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पारस अस्पताल में एफडीए अप्रूव्ड डिवाइस से बचाई बुजुर्ग की जान

पारस अस्पताल के चिकित्सकों ने एफडीए अप्रूव्ड एलएए (लेफ्ट एर्टियल अपेंडेज) क्लोजर डिवाइस फॉर प्रोटेक्शन फ्रॉम स्ट्रोक से 69 वर्षीय बुजुर्ग की जान बचाने में कामयाबी हासिल की है। इस तकनीक में बिना ओपन हार्ट सर्जरी के डिवाइस डाला जाता है। खास बात यह है कि इस ऑपरेशन में एक भी टांका लगाने की भी जरूरत नहीं पड़ी।

By JagranEdited By: Published: Fri, 25 May 2018 07:47 PM (IST)Updated: Fri, 25 May 2018 07:47 PM (IST)
पारस अस्पताल में एफडीए अप्रूव्ड डिवाइस से बचाई बुजुर्ग की जान

संवाद सहयोगी नया गुरुग्राम: पारस अस्पताल के चिकित्सकों ने एफडीए अप्रूव्ड एलएए (लेफ्ट एर्टियल अपेंडेज) क्लोजर डिवाइस फॉर प्रोटेक्शन फ्रॉम स्ट्रोक से 69 वर्षीय बुजुर्ग की जान बचाने में कामयाबी हासिल की है। इस तकनीक में बिना ओपन हार्ट सर्जरी के डिवाइस डाला जाता है। खास बात यह है कि इस ऑपरेशन में एक भी टांका लगाने की भी जरूरत नहीं पड़ी। अब तक भारत में ऐसे 10 आपरेशन हुए हैं, जिसमें से पारस अस्पताल गुरुग्राम का दूसरा अस्पताल है। इससे पहले इस तकनीक से दिसंबर 2017 में मेदांता में एक सफल आपरेशन हुआ है।

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अस्पताल प्रबंधन द्वारा आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में सर्जरी की अगुवाई करने वाले डॉ अमित भूषण शर्मा ने बताया कि एलएए तकनीक से ऑपरेशन का तरीका मिनिमली इनेसिव होता है, जिसका मतलब है कि सर्जरी की प्रक्रिया में बेहद मामूली सा चीरा लगाकर पूरी की जाती है। ऐसे में मरीज की रिकवरी बेहद तेजी से होती है और पूरी सर्जरी में कुल 3-4 घंटे लगते है।

एलएए प्रकिया में खून के थक्के जमा हो जाते हैं और ऐसे में ब्रेन एवं कार्डियक स्ट्रोक होने की संभावनाएं अधिक बढ़ जाती है। इसके बचाव के लिए खून पतला करने की दवाई दी जाती है, लेकिन इन दवाइयों से कई अन्य प्रकार की समस्याएं भी सामने आती है। ऐसे में एलएए क्लोजर डिवाइस एक बेहतर वैकल्पिक समाधान साबित होती है।


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