इंडस्ट्री में आरक्षण से प्रभावित होगा औद्योगिक निवेश
निजी क्षेत्र में स्थानीय निवासियों के लिए 75 फीसद आरक्षण को लेकर प्रदेश सरकार ने अभी सिर्फ ड्रॉफ्ट ही बनाया है।
यशलोक सिंह, गुरुग्राम
निजी क्षेत्र में स्थानीय निवासियों के लिए 75 फीसद आरक्षण को लेकर प्रदेश सरकार ने अभी सिर्फ ड्रॉफ्ट ही बनाया है। इसे कानूनी जामा पहनाना अभी बाकी है। इससे पहले ही उद्योग जगत द्वारा इसका पुरजोर विरोध शुरू हो गया है। उद्यमियों का कहना है कि एक तरफ सरकार विदेशी निवेश लाने की बात कर रही है दूसरी ओर ऐसा कदम उठाने जा रही जो निवेशकों को कतई पसंद नहीं आएगा। अगर निवेश हतोत्साहित होगा तो इसका असर प्रदेश की आर्थिक सेहत पर भी पड़ेगा।
उद्यमियों का कहना है कि वह ऐसे आरक्षण का लगातार विरोध जारी रखेंगे। इसके लिए कोर्ट तक जाना पड़े तो उससे भी गुरेज नहीं करेंगे। हाइटेक इंडिया के अध्यक्ष प्रदीप यादव कहना है कि निजी क्षेत्र इस प्रकार के आरक्षण को स्वीकार नहीं करेगा। उसे तो अपने काम के लिए योग्य कर्मचारी चाहिए। वहां कहां के रहने वाले हैं इससे उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है। अगर स्थानीय स्तर पर बड़े स्तर पर योग्य कर्मी उपलब्ध होते तो आइटी-आइटीईएस कंपनियों को दूसरे राज्यों के पेशेवरों को हायर नहीं करना पड़ता। उद्यमियों का कहना है कि प्रदेश सरकार से कोरोना महामारी से उपजे इस विषम औद्योगिक माहौल में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की दरकार है न कि किसी प्रकार के अनावश्यक बंधन की। ऐसा होगा तो ही विदेशी कंपनियां यहां आने को तैयार होंगी।
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निजी क्षेत्र में आरक्षण की सोच बहुत ही गलत है। अगर इसे कानूनी रूप दिया गया तो इसका प्रदेश की आर्थिक सेहत पर नकारात्मक असर पड़ेगा। ऐसा होगा तो यहां कोई भी नया विदेशी निवेश नहीं आएगा। प्रदेश सरकार स्थानीय युवाओं का कौशल विकास कर उन्हें इंडस्ट्री में कार्य के योग्य बनाए।
पवन यादव, अध्यक्ष, आइएमटी इंडस्ट्रियल एसोसिएशन, मानेसर
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निजी क्षेत्र में आरक्षण की बात नहीं होनी चाहिए। अगर स्थानीय युवाओं के लिए सरकार रोजगार के दरवाजे खोलना चाहती है तो उनका कौशल विकास इंडस्ट्री की जरूरत की ²ष्टि से कराने की जरूरत है। उद्योगों को योग्य कामगार चाहिए। योग्य कामगार कहीं से मिलें इससे अधिक फर्क नहीं पड़ता।
रमनदीप सिंह, प्रबंध निदेशक, बुटीक इंटरनेशनल