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बैलेंस शीट: यशलोक सिंह

साइबर सिटी के उद्यमियों का कहना है कि सुना है कि प्रदेश सरकार चीन छोड़ रही विदेशी कंपनियों को प्रदेश में लाने की तैयारी कर रही है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 29 May 2020 06:11 PM (IST)Updated: Fri, 29 May 2020 06:11 PM (IST)
बैलेंस शीट: यशलोक सिंह
बैलेंस शीट: यशलोक सिंह

कामगारों को इसलिए पसंद है दिल्ली में रहना

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रोजाना यह सुनने को मिल रहा है कि दिल्ली सीमा पर भारी पुलिस सख्ती की वजह से हजारों कामगार उद्योग विहार इंडस्ट्रियल एरिया स्थित फैक्टरियों में काम पर नहीं पहुंच पा रहे हैं। ऐसी स्थिति में औद्योगिक इकाइयों में काम बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है। इन हालात में कुछ लोग यह सलाह दे रहे हैं कि कामगारों को गुरुग्राम में ही रहना चाहिए। वह अगर यहां होते तो इस तरह की परेशानी नहीं उठानी पड़ती। उद्योग विहार में काम करने वाले 80 फीसद से अधिक लोग दिल्ली के कापसहेड़ा, बिजवासन और समालखा क्षेत्र में रहते हैं। वहां रहना कामगार इसलिए पसंद करते हैं कि दिल्ली में उन्हें जो सुविधाएं मिल रही हैं वह गुरुग्राम क्षेत्र में नहीं मिलेंगी। उन्हें वहां सस्ते कमरे, सस्ती बिजली व सस्ता पानी मिलता है। साथ ही दिल्ली क्षेत्र में उनके बच्चों को अच्छी शिक्षा की भी सुविधा आसानी से प्राप्त हो जाती है। जल्द हो रोड की मरम्मत

साइबर सिटी के उद्यमियों का कहना है कि सुना है कि प्रदेश सरकार चीन छोड़ रही विदेशी कंपनियों को प्रदेश में लाने की तैयारी कर रही है। यह तो बड़ी अच्छी बात है। इसका स्वागत किया जाना चाहिए। हरियाणा में निवेश के इच्छुक अधिकतर निवेशकों की नजर में गुरुग्राम पर ही रहती है। ऐसे में प्रदेश सरकार को गुरुग्राम के औद्योगिक क्षेत्रों को इस प्रकार से चमकाना चाहिए जिससे कि निवेशक खिंचे चले आएं। इंडस्ट्रियल एरिया उद्योग विहार की सड़कों की हालत देखकर तो ऐसा कतई ऐसा नहीं लगता कि निवेशक इस क्षेत्र से प्रभावित होंगे। गुड़गांव उद्योग एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रवीण यादव बताते है कि यहां की आंतरिक सड़कों की मरम्मत एचएसआइआइडीसी को, शंकर चौक से डुंडाहेडा गांव तक व श्याम चौक से ज्वाला मिल तक की रोड का जीएमडीए को कराना है। रोड मरम्मत का यह काम जल्द से जल्द शुरू होना चाहिए, जिससे आवागमन बेहतर हो सके। दवा बन जाएगी तो फिर आ जाएंगे

गुरुग्राम से अपने-अपने गृह राज्य लौट रहे कई प्रवासी कामगारों का कहना है यह उनकी कर्मभूमि है यहां से वह इस तरह से जाना तो नहीं चाहते हैं मगर मजबूरी है। एक तरफ तो कोरोना वायरस का खतरा है और दूसरी ओर काम नहीं है। ऐसी हालत में यहां रहें भी तो किस तरह से रहें। सेक्टर-39 क्षेत्र में गोलगप्पे और चाट की रेहड़ी लगाने वाले उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले के मोहित राजभर का कहना है कि जब से लॉकडाउन हुआ है, तब से उनका काम बंद है। आगे भी लोग कोरोना संक्रमण के डर से चाट खाने तो कुछ माह तक नहीं ही आएंगे। यहां रह कर जो कुछ कमाया है, उसे गंवा देने और उसके बाद जाने के स्थान पर अभी चला जाना बेहतर है। जब कोरोना की दवा बन जाएगी तो फिर आ जाएंगे। संकट की इस घड़ी में यहां से निकल जाना ही ठीक है। डिमांड कम फिर भी पावर कट

गर्मी शुरू हुई नहीं कि बिजली की अघोषित कटौती शुरू हो जाती है। यह हर साल की कहानी है। गर्मी खत्म होते ही बिजली निगम के अधिकारी बड़े आत्मविश्वास के साथ दावा करते हैं कि आने वाली गर्मी में आमजन को दिक्कत नहीं होने दी जाएगी। पिछले कई सालों से यह जुमला सुनने को मिल रहा है। लोगों का कहना है कि बड़ा सवाल यह है कि गुरुग्राम के पावर इंफ्रास्ट्रक्चर को दुरुस्त क्यों नहीं किया जा रहा है। यह भी कहा जा रहा है कि बड़ी हैरानी की बात यह है कि होटल, रेस्टोरेंट, मॉल्स और इंडस्ट्री में इस समय बिजली की मांग काफी कम है। इसके बावजूद दिन व रात को रिहायशी क्षेत्रों में घंटों बिजली गुल रहती है। इस कारण लोगों के दिन का चैन और रातों की नींद खराब हो रही है। आखिर जब बिजली की डिमांड कम हो गई है तो अघोषित पावर कट क्यों?


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