रमजान मुबारक: खुद के भीतर झांकने का महीना है रमजान
रमजान का महीना खुद के भीतर झांकने का महीना है। दूसरों के दुख-दर्द को महसूस करने का महीना है। रोजा रखने के दौरान लोग दिन भर भूखे रहते हैं। पानी तक नहीं पीते।
रमजान का महीना खुद के भीतर झांकने का महीना है। दूसरों के दुख-दर्द को महसूस करने का महीना है। रोजा रखने के दौरान लोग दिन भर भूखे रहते हैं। पानी तक नहीं पीते। उस दौरान उन्हें गरीब की लाचारी का बेहतर तरीके से अहसास होता है। यही अहसास समाज के लिए बेहतर से बेहतर करने को प्रेरित करता है। समाज में यदि कोई भूखा है और आपको अच्छी नींद आ रही है, इसका मतलब है कि आपको दूसरे के दुख-दर्द का अहसास नहीं है। एक साल से पूरा देश ही बल्कि पूरी दुनिया कोरोना से परेशान है। इन हालात में हमें सरकार के दिशा-निर्देशों का पालन जरूर करना चाहिए। नमाज पढ़ने के दौरान बहुत ही सावधानी बरतने की जरूरत है। मैं रमजान के महीने के माध्यम से यही संदेश देना चाहता हूं कि हर व्यक्ति अपने लिए कुछ न कुछ करता है, यह बहुत बड़ी बात नहीं है। बड़ी बात तब है जब आप दूसरों के लिए कुछ करते हैं। समाज व राष्ट्र की मजबूती के लिए आवश्यक है कि हर व्यक्ति अपनी सामाजिक जिम्मेदारी निभाए। सिर्फ अपने व अपने परिवार के लिए नहीं सबके लिए जिए। जरूरतमंद की मदद करें, इससे बड़ा भलाई का काम कुछ नहीं हो सकता है। पिछले साल कोरोना संकट के दौरान जिस तरह से लोगों के हाथ जरूरतमंदों की तरफ मदद के लिए बढ़े, इसकी नजीर पूरी दुनिया में दी जा रही है। लोग सड़क पर कड़ी धूप में पैदल चल रहे लोगों की अपनी कूवत के हिसाब से मदद करते नजर आ रहे थे। ऐसे लोग फरिश्ते से कम नहीं होते हैं। कोई भी जरूरतमंद बुरे वक्त में मदद करने वालों को पूरी जिदगी नहीं भुला पाता है।
-जान मोहम्मद, इमाम, जामा मस्जिद, गुरुग्राम