न्यायालय परिसर के चैंबर में अधिवक्ता का शव मिला
जिला न्यायालय के परिसर स्थित अपने चैंबर में अधिवक्ता उमेश कुमार वर्मा ने बुधवार दोपहर जहरीला पदार्थ खाकर आत्महत्या कर ली।
जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: जिला न्यायालय परिसर स्थित चैंबर नंबर 256 में बुधवार दोपहर अधिवक्ता उमेश कुमार वर्मा का शव मिलने से सनसनी फैल गई। मौके पर जहरीले पदार्थ के साथ ही सुसाइड नोट मिला है। इससे ऐसा लगता है कि उन्होंने आत्महत्या की लेकिन काफी अधिवक्ताओं का कहना है कि मामला कुछ और हो सकता है। हो सकता है जबरदस्ती सुसाइड नोट लिखवाकर किसी ने जहर दे दिया। शिवाजी नगर थाना पुलिस के साथ ही क्राइम ब्रांच की टीम भी मामले की छानबीन में जुट गई है। पोस्टमार्टम बृहस्पतिवार को कराया जाएगा।
सुसाइड नोट के मुताबिक अधिवक्ता उमेश कुमार वर्मा ने 15 साल पहले सोहना निवासी एक व्यक्ति से रवि नगर में 200 गज का प्लॉट पांच लाख रुपये में खरीदा था। उसी के आधे भाग में घर बनाकर वह रह रहे थे। इलाके में रजिस्ट्री बंद होने की वजह से प्लॉट उनके नाम नहीं हो सका। अब 15 साल बाद प्लॉट की कीमत अधिक होने के बाद प्लॉट मालिक जमीन हड़पना चाहता था। तीन जून को सेक्टर-9 थाने में उनके खिलाफ प्लॉट पर कब्जा करने की शिकायत दर्ज करा दी थी।
उन्होंने सुसाइड नोट में लिखा है कि उनकी मौत के लिए उनके प्लॉट मालिक को जिम्मेदार माना जाए। जिला बार एसोसिएशन के पूर्व सचिव व वरिष्ठ अधिवक्ता हेमंत शर्मा का कहना है कि उमेश कुमार वर्मा एक सुलझे हुए अधिवक्ता थे। मामले की जांच से ही साफ होगा कि उन्होंने आत्महत्या की या फिर जबरन सुसाइड नोट लिखवाकर उन्हें जहर दे दिया गया। दो साल पहले भी प्लॉट मालिक ने उनपर हमला किया था। इसी महीने तीन जून को सेक्टर-9ए थाने में मामला दर्ज करा दिया गया। जांच अधिकारी भी उन्हें परेशान कर रहा था।
वरिष्ठ अधिवक्ता हरकेश शर्मा का कहना है कि मामले के पीछे कुछ न कुछ है। उमेश बहुत ही जिदादिल इंसान थे। उनके द्वारा आत्महत्या किए जाने की बात गले नहीं उतर रही है। इधर, जिला बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष कुलभूषण भारद्वाज का कहना है कि मामले की हर स्तर पर बारीकी से जांच के लिए वे लोग पुलिस आयुक्त मोहम्मद अकील से मुलाकात करेंगे। बताया जाता है कि एक पुलिस अधिकारी भी उमेश कुमार वर्मा को परेशान कर रहा था। इस बारे में सहायक पुलिस आयुक्त (क्राइम) प्रीतपाल का कहना है कि जल्द ही पूरी सच्चाई सामने लाई जाएगी।