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प्रिस हत्याकांड : प्रदेश सरकार के फैसले को आज उच्च न्यायालय में दी जाएगी चुनौती

प्रिस हत्याकांड मामले में तथ्यों के साथ छेड़छाड़ के आरोपित पुलिस अधिकारियों तत्कालीन सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) बिरम सिंह भोंडसी थाने के तत्कालीन प्रभारी नरेंद्र खटाना सब-इंस्पेक्टर शमशेर सिंह एवं ईएएसआइ सुभाषचंद के खिलाफ मुकदमा चलाने की संस्तुति नहीं देने के प्रदेश सरकार के फैसले को आज पीड़ित पक्ष पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में चुनौती देगा।

By JagranEdited By: Published: Sun, 28 Feb 2021 09:29 PM (IST)Updated: Sun, 28 Feb 2021 09:29 PM (IST)
प्रिस हत्याकांड : प्रदेश सरकार के फैसले को आज उच्च न्यायालय में दी जाएगी चुनौती
प्रिस हत्याकांड : प्रदेश सरकार के फैसले को आज उच्च न्यायालय में दी जाएगी चुनौती

जागरण संवाददाता, गुरुग्राम : प्रिस हत्याकांड मामले में तथ्यों के साथ छेड़छाड़ के आरोपित पुलिस अधिकारियों तत्कालीन सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) बिरम सिंह, भोंडसी थाने के तत्कालीन प्रभारी नरेंद्र खटाना, सब-इंस्पेक्टर शमशेर सिंह एवं ईएएसआइ सुभाषचंद के खिलाफ मुकदमा चलाने की संस्तुति नहीं देने के प्रदेश सरकार के फैसले को आज पीड़ित पक्ष पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में चुनौती देगा। इसके लिए तैयारी रविवार को हर स्तर पर पूरी कर ली गई।

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उच्च न्यायालय में फैसले को चुनौती देने वाली अर्जी के साथ सीबीआइ द्वारा पेश चालान की कापी भी पेश की जाएगी।बता दें कि आठ सितंबर 2017 को सोहना रोड स्थित एक नामी स्कूल के बाथरूम में छात्र प्रिस (बाल सत्र न्यायालय द्वारा दिया गया नाम) की गला रेतकर हत्या कर दी गई थी। वारदात के कुछ ही देर बाद गुरुग्राम पुलिस ने स्कूल के एक बस सहायक को आरोपित के रूप में गिरफ्तार किया था। पीड़ित पक्ष की मांग पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने सीबीआइ जांच की सिफारिश कर दी थी। सीबीआइ द्वारा जांच शुरू करते ही पूरा मामला ही उलट गया था। सीबीआइ ने पुलिस की जांच को न केवल हर स्तर पर गलत ठहराया बल्कि आरोपित के रूप में स्कूल के ही छात्र भोलू (बाल सत्र न्यायालय द्वारा दिया गया नाम) की पहचान की। बाद में सीबीआइ की जांच रिपोर्ट के आधार पर गुरुग्राम जिला अदालत ने बस सहायक को आरोप मुक्त कर दिया था।

सीबीआइ ने तथ्यों के साथ छेड़छाड़ करने का आरोपित मानते हुए चार अधिकारियों के खिलाफ पंचकूला सीबीआइ अदालत में कुछ दिनों पहले चालान पेश कर दिया। आगे मुकदमा चलाने के लिए प्रदेश सरकार की संस्तुति आवश्यक थी लेकिन सरकार ने संस्तुति देने से मना कर दिया। पीड़ित पक्ष के अधिवक्ता सुशील टेकरीवाल का कहना है कि आरोपितों को सजा दिलाने के लिए हरसंभव प्रयास करेंगे। इसी दिशा में सोमवार को प्रदेश सरकार के फैसले के खिलाफ पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में अर्जी दाखिल की जाएगी।


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