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गांव में नहीं जले चूल्हे, राजकीय सम्मान से हुआ अंतिम संस्कार

गुरुग्राम में हुए सड़क हादसे में मौत का शिकार हुए एसपीओ संजय की मौत समाचार से उनके पैतृक ग्राम शेरूपुर में शोक की लहर दौड़ गई है। किसी घर में चूल्हा नहीं जला। दोपहर बाद संजय का पार्थिव शरीर गांव में लाया गया तो गांव के लाल को देखने के लिए लोग एकत्र हो गए। संजय का अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ किया गया।

By JagranEdited By: Published: Mon, 17 Sep 2018 07:51 PM (IST)Updated: Mon, 17 Sep 2018 07:51 PM (IST)
गांव में नहीं जले चूल्हे, राजकीय सम्मान से हुआ अंतिम संस्कार

संवाद सहयोगी, पटौदी : गुरुग्राम में हुए सड़क हादसे में मौत का शिकार हुए एसपीओ संजय की मौत के समाचार से उनके पैतृक गांव शेरूपुर में शोक की लहर दौड़ गई है। किसी घर में चूल्हा नहीं जला। दोपहर बाद संजय का पार्थिव शरीर गांव में लाया गया तो गांव के लाल को देखने के लिए लोग एकत्र हो गए। संजय का अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ किया गया।

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सेना से सेवानिवृत्त होने के बाद संजय ने पुलिस में स्पेशल पुलिस ऑफिसर के रूप में जिम्मेदारी संभाली थी। उनका पार्थिव शरीर गांव में पहुंचा तो पत्नी सुनीता देखते ही बेहोश हो गई। करीब पंद्रह मिनट बाद होश आया तो वह यही रट लगाए थी कि भगवान ने एक अच्छे इंसान को नहीं रहने दिया। सुनीता ही नहीं गांव के हर व्यक्ति की आंखें नम थी। दरअसल संजय समाजसेवा भी करते थे। कोई भी उन्हें काम के लिए बोलता था तो मदद करने के लिए तैयार हो जाते थे। पूर्व फौजी के अंतिम संस्कार में जिला पार्षद दीप चंद, पंचायत समिति चेयरमैन राकेश यादव, ग्राम सरपंच जयबीर यादव, पटौदी के थाना प्रबंधक जयप्रकाश सहित क्षेत्र के कई लोग शामिल हुए।

संजय के दादा रघुबीर ¨सह पहले सुभाष चंद बोस की आजाद ¨हद फौज में रह चुके हैं। वे गांव के कई बार सरपंच भी रहे हैं। संजय के दो भतीजे भी सेना में हैं। संजय वर्ष 1997 में सेना के आर्मी सप्लाई कोर में भर्ती हुए थे। 30 सितंबर 2015 को सेना से सेवानिवृत होने के बाद वे पुलिस में भर्ती हो गए थे।

संजय के मित्र करतार ¨सह ने बताया कि संजय बहुत ही मिलनसार व शांत स्वभाव के व्यक्ति थे। परिवार से मिले संस्कारों के चलते उसमें देशभक्ति की भावना भी शुरू से ही भरी हुई थी। वह स्कूल में देशभक्ति के गीत सुनाया करते थे। साथ ही वह बास्केटबाल एवं हैंडबाल के खिलाड़ी भी थे। फौज में रहते हुए भी वह क्रास कंट्री खेला करते थे। अपने 19 वर्ष के सेवाकाल में वह 11 वर्ष कश्मीर में रहा। कारगिल युद्ध के दौरान भी लाइन ऑफ कंट्रोल पर तैनात थे। सरपंच जयबीर ने कहा कि संजय की मृत्यु से पूरा गांव आहत है। संजय के दो बच्चे हैं- बेटा अभिषेक नवीं कक्षा में बीएमबी डाडावास स्कूल में पढ़ता है जबकि बेटी मुस्कान गांव के ही स्कूल में छठी कक्षा में पढ़ती है।


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