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राष्ट्रपति शासन के बाद कश्मीर में लगा आतंकवादियों पर अंकुश

राष्ट्रपति शासन के बाद से जम्मू एवं कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों पर काफी हद तक अंकुश लग गया है। कई इलाकों में गतिविधियां पूरी तरह खत्म दिखाई देने लगी हैं। सेना, अ‌र्द्घ सैनिक बल एवं स्थानीय पुलिस के बीच हर स्तर पर बेहतर तालमेल दिखाई दे रहा है। कुछ समय तक राज्य में राष्ट्रपति शासन रहना चाहिए।

By JagranEdited By: Published: Sat, 21 Jul 2018 06:16 PM (IST)Updated: Sat, 21 Jul 2018 06:16 PM (IST)
राष्ट्रपति शासन के बाद कश्मीर में लगा आतंकवादियों पर अंकुश
राष्ट्रपति शासन के बाद कश्मीर में लगा आतंकवादियों पर अंकुश

आदित्य राज, गुरुग्राम

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राष्ट्रपति शासन के बाद से जम्मू कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों पर काफी हद तक अंकुश लग गया है। कई इलाकों में गतिविधियां पूरी तरह खत्म दिखाई देने लगी हैं। सेना, अर्धसैनिक बल एवं स्थानीय पुलिस के बीच हर स्तर पर बेहतर तालमेल दिखाई दे रहा है। कुछ समय तक राज्य में राष्ट्रपति शासन रहना चाहिए।

ये बातें जम्मू-कश्मीर पुलिस में तैनात उप पुलिस अधीक्षक (डीएसपी) राकेश अकरम ने शनिवार को दैनिक जागरण से खास बातचीत में कहीं। वह गुरुग्राम में आयोजित स्टूडेंट पुलिस कैडेट के शुभारंभ समारोह में शरीक होने पहुंचे थे। उनके सुझाव पर कैडेट में आठवीं से दसवीं कक्षा के बच्चों को शामिल किया गया है। उन्हें आतंकवाद के खिलाफ काम करने के लिए दो बार राष्ट्रपति पुलिस पदक एवं एक बार शेरे कश्मीर पुलिस पदक से सम्मानित किया जा चुका है।

राकेश अकरम ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को जड़ से कुचलने के लिए कई स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं। राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद प्रयास काफी तेज हो चुके हैं। इसका असर हर तरफ दिखाई देने लगा है। फिर से बेहतर माहौल बनने लगा है। आम लोगों से लेकर बच्चों को आतंकवाद के खिलाफ जागरूक किया जा रहा है। अधिकतर लोग मजबूरी में आतंकवादियों को अपने घर में पनाह देते हैं। लोगों को या उनके बच्चों को मारने की धमकी दी जाती है। कुछेक लोग ही हैं जो उनका सही मायने में साथ देते हैं। ऐसे लोगों को ही जागरूक करने की आवश्यकता है या फिर उनके ऊपर लगातार नजर रखने की आवश्यकता है। आठवीं से दसवीं कक्षा के बच्चों को झांसे में लेना आसान

राकेश अकरम कहते हैं कि पुलिस सेवा में रहते हुए उन्होंने अनुभव किया है कि आठवीं कक्षा से लेकर दसवीं कक्षा के बच्चों को झांसे में लेना आसान होता है। जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी संगठन इन्हीं कक्षाओं के बच्चे को अपनी बातों के जाल में फंसाते हैं। एक बार जो बच्चा फंस गया, फिर उसे निकालना आसान नहीं होता है। उसे लगता है कि जो वह कर रहा है, वही उचित है। इसे ध्यान में रखकर ही उन्होंने स्टूडेंट पुलिस कैडेट के अंतर्गत आठवीं कक्षा से दसवीं कक्षा के बच्चों को जिम्मेदार नागरिक बनाने का सुझाव दिया था। बेहतर माहौल के लिए मील का पत्थर साबित होगा जागरूकता कार्यक्रम

स्टूडेंट पुलिस कैडेट के तहत आयोजित जागरूकता कार्यक्रम देश में बेहतर माहौल बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा। बच्चों को कानून व संविधान की जानकारी दी जाएगी। उन्हें बताया जाएगा कि एक जिम्मेदार नागरिक के नाते उनके क्या-क्या दायित्व हैं। प्रशिक्षित बच्चे अन्य बच्चों को प्रेरित करेंगे। देश को मजबूत बनाने के लिए बच्चों को जागरूक करना होगा।


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