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पहाड़, जंगल, जमीन, हवा और पानी को साफ रखने का संघर्ष

अपने शहर की आबो हवा शुद्ध रखने अरावली को बचाने और कचरे के पहाड़ से जमीन पानी और हवा को शुद्ध रखने के लिए लड़ाई लड़ रही है वैशाली राणा। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में शहर के लोगों के स्वच्छ पर्यावरण में जीने के अधिकार की लड़ाई में जुटी हैं। चाहे वह बंधवाड़ी में कचरे को जमींदोज करने के कारण प्रदूषित हो रहे भूजल के कारण वहां के लोगों के बीमार होने का मामला हो या फिर बरसाती नालों पर अतिक्रमण का या अरावली की हरियाली पर प्रहार हो।

By JagranEdited By: Published: Tue, 26 Nov 2019 07:52 PM (IST)Updated: Wed, 27 Nov 2019 06:18 AM (IST)
पहाड़, जंगल, जमीन, हवा और पानी को साफ रखने का संघर्ष

पूनम, गुरुग्राम

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अपने शहर की आबोहवा साफ रखने, अरावली को बचाने और कचरे के पहाड़ से जमीन, पानी और हवा को शुद्ध रखने के लिए लड़ाई लड़ रही हैं वैशाली राणा। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में शहर के लोगों के स्वच्छ पर्यावरण में जीने के अधिकार की लड़ाई में जुटी हैं। चाहे वह बंधवाड़ी में कचरे को जमींदोज करने के कारण प्रदूषित हो रहे भूजल के कारण वहां के लोगों के बीमार होने का मामला हो या फिर बरसाती नालों पर अतिक्रमण का या अरावली की हरियाली पर प्रहार हो। वैशाली राणा ने कई मुद्दों को लेकर न केवल शहर के लोगों को जगाया है बल्कि उनकी लड़ाई को अंजाम तक पहुंचाने की पुरजोर कोशिश की है।

बंधवाड़ी के आस-पास के गांवों में करीब 25 लाख टन कचरा डाला गया और वहां के लोगों का जीना मुहाल था। वैशाली ने लोगों की परेशानी में साथ दिया। अरावली को बचाने और मांगरबनी के जंगलों को लेकर संघर्ष करने वाले हरियाली जैसे संगठनों को भी वैशाली राणा ने सहयोग किया है। वे शहर के लोगों को शुद्ध हवा, वन संरक्षण और प्रदूषण के कई मामलों को एनजीटी में लेकर जा चुकी हैं। पेड़ों की कटाई रोकने के हर मुहिम में वैशाली आगे होती हैं।

वैशाली का विद्रोह केवल नारों और प्रदर्शन का नहीं होता बल्कि नियम कायदों के सशक्त पक्ष को साथ लेकर, वह प्रशासन को सहयोग के लिए विवश करने और फिर लोगों और प्रशासन को एक साथ लेकर चलने का रहा है। बादशाहपुर ड्रेन पर अतिक्रमण रोकने से हुई थी शुरुआत

वैशाली बताती हैं कि शहर में जब जलभराव होता है तो कोई भी इसके मूल कारण में नहीं जाता है। पुराने नाले जो प्राकृतिक ढलान पर बने थे, उन पर अतिक्रमण हो गया है। मैंने बादशाहपुर के 28 किलोमीटर के नाले का हम लोगों ने सर्वे किया। उस पर अतिक्रमण के कारण पानी की निकासी नहीं हो पा रही थी। सरकारी नियमों को ताक में रखकर उस पर अतिक्रमण कर लिया गया था। मैं ग्वाल पहाड़ी में रहती हूं। यहां पास में ही बंधवाड़ी में कचरा डाला जा रहा था। यहां के गांव के लोग बदबू और लीचेड से त्रस्त थे।

केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड की सर्वेक्षण टीम नीरी ने भी अपने रिपोर्ट में यहां आस-पास के पांच गांवों के भूजल को प्रदूषित पाया है। हम इस मामले को लेकर एनजीटी में गए हैं। अभी यह संघर्ष चल रहा है। मैंने अपना कोई एनजीओ नहीं बनाया विभिन्न सिटिजन ग्रुप और संगठनों को सहयोग कर रही हूं। अरावली में प्राकृतिक जल स्त्रोत बचाने में वन विभाग को सहयोग

अरावली के वनों को बचाने की मुहिम में तो वैशाली शामिल रही ही हैं। पेड़ों की अवैध कटाई की सूचना प्रशासन को देकर उसे रोकने के प्रयास किए हैं। गर्मी के मौसम अरावली में रहने वाले पशु पक्षियों को पानी की कमी होती है। वैशाली ने प्राकृतिक जल स्त्रोत के संरक्षण को लेकर वन विभाग के साथ मिलकर काम किया। अरावली में गर्मी में भी पानी को बचाए रखने के लिए जल स्त्रोत बनाने का काम हर साल गर्मी में हो रहा है। वे बताती कि नीलगायों और पक्षियों को इससे बचाया जा सकता है।अरावली में मलबा और कचरा डंपिग को लेकर वे समय-समय पर अथॉरिटी को रिपोर्ट करती रही है। हेरिटेज मैनेजमेंट की पढ़ाई को लोगों के संघर्ष के साथ जोड़ा

मूलत: हिमाचल प्रदेश की रहने वाली वैशाली राणा ने 15 साल तक एयर इंडिया में एयर होस्टेस की नौकरी की। इसके बाद उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से हेरिटेज मैनेजमेंट में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। हेरिटेज मैनेजमेंट की पढ़ाई के दौरान ही इन्हें अरावली की विरासत को बचाने के संघर्ष की प्रेरणा मिली और वे वन संरक्षण, पर्यावरण संरक्षण की मुहिम से जुड़ गई। पिछले पांच सालों से वैशाली शहर के इन मुद्दों पर संघर्ष कर रही हैं। वैशाली के प्रयासों का फल

- 28 किमी के बादशाहपुर नाला को सीमेंट से पक्का कर ढका जा रहा था। एनजीटी ने मई 2019 में उनकी शिकायत पर आदेश दिया कि बरसाती नाले को सीमेंट से पक्का कर उसे नहीं ढका जा सकता।

- बंधवाड़ी में 30 एकड़ लैंडफिल को हटवाने ओर उसे वन क्षेत्र घोषित किए जाने का प्रयास। उनकी कोशिशों के बाद केंद्र सरकार की एजेंसी नेशनल एन्वायरमेंट इंजीनियर रिसर्च इंस्टीट्यूट (नीरी) ने जून 2019 में पांच गांवों के पानी की जांच की और उसे प्रदूषित पाया। इस जगह की लड़ाई अभी जारी है।

- वर्ष 2017 में वैशाली द्वारा एनजीटी में शिकायत के बाद बादशाहपुर बरसाती नाले पर पर अतिक्रमण कर एक बिल्डर द्वारा बनाई जा रही मल्टी स्टोरी बिल्डिग का निर्माण रोका गया।


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