..बहन को कहा था, रविवार को लिट्टंी चोखा खाने आउंगा
एक साथ पांच शव पोस्टमार्टम हाउस पर करीब दोपहर 12 बजे पहुंचे। नेपाली युवक को छोड़कर सभी के सगे-संबंधी पहुंच चुके थे। किसी का भाई पहुंचा था तो किसी का दोस्त।
सत्येंद्र सिंह, गुरुग्राम
एक साथ पांच शव पोस्टमार्टम हाउस पर करीब दोपहर 12 बजे पहुंचे। नेपाली युवक को छोड़कर सभी के सगे-संबंधी पहुंच चुके थे। किसी का भाई पहुंचा था तो किसी का दोस्त। हर किसी की आंख नम थी और भरे गले से आवाज नहीं निकल रही थी। एक दूसरे से पूछ भी रहे थे कि कैसे क्या हो गया? माहौल तब अधिक गमगीन हो गया जब हादसे में मारे गए बिहार के सहरसा जिले के टीरी गांव निवासी प्रिस चौधरी की बहन गुड़िया पोस्टमार्टम हाउस पहुंची। भाई का शव देख वह बिलख उठी। कहने लगी, हे भगवान पिता को पहले छीन लिया था। अब छोटे भाई को भी उठा लिया। गुड़िया को संभालने के लिए उनके पति शशिकांत आगे बढ़े पर पत्नी का चेहरा देख वह भी रोने लगा। प्रिस के दोस्त ने दोनों को संभाला। बहन से कहा था, लिट्टी चोखा बना कर रखना
सेक्टर 83 स्थित जेनिसिस अस्पताल में कार्यरत रहे प्रिस को अस्पताल प्रशासन ने अस्पताल परिसर में ही रहने के लिए कमरा देख रखा था। प्रिस की बहन गुड़िया मानेसर में रहती है। प्रिस अक्सर रविवार को बहन के घर जाता था। बृहस्पतिवार दोपहर प्रिस ने बहन को फोन कर कहा था कि रविवार को घर आएंगे, जिज्जी लिट्टी-चोखा बना कर रखना। भाई की इसी बात को बार-बार दोहरा कर गुड़िया कह रही थी, बड़ा इंतजार रहता था कि भाई आज आएगा। भगवान ने हमारी सारी खुशी छीन ली।
प्रिस के पिता का निधन कुछ साल पहले हो गया था। बड़े भाई दिलीप चौधरी खेती कराते हैं। घर की आर्थिक स्थित मजबूत करने के लिए प्रिस पांच साल पहले गुरुग्राम आकर नौकरी करनी शुरू कर दी। परिवार के लोग शादी करने का दबाव बना रहे थे तो यह कह कर प्रिस बना करते थे कि कुछ कमा लूं।
शव पैक करने के लिए तीन हजार
हर कोई गमगीन था। किसी का दोस्त नहीं रहा तो किसी का बेटा तथा भाई। मगर रिश्वत की खाने वालों को कुछ नहीं दिखाई दिया। पोस्टमार्टम हाउस में एक कर्मचारी ने शव को पैक करने के लिए सभी से तीन हजार की रकम मांगी। कइयों ने तो दे दी पर प्रिस के स्वजन ने वजह पूछी और वरिष्ठ कर्मी के आगे आपत्ति की तो ली गई रकम चुपचाप लौटा दी गई।
तीन से 13 मिनट में हुई मौत
साढ़राणा के पास हुए सड़क हादसे में मारे गए युवकों की मौत तीन से 13 मिनट के बीच हो गई। पोस्टमार्टम करने वाले फोरेंसिक एक्सपर्ट ने बताया सभी के सिर तथा सीने में चोट लगने से मौत हुई। नियाज तथा सागर के दोनों फेफड़े भी पिचक गए थे। कैंसर पीड़ित भाई का करा रहा था इलाज
हादसे में मारे गए गाजीपुर के कुसी गांव निवासी नियाज खान के चचेरे भाई ने बताया कि नियाज गुरुग्राम में दस साल से रह रहे थे। नियाज तीन भाई है। बड़े भाई को ब्लड कैंसर है, जबकि एक सऊदी अरब में काम करता है। नियाज बड़े भाई को गुरुग्राम में रखकर ब्लड कैंसर का इलाज करा रहे थे। नियाज 11 नवंबर को गांव में हुए एक शादी समारोह से लौटे थे। वह अस्पताल में हाउस कीपिग इंचार्ज के तौर पर काम कर रहे थे।