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ग्रीन कैटेगरी को कंसेंट की प्रक्रिया से किया जाए बाहर

हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एचएसपीसीबी) द्वारा उद्योगों को स्थापित और संचालित करने से संबंधित अपनी सहमति प्रक्रिया (कंसेंट प्रोसीजर) में जो संशोधन किया वह उद्योग जगत को परेशान करने लगा है। उनकी मांग है कि पहले की तरह से ही ग्रीन कटेगरी वाली माइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज (एमएसएमई) को इससे मुक्त रखा जाए। जल्द ही ऐसा नहीं किया गया तो इसका असर औद्योगिक विस्तार पर नकारात्मक रूप से पड़ेगा। इस मुद्दे को जल्द ही उद्यमी प्रदेश सरकार के समक्ष उठाने का मन बना रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Fri, 03 Aug 2018 07:14 PM (IST)Updated: Fri, 03 Aug 2018 07:14 PM (IST)
ग्रीन कैटेगरी को कंसेंट की प्रक्रिया से किया जाए बाहर
ग्रीन कैटेगरी को कंसेंट की प्रक्रिया से किया जाए बाहर

जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एचएसपीसीबी) द्वारा उद्योगों को स्थापित और संचालित करने से संबंधित अपनी सहमति प्रक्रिया (कंसेंट प्रोसीजर) में जो संशोधन किया वह उद्योग जगत को परेशान करने लगा है। उनकी मांग है कि पहले की तरह से ही ग्रीन कैटेगरी वाली माइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज (एमएसएमई) को इससे मुक्त रखा जाए। जल्द ही ऐसा नहीं किया गया तो इसका असर औद्योगिक विस्तार पर नकारात्मक रूप से पड़ेगा। इस मुद्दे को जल्द ही उद्यमी प्रदेश सरकार के समक्ष उठाने का मन बना रहे हैं।

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पहले एमएसएमई को इस प्रकार की सहमति लेने की प्रक्रिया से छूट दी गई थी। उद्यमियों का कहना है कि इस तरह का प्रावधान करना सरकार के ईज ऑफ डूइंग बिजनेस का विरोधाभासी है। इससे इंस्पेक्टर राज को बढ़ावा मिलेगा। वह औद्योगिक कामकाज में बांधा पहुंचाएंगे। गुरुग्राम में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों के संचालित करने वाले उद्यमियों का कहना है कि उन्हें सरकार की ओर से राहत और विशेष प्रोत्साहन की दरकार है न कि इस प्रकार के रोड़े की। उद्यमी दयानंद का कहना है कि प्रदेश सरकार को इस नए प्रावधान को खत्म करना चाहिए।

बता दें कि उद्योगों को रेड, ऑरेंज, ग्रीन और व्हाइट कैटेगरी में रखा गया है। रेड कैटेगरी में शामिल उद्योगों को पांच, ऑरेंज को 10, ग्रीन को 15 और व्हाइट को लाइफटाइम एक बार कंसेंट की जरूरत होती है। मगर अब ग्रीन कैटेगरी में शामिल एमएसएमई को भी इसके लिए सहमति प्राप्त करनी होगी। उद्योग विहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के महासचिव एपी जैन का कहना है कि इस निर्णय को उद्योगों के हित में वापस लिया जाना चाहिए।

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उद्योग जगत की मांग है कि प्रदेश सरकार कंसेंट प्रक्रिया में किया गया संशोधन वापस ले। ऐसा नहीं किया गया तो उद्योगों का मनोबल प्रभावित होगा। सभी काफी परेशान हैं। जल्द ही इस मामले को प्रदेश सरकार के समक्ष उठाया जाएगा।

एसके आहूजा, महासचिव गुड़गांव चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री


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