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डीजल के बढ़ते रेट से ट्रांसपोर्ट क्षेत्र की मुसीबत बढ़ी

साइबर सिटी के ट्रांसपोर्टरों का कहना है कि डीजल का भाव जिस गति से रोजाना बढ़ रहा है उससे उनका अपना व्यवसाय चलाना काफी मुश्किल हो गया है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 23 Feb 2021 06:13 PM (IST)Updated: Tue, 23 Feb 2021 06:13 PM (IST)
डीजल के बढ़ते रेट से ट्रांसपोर्ट क्षेत्र की मुसीबत बढ़ी
डीजल के बढ़ते रेट से ट्रांसपोर्ट क्षेत्र की मुसीबत बढ़ी

जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: साइबर सिटी के ट्रांसपोर्टरों का कहना है कि डीजल का भाव जिस गति से रोजाना बढ़ रहा है, उससे उनका अपना व्यवसाय चलाना काफी मुश्किल हो गया है। कंपनियों से लेकर कारोबारियों तक से माल भाड़ा बढ़ाने की मांग की गई है। किसी ने स्थिति को देखते हुए भाड़ा बढ़ाना स्वीकार कर लिया है तो कोई टालमटोल कर रहा है। ऐसी स्थिति में बिना भाड़ा बढ़ाए काम करना संभव नहीं है। इनकी मांग है कि इस दिशा में सरकार को सोचना होगा नहीं तो माल ढुलाई की गतिशीलता प्रभावित होगी ही साथ ही आमजन पर महंगाई की भारी मार पड़ेगी।

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ट्रांसपोर्ट कारोबार से जुड़े परमिदर का कहना है कि पहले कोरोना महामारी के कारण मुश्किलों के दौर से गुजरना पड़ा। इसके बाद केंद्रीय कृषि कानून विरोधी आंदोलन और अब डीजल के भाव में तेजी से ट्रांसपोर्ट क्षेत्र का संकट बढ़ गया है। गुरुग्राम में डीजल इस समय लगभग 82 रुपये प्रति लीटर के स्तर पर पहुंच गया है। इससे माल ढुलाई को बढ़ाने के अलावा ट्रांसपोर्टरों के पास कोई चारा नहीं बचा है। बुकिग के स्तर में कोरोना के बाद से ही कमी है। अब डीजल के भाव में वृद्धि से माल ढुलाई में आ रही वृद्धि का असर आमजन पर पड़ेगा। इससे माल ढुलाई की लागत में 20 से 22 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। डीजल के बढ़ते जा रहे भाव से ट्रांसपोर्टर काफी परेशान हैं। कंपनियों को माल ढुलाई भाड़ा बढ़ाने को कह दिया गया है। बिना भाड़ा बढ़ाए काम करना काफी मुश्किल है। सरकार को डीजल के मूल्य को नियंत्रित करना चाहिए।

एचएस शर्मा, अध्यक्ष, गुड़गांव ट्रांसपोर्ट वेलफेयर एसोसिएशन

कोरोना महामारी के साथ शुरू हुई ट्रांसपोर्ट कारोबारियों की समस्या का खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। कृषि कानून के विरोधी आंदोलन के बाद डीजल के भाव में तेजी से स्थिति और विकट हो गई है। माल भाड़ा बढ़ाने के लिए कंपनियां भी आसानी से तैयार नहीं हो रही हैं। समझ में नहीं आ रहा है कि क्या होने वाला है।

प्रदीप मोदी, ट्रांसपोर्टर


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