बैलेंस शीट: यशलोक सिह
कोरोना वायरस के मद्देनजर जब से राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन लगा है तब से विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रों से न तो कूड़ा उठाया गया है और न ही यहां पर नियमित तौर से साफ-सफाई की जाती है।
औद्योगिक क्षेत्र में स्वच्छता जरूरी
कोरोना महामारी के मद्देनजर जब से राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन लगा है, तब से विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रों से न तो कूड़ा उठाया गया है और न ही यहां पर नियमित तौर से साफ-सफाई की जाती है। यह बात उद्यमियों को काफी नागवार गुजर रही है। उनका कहना है कि कोरोना को लेकर सरकार ने जो मानक तय किए गए हैं, उनका पालन करते हुए काम शुरू किया जा सकता है, मगर इसके लिए जिला प्रशासन से पहले अनुमति लेनी होगी। उद्यमी चाहते हैं कि औद्योगिक इकाइयों में काम शुरू होने से पहले इंडस्ट्रियल एरिया में साफ-सफाई की व्यवस्था दुरुस्त हो जाए। अभी इस मामले में स्थिति काफी दयनीय है। गुड़गांव उद्योग एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रवीण यादव का कहना है कि नगर निगम द्वारा कूड़ा उठाने के लिए लगाई एजेंसी इको ग्रीन की ओर से कूड़ा नहीं उठाया जा रहा है, जबकि सफाई के लिए पैसे हर माह उद्यमियों से लिए जाते हैं। मुख्यमंत्री के आश्वासन ने बंधा धीरज
उद्यमियों के लिए मुख्यमंत्री मनोहर लाल का यह अश्वासन किसी संजीवनी से कम नहीं है कि उन पर कोई एफआइआर नहीं होगी। बता दें कि केंद्रीय गृह मंत्रालय की गाइडलाइंस में यह क्लॉज है कि अगर किसी औद्योगिक इकाई के कर्मचारी को कोरोना संक्रमित पाया गया तो उसके संचालक पर कानूनी कार्रवाई होगी। इसी क्लॉज से उद्योग जगत में काफी खौफ का माहौल था। कई उद्यमी इसी डर से अपने उद्योग को चलाने की अनुमति के लिए आवेदन नहीं कर रहे थे। अब मुख्यमंत्री द्वारा स्थिति को पूरी तरह से स्पष्ट करने के बाद उद्यमियों का उत्साह बढ़ा है। अब अधिक से अधिक लोग हरियाणा सरल पोर्टल पर अनुमति के लिए आवेदन करने लगे हैं। उद्यमी हरीश शर्मा का कहना है कि एफआइआर की बात से बड़ी संख्या में उद्यमी अपनी इंडस्ट्री खोलने को तैयार नहीं थे। वह कह रहे थे कि लॉकडाउन के बाद ही इस पर विचार करेंगे। बढ़ाए जाएं काम के घंटे
वैश्विक महामारी कोविड-19 के मद्देनजर उद्योग जगत की हालत काफी खराब होती जा रही है। ऐसे में केंद्र और प्रदेश सरकार द्वारा उन्हें राहत देने के लिए कुछ विशेष कदम उठाए जा रहे हैं। गुरुग्राम के उद्यमियों द्वारा इंडस्ट्री को राहत देने के गुजरात और पंजाब मॉडल को हरियाणा में भी लागू करने की मांग की जाने लगी है। उनका कहना है कि बड़ी संख्या में औद्योगिक कर्मचारियों का पलायन हो चुका है। ऐसे में मैनपावर की कमी हो गई है। साथ ही शारीरिक दूरी के मद्देनजर उद्योगों को कम कर्मचारियों से ही काम चलाना होगा। ऐसे में सप्ताह में 48 के बजाय 72 घंटे कर्मचारियों से काम कराने की अनुमति सरकार द्वारा दी जाए। गुड़गांव चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष विकास जैन का कहना है कि अगर ऐसा होगा तो लॉकडाउन की अवधि में काम शुरू करने वाले उद्योगों को राहत मिलेगी। कर्मचारियों का भी भला होगा। श्रमिक-प्रबंधन टकराव की आशंका
वैश्विक महामारी कोरोना संकट की इस घड़ी में हर कोई परेशान है। चाहे वह उद्यमी, कर्मचारी या कारोबारी हो। सभी की अपनी-अपनी समस्याएं और चुनौतियां हैं। पिछले कुछ दिनों से उद्यमियों की तरफ से लगातार यह कहा जा रहा है कि वह अप्रैल का वेतन अपने कर्मचारियों को दे पाने में असमर्थ हैं। कुछ दिन पहले विभिन्न औद्योगिक एसोसिएशनों के प्रतिनिधियों ने संयुक्त रूप से जिला उपायुक्त अमित खत्री को अपनी इस मंशा से अवगत भी कराया था। इसी के बाद से गुरुग्राम के औद्योगिक कर्मचारियों के बीच हलचल काफी बढ़ गई है। मारुति मजदूर संघ के अध्यक्ष कुलदीप जांघू ने भी एलान कर दिया है कि यदि किसी भी औद्योगिक कर्मचारी का वेतन रोका गया या उन्हें निकाला गया तो इसका श्रमिक संगठनों द्वारा पुरजोर विरोध किया जाएगा। साथ ही बड़े आंदोलन की भी चेतावनी दी है। इससे श्रमिक और प्रबंधन के बीच बड़े टकराव की आशंका बन रही है।