क्राइम फाइल: आदित्य राज
कुछ दिन पहले तक नाकों पर तैनात पुलिसकर्मी अधिकतर समय आराम की मुद्रा में दिखाई देते थे। अब सभी सक्रिय दिखाई देते हैं। उन्हें पता है कि अब बहाना नहीं चलेगा। लापरवाही पर कार्रवाई होगी।
खत्म हो गया आराम का दौर
कुछ दिन पहले तक नाकों पर तैनात पुलिसकर्मी अधिकतर समय आराम की मुद्रा में दिखाई देते थे। अब सभी सक्रिय दिखाई देते हैं। उन्हें पता है कि अब बहाना नहीं चलेगा। लापरवाही पर कार्रवाई होगी। दरअसल, पहले नाकों के लिए वाकी टाकी की सुविधा नहीं थी। अब पुलिस आयुक्त केके राव ने सभी नाकों के लिए सुविधा उपलब्ध करा दी है। यही नहीं थानों से लेकर पीसीआर को बेहतर वाकी टाकी की सुविधा उपलब्ध करा दी गई है ताकि वे यह न कह सकें कि नेटवर्क नहीं था। सुविधा उपलब्ध होने के बाद जहां नाकों पर तैनात कुछ पुलिसकर्मी मोबाइल पर लगे रहते हैं, वे भी अब सक्रिय हो गए हैं। वे वाकी टाकी पर आने वाले मैसेज को ध्यान से सुनते रहते हैं। जैसे ही मैसेज उनके इलाके से संबंधित होता है, वैसे ही वे अलर्ट हो जाते हैं। उन्हें पता है कि अब कितु परंतु का जमाना गया।
प्रयास से मिलती है सफलता
यदि प्रयास किया जाए तो सफलता तय है। यही नहीं प्रयास करने से ही पता चलता है कि आपके पास कितनी क्षमता है। पिछले सप्ताह शिवाजी नगर थाना इलाके में झपटमारी की एक के बाद एक तीन वारदात हुईं। वारदात को थाना प्रभारी प्रवीण कुमार ने चुनौती के रूप में लेते हुए क्राइम ब्रांच की टीमों की तरह ही बदमाशों की पहचान शुरू की। नतीजा तीन दिन के भीतर ही दो मामलों की गुत्थी सुलझ गई। पकड़े गए दो बदमाशों में से एक वह है, जिसने हरीश बेकरी में गोली चलाकर 50 लाख रुपये की फिरौती मांगी थी। कई चोरी के मामले भी सुलझ गए। इसे लेकर पूरे महकमे में खूब चर्चा हो रही है। उम्मीद बढ़ी है कि क्राइम ब्रांच की टीमों की तरह ही अब थानों के बीच अपने इलाके में सक्रिय बदमाशों को पकड़ने का कंप्टीशन शुरू होगा। यदि ऐसा हो गया फिर बदमाशों की खैर नहीं।
काश हर पुलिसवाले ऐसा होता
अगर आपका व्यवहार अच्छा है तो आपको प्रशंसा मिलने से कोई आपको रोक नहीं सकता। खासकर खाकी वाला व्यवहारकुशल हो तो फिर सामने वाला गद-गद हो जाता है। कुछ दिन पहले वरिष्ठ अधिवक्ता अरुण शर्मा सहित कई लोग पुलिस उपायुक्त (पश्चिम) दीपक सहारण से मिलने उनके कार्यालय पर पहुंचे थे। जैसा कि अक्सर पुलिस वाले पहले सवाल करते हैं क्या काम है बताओ। दीपक सहारण ने ऐसा नहीं किया। सबसे पहले सभी को कुर्सी पर बैठने को कहा। इसके बाद सभी से एक-एक करके संवाद करना शुरू किया। एक महिला ने पड़ोसी पर झूठा आरोप लगाने की बात कही। इस पर उन्होंने सीधे इलाके के सहायक पुलिस आयुक्त को फोन मिलाकर निर्देश दिया। जाते-जाते अधिकतर के मुंह से यही निकला, काश हर पुलिसवाला ऐसे ही होता। इसी लिए कहा जाता है कि भले सभी लोगों का काम नहीं कर सकते, लेकिन अपने व्यवहार से सभी को खुश कर सकते हैं। जिसका काम, उसी को इनाम
पिछले कुछ समय से थानों के प्रभारी हों या फिर क्राइम ब्रांच की टीमों के प्रभारी सभी अपने स्तर पर बेहतर करने का प्रयास कर रहे हैं। केवल टीम के भरोसे रहकर परिणाम की अपेक्षा नहीं रखते हैं। दरअसल, पुलिस आयुक्त केके राव ने स्पष्ट तौर पर कह दिया है कि जिसका काम उसी को इनाम, यानी जो काम करेगा उसी को इनाम दिया जाएगा। यदि किसी बदमाश को थाने में तैनात कांस्टेबल ने पकड़ा है तो कांस्टेबल को ही इनाम दिया जाएगा न कि थाने के प्रभारी को। पहले काम नीचे वाले करते थे और इनाम ऊपर वाले हासिल कर लेते थे। इससे जिसने काम किया है उसका नाम सामने नहीं आता था। नाम सामने नहीं आने से काम करने वाले का मनोबल जितना बढ़ना चाहिए, नहीं बढ़ता था। पुलिस आयुक्त का मानना है कि जिसने काम किया है उसे जब सम्मान देते हैं फिर दूसरे प्रेरित होते हैं।