मिर्गी को भी किया जा सकता है ठीक : डॉ. ¨सधू
मिर्गी एक ऐसी बीमारी है जो मरीज को पता है कि वो मिर्गी का मरीज है लेकिन वह उसका कभी कभी शिकार होता है। इसमें कुछ दिन मरीज ठीक रहता है तो एक दम से मिर्गी आ सकती है। वरिष्ठ मनोरोग विशेषज्ञ डॉक्टर ब्रहमदीप ¨सधू का कहना है कि यह ऐसी बीमारी है जो व्यक्ति को ठीक भी रखती है ओर बीमार भी। लेकिन अगर समय पर दवा व डॉक्टर की सलाह ली जाए, मरीज ठीक हो जाता है। डॉ. ¨सधू ने कहा कि मरीजों से बात करने से पता चलता है कि व असुरक्षा का शिकार हो जाता है और यहीं से बीमारी ज्यादा गंभीर हो जाती है। क्योंकि काम छोड़ने के साथ वह अपने को अकेला समझने लगता है। जो बीमारी को ओर गहरी बना देता है। --------- डर के कारण ना छोड़ काम::
जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: मिर्गी एक ऐसी बीमारी है जिसके बारे में मरीज को पता है कि वह मिर्गी का मरीज है लेकिन तेज असर कभी-कभी होता। मरीज को लगेगा कि वह ठीक हो चुका है लेकिन एकाएक मिर्गी के दौरे पड़ने लगते हैं। वरिष्ठ मनोरोग विशेषज्ञ डॉक्टर ब्रह्मदीप ¨सधू का कहना है कि यह ऐसी बीमारी है जो व्यक्ति को ठीक भी रखती है ओर बीमार भी। लेकिन अगर समय पर दवा व डॉक्टर की सलाह ले ली जाए तो मरीज ठीक हो जाता है।
डॉ. ¨सधू ने कहा कि मरीजों से बात करने से पता चलता है कि वह असुरक्षा के शिकार हैं, यहीं से बीमारी ज्यादा गंभीर हो जाती है। क्योंकि काम छोड़ने के साथ वह अपने को अकेला समझने लगता है। जो बीमारी को और गहरा बना देता है।
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डर के कारण ना छोड़ें काम:
मरीजों में डर रहता है कि कहीं और किसी भी समय मिर्गी का दौरा आ जाएगा। इसलिए वे काम पर नहीं जाते हैं। स्कूल -कॉलेज ऑफिस छोड़कर घर रहने लग जाते हैं जिससे तनाव बढ़ता है। तनाव बढ़ने के साथ मरीज और ज्यादा गंभीर बीमार हो जाता है। इसलिए मिर्गी का इलाज कराएं। इसका इलाज है और मरीज पूरी तरह से ठीक हो जाता है। मरीज को इस बीमारी को बुखार की तरह लेना चाहिए, कि जब तक जड़ से बीमारी नहीं जाए दवा लेते रहना है।
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मिर्गी होने कारण ::
.सिर पर किसी प्रकार का चोट लगने के कारण
.जन्म के समय मस्तिष्क में पूर्ण रूप से ऑक्सिजन का आवागमन न होने पर
. ब्रेन ट्यूमर
. दिमागी बुखार के इंफेक्शन से मस्तिष्क पर पड़ता है प्रभाव
. ब्रेन स्ट्रोक होने पर
. न्यूरोलॉजिकल डिजीज जैसे अल्जाइमर रोग
. जेनेटिक कंडिशन
. कार्बन मोनोऑक्साइड के विषाक्तता के कारण भी मिर्गी का रोग होता है
. ड्रग ज्यादा लेने पर
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लक्षण:::
. अचानक हाथ, पैर और चेहरे के मांसपेशियों में ¨खचाव उत्पन्न होने लगता है।
. सर और आंख की पुतलियों में लगातार मूवमेंट होने लगता है।
.मरीज या तो पूर्ण रूप से तो कभी आंशिक रूप से बेहोश होता है।
.पेट में गड़बड़ी।
. जीभ काटने और असंयम की प्रवृत्ति
. मिर्गी के दौरे के बाद मरीज उलझन में होता है, नींद से बोझिल और थका हुआ महसूस करता है।
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उपचार::
. खानपान- रिसर्च के अनुसार मिर्गी के रोगी को ज्यादा फैट वाला और कम कार्बोहाइड्रेट्स वाला खाना लेना चाहिए। इससे सीजर पड़ने के अंतराल में कमी आती है।
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कुछ रोकथाम के उपाय ::::
.डॉक्टर द्वारा दिए गए दवा का सही तरह सेवन करना
.पर्याप्त नींद और एक ही समय में सोने की आदत का पालन करना
.तनाव से दूर रहें
. संतुलित आहार लें
.नियमित रूप से चेक-अप करवाते रहें