मिर्गी का इलाज कराए और मरीज को बीमारी का अहसास नहीं होने दें: डॉ. ब्रह्मदीप
मिर्गी को भूत-प्रेत का साया न समझा जाए। तंत्र-मंत्र इस बीमारी को इलाज नहीं है बल्कि समय पर डॉक्टर का इलाज न मिलने के कारण बीमारी गंभीर रूप ले लेती है। मिर्गी एक प्रकार की दिमागी बीमारी है जिसके होने के कई कारण हैं। ये जन्मजात होने के साथ ही बाद में भी सिर में चोट लगने के कारण व्यक्ति को अपनी चपेट में ले सकती है। मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. ब्रम्हदीप सिधू का कहना है कि मरीजों को समझना होगा मिर्गी की बीमारी बुखार की तरह है इसका इलाज है और व्यक्ति पूरी तरह से ठीक हो जाता है। डॉ. सिधू ने कहा कि युवाओं से लेकर 40-45 वर्ष के मरीज उनके पास इलाज के लिए पहुंचते हैं। मरीजों से बात करने से पता चलता है कि वे असुरक्षा का शिकार हो जाते हैं और यहीं से बीमारी ज्यादा गंभीर हो जाती है। क्योंकि काम छोड़ने के साथ वह स्वयं को अकेला समझने लगते हैं। इससे बीमारी और गहरी बन
जागरण संवाददाता, गुरुग्राम : मिर्गी को भूत-प्रेत का साया न समझा जाए। तंत्र-मंत्र इस बीमारी को इलाज नहीं है बल्कि समय पर डॉक्टर का इलाज न मिलने के कारण बीमारी गंभीर रूप ले लेती है। मिर्गी एक प्रकार की दिमागी बीमारी है जिसके होने के कई कारण हैं। ये जन्मजात होने के साथ ही बाद में भी सिर में चोट लगने के कारण व्यक्ति को अपनी चपेट में ले सकती है। मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. ब्रह्मदीप सिधू का कहना है कि मरीजों को समझना होगा मिर्गी की बीमारी बुखार की तरह है इसका इलाज है और व्यक्ति पूरी तरह से ठीक हो जाता है।
डॉ. सिधू ने कहा कि युवाओं से लेकर 40-45 वर्ष के मरीज उनके पास इलाज के लिए पहुंचते हैं। मरीजों से बात करने से पता चलता है कि वे असुरक्षा का शिकार हो जाते हैं और यहीं से बीमारी ज्यादा गंभीर हो जाती है क्योंकि काम छोड़ने के साथ वह स्वयं को अकेला समझने लगते हैं। इससे बीमारी और गहरी बन जाती है। ऐसे भी मरीज मिलते हैं जो वर्षों तक समाज के डर से इस बीमारी को चुपचाप सहते रहते हैं। मिर्गी होने के कारण
- सिर पर किसी प्रकार का चोट लगना
- जन्म के समय मस्तिष्क में पूर्ण रूप से ऑक्सीजन का आवागमन न होने पर
- ब्रेन ट्यूमर
- दिमागी बुखार के इंफेक्शन से मस्तिष्क पर पड़ता है प्रभाव
- ब्रेन स्ट्रोक होने पर
- न्यूरोलॉजिकल डिजीज जैसे अल्जाइमर रोग
- जेनेटिक कंडिशन
- कार्बन मोनोऑक्साइड के विषाक्तता के कारण भी मिर्गी का रोग होता है
- ड्रग ज्यादा लेने पर लक्षण :
- अचानक हाथ, पैर और चेहरे की मांसपेशियों में खिचाव उत्पन्न होने लगता है।
- सिर और आंख की पुतलियों में लगातार मूवमेंट होने लगता है।
- मरीज या तो पूर्ण रूप से बेहोश हो जाता है या आंशिक रूप से मूर्छित होता है।
- पेट में गड़बड़ी।
- जीभ काटने और असंयम की प्रवृत्ति
- मिर्गी के दौरे के बाद मरीज उलझन में होता है, नींद से बोझिल और थका हुआ महसूस करता है। कुछ रोकथाम के उपाय :
- डॉक्टर द्वारा दी गई दवा का सही तरह सेवन करना
- पर्याप्त नींद और एक ही समय में सोने की आदत का पालन करना
- तनाव से दूर रहें
- संतुलित आहार
- नियमित रूप से चेक-अप करवाते रहें।