इंडस्ट्री का दर्जा मिले तभी रियल एस्टेट सेक्टर का होगा भला
आठ नवंबर 2016 वह दिन है जब केंद्र सरकार ने नोटबंदी का ऐलान किया था। उसी से दिन रियल एस्टेट में मंदी का दौर शुरू हुआ जो आज भी जारी है। ऐसे में नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के पहले आम बजट से इस क्षेत्र के लोगों को बड़ी उम्मीदें हैं। इस क्षेत्र की सबसे बड़ी मांग है कि इसे इंडस्ट्री का दर्जा दिया जाए।
यशलोक सिंह, गुरुग्राम:
आठ नवंबर, 2016 वह दिन है जब केंद्र सरकार ने नोटबंदी का ऐलान किया था। उसी से दिन रियल एस्टेट में मंदी का दौर शुरू हुआ जो आज भी जारी है। ऐसे में नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के पहले आम बजट से इस क्षेत्र के लोगों को बड़ी उम्मीदें हैं। इस क्षेत्र की सबसे बड़ी मांग है कि इसे इंडस्ट्री का दर्जा दिया जाए। ऐसा होने से इसे बैंकों से ऋण लेने में काफी आसानी हो जाएगी। वहीं प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत बजटीय आवंटन राशि को दुगना करने की भी मांग की जा रही है। ऐसा होगा तो ही वर्ष 2022 तक सभी के लिए घर का मिशन मजबूती से आगे बढ़ेगा।
रियल एस्टेट क्षेत्र लंबे समय से सिगल विडो की मांग कर रहा है। इसके अलावा गैर-बैंकिग वित्तीय कंपनियों और डेवलपर्स को फंडिग सुनिश्चित करने को लेकर कदम उठाने की भी मांग हो रही है। रियल एस्टेट कारोबार के जानकारों का कहना है कि परियोजनाओं को जल्द पूरा करने के लिए मार्केट में लिक्विडिटी का बढ़ना जरूरी है। सिगल विडों की व्यवस्था के अंतर्गत विभिन्न प्रकार के क्लीयरेंस को समयसीमा में बांधने की भी जरूरत है। जीएसटी में इनपुट टैक्स क्रेडिट बहाल किए जाने की भी मांग है। दरअसल इनपुट टैक्स क्रेडिट के बिना बिल्डर को अपने फायदे में काफी गिरावट देखने को मिल रही है। स्टांप शुल्क हटाए जाने की भी यह क्षेत्र उम्मीद कर रहा है।
रियल एस्टेट दिग्गजों द्वारा केंद्र सरकार से मांग की जा रही है कि बजट में होम लोन पर टैक्स छूट की सीमा को बढ़ाया जाए। देश के सकल घरेलू उत्पादन की बात की जाए तो रियल एस्टेट क्षेत्र का वर्ष 2017 में योगदान 6.7 फीसद था, जिसके 2025 में बढ़कर 13 फीसद होने का अनुमान है। बजट में स्टील, सीमेंट जैसी अन्य निर्माण सामग्री पर जीएसटी दर घटने की भी उम्मीद रियल एस्टेट क्षेत्र कर रहा है।
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रियल एस्टेट के भविष्य को लेकर आम बजट 2019-20 बड़ा ही महत्वपूर्ण है। उम्मीद की जा रही है कि प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए बजट में धन आवंटन की राशि को दोगुना किया जाएगा। ऐसा होगा तो अधिक से अधिक लोगों के घर का सपना साकार होगा। 2022 तक हाउसिग फॉर आल मिशन में भी यह सहायक होगा। केंद्रीय वित्त मंत्री को इनपुट टैक्स क्रेडिट पर भी ध्यान देना होगा क्योंकि इससे अफोर्डेबल हाउसिग पर सीधा असर पड़ता है।
प्रदीप अग्रवाल, चेयरमैन, सिग्नेचर ग्लोबल एवं नेशनल काउंसिल ऑन अफोर्डेबल हाउसिग, एसोचैम
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रियल एस्टेट को इंडस्ट्री का दर्जा मिले इसकी मांग पिछले कई वर्षों से की जा रही है। ऐसा होने से कब ब्याज दर पर इस क्षेत्र को ऋण मिल सकेगा। इसका अप्रत्यक्ष लाभ खरीदारों को भी मिलेगा। उम्मीद की जा रही है कि यह मांग इस बार के आम बजट में स्वीकार की जाएगी। जीएसटी इनपुट एडजस्टमेंट को लेकर और पारदर्शिता लायी जाएगी।
हरिदर सिंह होरा, एमडी, रीच ग्रुप
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आम बजट के जरिए रियल एस्टेट को प्रोत्साहन मिलना बहुत जरूरी है। इस सेक्टर में अभी तक जो स्लोडाउन बना हुआ है इससे उबरने को लेकर बजट में ठोस प्रावधान जरूरी है। सबसे पहले सरकार को अफोर्डेबल हाउसिग के लिए जमीन की उपलब्धता सुनिश्चित करनी होगी। इस क्षेत्र के लिए टाइम-बाउंड अप्रूवल सिस्टम होना जरूरी है।
रजत गोयल, ज्वाइंट मैनेजिग डायरेक्टर, एमआरजी वर्ल्ड