कांट्रेक्ट फार्मिग से मशरूम की खेती कर बदली किस्मत
चार साल पहले गेहूं व सरसों की खेती छोड़ सोहना निवासी अनिल कुमार ने खेतों में मशरूम की खेती शुरू की उसके साथ ही शकरकंद भी उगानी शुरू कर दी। फसल तैयार करने पर बेचने के लिए अनिल को मंडी भी नहीं जाना पड़ा।
सतीश राघव, सोहना (गुरुग्राम)
चार साल पहले गेहूं व सरसों की खेती छोड़ सोहना निवासी अनिल कुमार ने खेतों में मशरूम की खेती शुरू की उसके साथ ही शकरकंद भी उगानी शुरू कर दी। फसल तैयार करने पर बेचने के लिए अनिल को मंडी भी नहीं जाना पड़ा। दिल्ली के दो होटलों में सब्जी पहुंचाने वाली कंपनी से उन्होंने अनुबंध कर लिया। केवल उन्हें होटल तक मशरूम व शकरकंद पहुंचानी पड़ी। दो साल से तो कंपनी के कर्मचारी खेत से ले जाते हैं। पहले दो एकड़ में मशरूम व शकरकंद पैदा की। अब सात एकड़ में पैदा कर रहे हैं। अत्याधुनिक खेती करने से अनिल आत्मनिर्भर बन गए। उन्हें हर साल चार से पांच लाख का मुनाफा हो रहा है।
पहले गेहूं व सरसों की खेती करते थे तो उन्हें कर्ज लेना पड़ता था, अब उनके खाते में कई लाख जमा रहते हैं। परिवार की गाड़ी भी ठीकठाक चल रही है। स्नातक तक पढ़ाई करने के बाद नौकरी नहीं मिलने पर खेती में लगे अनिल का कहना है कि पहले कभी पानी की किल्लत, प्रकृतिक आपदा में फसल का नुकसान तो कभी मिट्टी की उर्वरा शक्ति में कमी, जैसी परेशानी से परंपरागत खेती उनके लिए घाटे का सौदा बन चुकी थी। अब वह बेहतर तरीके से खेती कर रहे हैं।
अनिल कुमार फसल में गाय के गोबर की खाद का इस्तेमाल करते हैं। शकरकंद का उपयोग चाट बनाने में किया जाता है। मशरूम के उत्पादन के लिए भूसा, पालीबैग, कार्बेंडाजिम, फार्मेलिन और स्पान (बीज) की जरूरत होती है। भूसा तैयार करने के लिए वह एक एकड़ में गेहूं उगाते हैं। अन्य वस्तुएं खरीदने के लिए एक कंपनी से अनुबंध कर रखा है। अनिल कहते हैं कि तीन नए कृषि कानून किसानों के हित में हैं। इससे कांट्रेक्ट फार्मिंग को बढ़ावा मिलेगा तथा किसानों को अपनी उपज के लिए मंडी जाकर परेशान नहीं होना पड़ेगा।
अनिल कुमार बताते हैं कि हमारे पास एडवांस डिमांड रहती है। लोग खुंबी (मशरूम) वाले किसान के नाम से जानने लगे हैं। गुरुग्राम के होटलों से भी मशरूम की डिमांड आने लगी है। किसानों को कानूनों को लेकर भ्रम पालने की जरूरत नहीं है। केंद्र सरकार के सभी कानून किसानों के हित में बनाए हैं। कानूनों के लागू होने के बाद किसान अपनी कृषि उपज को विपणन समितियों (एपीएमसी) द्वारा अधिसूचित मंडियों से बाहर कहीं भी बेच सकेंगे।
दूसरे कानून के अनुसार किसान अनुबंध वाली खेती और अपने उपज की मार्केटिग कर सकते है। तीसरे कानून के अनुसार अनाज, दालों, आलू, प्याज खाद्य तेल के भंडारण-विपणन को असाधारण परिस्थितियों को छोड़कर नियंत्रणमुक्त कर दिया गया है। इससे किसानों को ज्यादा विकल्प मिलेंगे। कृषि उत्पादों की कीमत को लेकर प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी।