सत्संग: कलश यात्रा के साथ श्रीमद्भागवत कथा शुरू
बैंड बाजे और कलश यात्रा के साथ श्रद्धालु श्री सिद्धेश्वर मंदिर के गौशाला मैदान पहुंचे। बृहस्पतिवार को श्री मद् भागवत ट्रस्ट की ओर से गौशाला मैदान में श्रीमद् भागवत कथा की शुरुआत हुई। माथे पर कलश लिए ग्यारह सौ महिलाओें ने कलश को कथा स्थल पर स्थापित किया। धार्मिक टीवी चैनलों में लोक प्रिय पिछले तीन दशकों से भागवत कथा वाचक आचार्य मृदुल कृष्ण ने भागवत पूजा के बाद कथा की शुरुआत की। बारिश और ठंडे मौसम के बावजूद काफी संख्या में भक्त कथा का आनंद लेने पहुंच रहे हैं।
जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: बैंड बाजे और कलश यात्रा के साथ श्रद्धालु श्री सिद्धेश्वर मंदिर के गौशाला मैदान पहुंचे। बृहस्पतिवार को श्रीमद्भागवत ट्रस्ट की ओर से गौशाला मैदान में श्रीमद् भागवत कथा की शुरुआत हुई। सिर पर कलश लिए ग्यारह सौ महिलाओें ने कलश को कथा स्थल पर स्थापित किया। प्रसिद्ध कथावाचक आचार्य मृदुल कृष्ण ने भागवत पूजा के बाद कथा की शुरुआत की। बारिश और ठंडे मौसम के बावजूद काफी संख्या में भक्त कथा का आनंद लेने पहुंच रहे हैं।
आचार्य मृदुल कृष्ण ने पहले दिन की कथा में कहा कि श्रीमद्भागवत कथा मानवता की सेवा की शिक्षा देती है। भागवत महापुराण का प्रारंभ करते हुए उन्होंने बताया कि महात्म्य के प्रारंभ से ही श्री सूत महाराज ने श्री शुकदेव की वंदना करते हुए लिखा है कि शुकदेव जी ने जन्म लेते ही घर से वन की राह पकड़ ली थी और वन में जाकर भगवान की आराधना में लीन हो गए। ऐसी आराधना भगवान की कि भागवत और भगवान दोनों प्राप्त हो गए। कथा क्रम में अट्ठासी हजार शौनकादि ऋषि ने सूत जी से यह प्रार्थना की कि आप हमें ऐसी कथा सुनाओ कि मानव के हृदय के अंधकार को दूर करने में उसका तेज करोड़ों सूर्य के समान हो। सूत जी ने कहा कि इतने करोड़ों सूर्य के प्रकाश की आवश्यकता क्यों? शौनकादि ऋषि आपका प्रश्न संसार के कल्याण के लिए है। ऐसी कथा सुनाता हूं जिसमें मनुष्य की निवृति और परमात्मा में प्रवृति होगी। परमात्मा में प्रवृति ही मानव जीवन का लक्ष्य है।
कार्यक्रम के संयोजक सामाजिक कार्यकर्ता अर्जुन शर्मा ने बताया कि कथा के मुख्य यजमान विजय अरोड़ा और अनिल अरोड़ा हैं। कथा 20 फरवरी तक गौशाला मैदान में दोपहर तीन बजे से शाम सात बजे तक चलेगी।