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शिपिंग कंटेनर के भाड़े में वृद्धि से आयात-निर्यात महंगा

यशलोक सिंह गुरुग्राम शिपिग कंटेनर के भाड़े में भारी वृद्धि से आयात और निर्यात काफी महं

By JagranEdited By: Published: Thu, 16 Sep 2021 06:22 PM (IST)Updated: Thu, 16 Sep 2021 06:22 PM (IST)
शिपिंग कंटेनर के भाड़े में वृद्धि से आयात-निर्यात महंगा

यशलोक सिंह, गुरुग्राम

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शिपिग कंटेनर के भाड़े में भारी वृद्धि से आयात और निर्यात काफी महंगा हो गया है। मार्च में चीन से आयात होने वाले प्रति कंटेनर उत्पाद का किराया 3,100 डालर था, जो अब बढ़कर करीब 8,000 डालर तक पहुंच गया है। इससे उद्योगों की लागत में भी अप्रत्याशित वृद्धि हो गई है। आयात और निर्यात से जुड़े स्थानीय उद्यमियों का कहना है कि यह उद्योग जगत के लिए बड़ा संकट है। इससे कब तक राहत मिलेगी, इसके बारे में अभी कुछ ठोस नहीं कहा जा सकता है। हालांकि, फेस्टिवल सीजन में आटो, अपैरल, टेक्सटाइल और इलेक्ट्रानिक्स सहित अन्य प्रकार के उत्पादों के दाम में 15 फीसद तक की वृद्धि हो सकती है। बता दें कि कच्चे माल के रेट में पहले से ही तेजी बनी हुई है।

औद्योगिक विशेषज्ञों का कहना है कि वैश्विक स्तर पर शिपिग कंटेनर की कमी हो गई है। इसका असर यह हुआ कि माल भाड़े में भारी वृद्धि हो गई है। कोविड-19 महामारी के कारण दुनिया के बंदरगाहों पर शिप से माल के उतरने में लंबा समय लग रहा है। वहीं कंटेनरों के खाली होने की गति भी धीमी हो गई है। जिस स्तर पर शिपिग कंटेनर की मांग है उसकी तुलना में आपूर्ति काफी कम है। वहीं तेल के रेट में तेजी आने से किसी भी देश से आयात-निर्यात का भाड़ा भी ऊंचे स्तर पर पहुंच गया है। आटो इंडस्ट्री से जुड़े उद्यमी दिनेश अग्रवाल का कहना है कि कंटेनर भाड़ा बढ़ने से प्लास्टिक व रबर से संबंधित कच्चे माल को मंगाने में जो खर्च बढ़ा है उसका असर फाइनल प्रोडक्ट की कीमत पर पड़ेगा।

कंटेनर के भाड़े में तेजी का असर आयातकों और निर्यातकों दोनों पर पड़ रहा है। यदि आयातक की बात की जाए तो भारत में सबसे अधिक कच्चे माल का आयात चीन से होता है। वहीं से इलेक्ट्रानिक्स, इलेक्ट्रिक, रबर, प्लास्टिक, आयरन सहित अन्य कई प्रकार के औद्योगिक कच्चा माल मंगाया जाता है। जो देश के विभिन्न बंदरगाहों के माध्यम से औद्योगिक इकाइयों तक पहुंचता है। औद्योगिक विशेषज्ञ विमल भटनागर का कहना है कि कंटेनर की कमी से खाद्यान्नों के आयात-निर्यात पर भी थोड़ा असर है। यदि बायर्स के साथ एग्रीमेंट में माल ढुलाई का भाड़ा दर्ज है तो इसका नुकसान बायर्स को होगा। यदि भाड़ा एग्रीमेंट से अलग है तो निर्यातकों की मार्जिन कम हो रही है।

विदेश से आर्डर में आएगी कमी : हरियाणा इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के चेयरमैन किशन कपूर का कहना है कि लागत बढ़ने से उत्पादों की कीमत बढ़ जाएगी जिससे विदेश से मिलने वाले आर्डर में कमी आएगी। इसका लाभ चीन, दक्षिण कोरिया, वियतनाम, फिलिपींस, सिगापुर और मलेशिया जैसे देश उठाएंगे। इनका कहना है कि सरकार को कंटेनर के बढ़ते रेट को देखते हुए उद्यमियों को आयात-निर्यात पर विशेष फ्रेट सब्सिडी देनी चाहिए। वर्जन

शिपिग कंटेनर की आपूर्ति में कमी व भाड़े में भारी तेजी से आयात-निर्यात उद्योग का खर्च बढ़ गया है। पेपर, रबर, मशीनरी और कार्बन जैसे औद्योगिक कच्चे माल का सबसे अधिक आयात चीन से हो रहा है। मार्च में स्वेज नहर में एवर गिवन नाम का मालवाहक शिप फंस गया था। इसी के बाद से कंटेनर सप्लाई चेन प्रभावित है। इसमें कोविड-19 महामारी की भी बड़ी भूमिका है।

-मनोज जैन, डायरेक्टर, सुप्रीम रबर


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