ट्रैफिक नियम तोड़ने के मामले तो घटे, मगर हादसों में मौतें नहीं हुईं कम
सड़क सुरक्षा जीवन रक्षा इस पंक्ति को अभी भी लोग वाहन चलाते समय ध्यान में नहीं रखते हैं। उनकी लापरवाही या तो खुद के लिए या दूसरों के लिए जान पर भारी पड़ जाती है।
जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: 'सड़क सुरक्षा, जीवन रक्षा' इस पंक्ति को अभी भी लोग वाहन चलाते समय ध्यान में नहीं रखते हैं। उनकी लापरवाही या तो खुद के लिए या दूसरों के लिए जान पर भारी पड़ जाती है। जुर्माना बढ़ाए जाने के बाद गुरुग्राम में पिछले साल के मुकाबले ट्रैफिक नियम तोड़ने के मामले तो कम हुए, लेकिन हादसों में मरने वालों की संख्या कमी नहीं आई है, जिसकी सबसे बड़ी वजह चालकों की रांग साइड (गलत दिशा) में वाहन चलाने की आदत नहीं छूटना है। पुलिस ने सबसे अधिक चालान रांग साइड ड्राइविग के किए हैं। हादसों की एक बड़ी वजह यही है। वर्ष 2020 में अगस्त माह तक जहां हादसों में 227 लोगों की जान गई थी, वहीं इस साल 31 अगस्त तक 236 लोग अपनी जान गवां चुके हैं। ट्रैफिक नियम का अनुपालन नहीं किया
वर्ष 2020 - 2021 (एक जनवरी से 31 अगस्त तक )
रांग साइड ड्राइविग - 39,765 - 23027
रांग पार्किंग - 37,906 - 17464
बिना लाइसेंस- 5,057 - 1,878
अंडर एज - 165 - 33
बिना आरसी- 3,222 - 1,279
बिना इंश्योरेंस - 2,747 - 1,314
बिना परमिट- 895 - 105
तय लोड से अधिक भार- 489- 108
बिना हेल्मेट- 18,858- 14048
बाइक पर बिना हेल्मेट पीछे बैठी सवारी- 15603-10237
बिना सीट बेल्ट - 11997 - 4236
ट्रैक्टर- ट्राली - 32 - 24
शराब पीकर वाहन चलाते- 435 - 0
ओवर स्पीड - 466 - 492
रेड लाइट जंप - 1236 - 574
ब्लैक फिल्म - 854 - 71
मोबाइल पर बात करते -476 -153
बिना अनुमति सायरन लगा -- 98- 89
लाल बत्ती लगा कर चलने पर - 37 - 23
बिना अनुमति लेजर लाइट - 38- 31
धूमपान - 974- 368
यात्री वाहन से माल ढुलाई - 49 - 28
जब्त किए वाहन - 3218- 1798
आटो चालान - 12153- 3912
प्राइवेट बस - 1047 - 502
मैक्सी कैब - 7964 - 4383
अन्य वाहन - 71802 - 31087
टोटल चालान - 22,1084 - 11, 2894
सड़क हादसे में हुई मौत के आंकड़े
माह- 2020- 2021
जनवरी - 46 - 30
फरवरी - 38 - 30
मार्च - 34 - 41
अप्रैल 04 - 29
मई - 12 - 23
जून- 30 - 26
जुलाई - 37 - 32
अगस्त - 26 - 25
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कुल मौतें - 227 - 236
(दोनों साल के अगस्त माह तक आंकड़े)
सड़क हादसे रोकने के लिए समय-समय पर लोगों को जागरूक किया जाता है। लोगों की जागरूकता से ही हादसों में कमी आएगी। जब लोगों के अंदर यह भावना आ जाएगी कि उनका इंतजार उनका परिवार कर रहा है तो ट्रैफिक नियमों का पालन करने लगेंगे।
संजीव बल्हारा, एसीपी ट्रैफिक (मुख्यालय)