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बैलेंस शीट: यशलोक सिंह

यदि प्रदेश सरकार निजी क्षेत्र की कंपनियों में स्थानीय लोगों के लिए आरक्षण की व्यवस्था करती है तो इसका दूरगामी नकारात्मक प्रभाव गुरुग्राम के आइटी-आइटीईएस हब पर पड़ेगा।

By JagranEdited By: Published: Fri, 07 Feb 2020 06:42 PM (IST)Updated: Fri, 07 Feb 2020 06:42 PM (IST)
बैलेंस शीट: यशलोक सिंह

यह हाल है बीएसएनएल का कभी देश पर एकछत्र राज रखने वाला बीएसएनएल लगता है कि अंतिम सांसें गिन रहा है। शहर के बीएसएनएल उपभोक्ताओं के छोटे-छोटे काम भी कई-कई दिनों तक लटके-अटके रहते हैं। सेक्टर-15 निवासी मनोज जैन बताते हैं कि उनका बीएसएनएल लैंडलाइन फोन पिछले 20 दिनों से डेड है। कुछ दिनों तक तो उन्होंने यह सोचकर इस पर ध्यान नहीं दिया कि कोई तकनीकी खामी होगी, जिसे जल्द ठीक करा दिया जाएगा। जब पांच दिन बीत गए तो उन्होंने सेक्टर-12 स्थित बीएसएनएल कार्यालय में इसे ठीक कराने को आवेदन दिया। 15 दिन बीत जाने के बाद भी समस्या का समाधान नहीं हो सका है। जब उन्होंने इस विषय में अधिकारियों से बात की तो उन्हें चौंकाने वाली बात पता चली कि बीएसएनएल के पास कर्मचारियों की भारी कमी है। इस कारण उनकी समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है। जब नए कर्मचारी रखे जाएंगे तक उनकी परेशानी का समाधान कराया जाएगा।

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..तो चली जाएंगी आइटी कंपनियां

आइटी-आइटीईएस क्षेत्र की प्रकृति बाकी उद्योगों से काफी अलग है। यहां विशेष योग्यता वालों को ही नौकरियां मिलती हैं। इन कंपनियों द्वारा उन्हीं लोगों को हायर किया जाता है जिनमें इस सेक्टर से संबंधित जरूरी योग्यताएं होती हैं। जमीनी स्तर पर देखा जाए तो ऐसे पेशेवरों की प्रदेश में उपलब्धता काफी कम है। अगर स्थानीय लोगों की भर्ती इन कंपनियों की जरूरी बना दी जाएगी तो इसका असर आइटी हब पर नकारात्मक पड़ेगा। गुरुग्राम स्थित आइटी कंपनियों के अधिकारियों का कहना है कि जब से उनके संज्ञान में आया है कि प्रदेश सरकार निजी क्षेत्र में स्थानीय लोगों के लिए आरक्षण की व्यवस्था करने की सोच रही तब से वह चितित हैं। यदि ऐसा हुआ तो आइटी-आइटीईएस कंपनियों को प्रदेश से पलायन करना पड़ जाएगा। नगारो के सीईओ मानस फुलोरिया का कहना है कि यदि ऐसा हुआ तो इसका आर्थिक तौर से सबसे अधिक नुकसान प्रदेश को ही उठाना होगा। अखर गया चेयरमैन साहब का मिजाज

गुरुग्राम के उद्यमियों को पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण एवं संरक्षण प्राधिकरण (ईपीसीए) के चेयरमैन डॉ. भूरे लाल का मिजाज कुछ रास नहीं आया। उद्यमियों ने कहा कि वह कोई ऐसे-वैसे लोग नहीं हैं, समाज में उनका भी सम्मानित स्थान है। गुड़गांव इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के अध्यक्ष जेएन मंगला ने कहा कि सिविल लाइन स्थित लोक निर्माण विश्राम गृह में ईपीसीए चेयरमैन ने उद्यमियों के साथ एक बैठक में जिस प्रकार से बात की वह किसी को पसंद नहीं आया। उन्होंने बताया कि जब उद्यमी अपनी बात कह रहे होते तो बीच में ही उन्हें चेयरमैन साहब रोक देते थे। इससे उद्यमियों को काफी निराशा हुई। जेएन मंगला ने कहा कि यही नहीं जब कुछ माह पहले जीआइए का एक प्रतिनिधिमंडल डीजल जनरेटर मामले में ईपीसीए चेयरमैन से उनके दिल्ली स्थित कार्यालय पर मिलने पहुंचा, तो वहां भी उन्होंने उद्यमियों से बैठने तक को नहीं कहा। जो उस समय भी काफी अखरा था। कोई हमें भी सस्ती बिजली देता

हरियाणा सरकार जल्द ही विधानसभा में बजट पेश करने वाली है। इसे लेकर उद्योग जगत में हलचल बढ़ गई है। उद्यमियों को इस बात का भरोसा है कि सरकार उद्यमियों की सुनते हुए बिजली की दरों में कटौती करेगी। उनका कहना है कि अन्य पड़ोसी राज्यों की तुलना में हरियाणा में उद्योगों को काफी महंगी बिजली मिल रही है। इस कारण प्रोडक्शन कॉस्ट दिनों दिन बढ़ती जा रही है। बजट के लिए प्रदेश सरकार ने उद्यमियों से जो सलाह ली है। उसमें भी बड़ी संख्या में औद्योगिक प्रतिनिधियों ने बिजली दर में कमी करने का सुझाव सरकार को दिया है। हरियाणा इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के चेयरमैन किशन कपूर का कहना है कि उद्योगों में इस समय सुस्ती का माहौल है। ऐसे में यदि बजट में सस्ती बिजली का प्रावधान उद्योगों के लिए हो तो इसका भविष्य में बड़ा लाभ उद्योग जगत को मिलेगा। खासकर एमएसएमई के लिए इससे बड़ी राहत होगी।


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