं। आज भव्य सेट, बेहतरीन सिनेमेटोग्राफी और बेहतरीन पहनावे से इस तरह की फिल्मों को और भी उम्दा बनाया जा रहा है। मैं ऐसी फिल्में करना चाहती हूं। मैं अपने एक प्रोजेक्ट को लेकर काफी उत्साहित हूं। हॉटस्टार पर एक शो आने वाला है जो मुगलकालीन इतिहास पर आधारित है। यह एक किताब पर बना है। मैं पहली बार बहुत बड़े प्रोजेक्ट का हिस्सा बन रही हूं। पीरियड ड्रामा मुझे बहुत पसंद है। आप आगे क्या करना चाहती हैं, कोई ऐसा विशेष रोल जो आप निभाना चाहती हों?
मैं मजबूत इरादों वाली स्त्री का किरदार निभाना चाहती हूं। मैं बचपन से ही अमृता शेरगिल से बहुत प्रभावित हूं। भारतीय महिलाओं को एक अलग नजरिए से कैनवस पर उतारने और लोगों की मानसिकता को बदलने की जो हिम्मत उन्होंने उस दौर में दिखाई थी, उसका कोई जवाब नहीं है। मैं उनकी जीवनी पर काम करना चाहूंगी।