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निलंबित जेल उपाधीक्षक को पुलिस लेगी रिमांड पर

न्यायिक हिरासत में भोंडसी जेल में बंद इसी जेल के उपाधीक्षक रहे धर्मवीर चौटाला की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 03 Aug 2020 07:48 PM (IST)Updated: Mon, 03 Aug 2020 07:48 PM (IST)
निलंबित जेल उपाधीक्षक को पुलिस लेगी रिमांड पर
निलंबित जेल उपाधीक्षक को पुलिस लेगी रिमांड पर

संवाद सहयोगी, बादशाहपुर : पहले गलती करने के बाद पुलिस को सुधार करने की सुध आई है। यही वजह है कि न्यायिक हिरासत में भोंडसी जेल में बंद इसी जेल के उपाधीक्षक रहे धर्मवीर चौटाला को पुलिस रिमांड पर लेकर पूछताछ करने की तैयारी की जा रही है। उच्च अधिकारियों का मानना है कि आरोपित से पूछताछ में भोंडसी जेल में मोबाइल तथा मादक पदार्थ पहुंचाने वाले कई चेहरे सामने आ सकते हैं। पुलिस रिमांड नहीं लेने पर भोंडसी थाना प्रभारी रहे इंस्पेक्टर भारतेंद्र को पहले ही लाइन हाजिर किया जा चुका है। पुलिस आयुक्त केके राव ने मामले की जांच भोंडसी थाना से हटाकर एसीपी (क्राइम) प्रीतपाल को दे दी है। वहीं इंस्पेक्टर नीरज को भोंडसी थाना प्रभारी की जिम्मेदारी दी गई है।

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बता दें कि क्राइम ब्रांच की टीम ने कई दिन मेहनत करने के बाद 23 जुलाई को भोंडसी जेल में तैनात रहे धर्मवीर के सरकारी आवास पर छापेमारी कर मोबाइल सिम व मादक पदार्थ बरामद किया था। क्राइम ब्रांच की शिकायत पर भोंडसी थाना पुलिस ने आरोपित धर्मवीर चौटाला के खिलाफ मामला दर्ज किया था। पुलिस ने उपाधीक्षक धर्मवीर चौटाला को अदालत में पेश कर दिया। अदालत ने उसे जेल भेजने का आदेश दिए थे। पुलिस के आला अधिकारी भोंडसी थाना पुलिस की इस कार्रवाई से संतुष्ट नहीं हुए। पुलिस अधिकारी उपाधीक्षक के गिरफ्त में आने के बाद जेल में चल रहे मोबाइल के खेल की तह में जाने की सोच रहे थे। इस मामले में गिरफ्तारी के बाद धर्मवीर से कई महत्वपूर्ण जानकारियां मिल सकती थी। गिरफ्तारी के दौरान हुई पूछताछ के बाद जेल से करीब बीस मोबाइल व कई सिम बरामद किए गए थे। रिमांड पर लेकर पूछताछ की जाती तो और रहस्य खुल सकते थे। धर्मवीर चौटाला केस की फाइल जांच के लिए मुझे सौंपी गई है। जेल में मादक पदार्थ व मोबाइल पहुंचाने के आरोप की गहनता से पूछताछ के लिए धर्मवीर चौटाला को रिमांड पर लिया जाएगा। इसके लिए अदालत में अर्जी लगाई जाएगी। न्यायिक हिरासत के चौदह दिन अंतराल में उसी मामले में रिमांड पर आरोपित को लिया जा सकता है। इसके लिए अदालत की मंजूरी जरूरी होती है।

- प्रीतपाल, एसीपी (क्राइम)


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