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दिन दहाड़े बदमाश गोलियां बरसा कर भाग गए बदमाश, दर्शक बने लोग

मंकी कैप पहनकर बदमाश मनीष को मारने आए थे या किसी और के धोखे में उन्हें मार गए? कहीं गाड़ी का मालिक तो उनके निशाने पर नहीं था? इन सभी सवालों का जवाब खोजने में पुलिस की छह टीमें लगी हुई हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 22 Feb 2021 08:58 PM (IST)Updated: Mon, 22 Feb 2021 08:58 PM (IST)
दिन दहाड़े बदमाश गोलियां बरसा कर भाग गए बदमाश, दर्शक बने लोग
दिन दहाड़े बदमाश गोलियां बरसा कर भाग गए बदमाश, दर्शक बने लोग

सत्येंद्र सिंह, गुरुग्राम

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मंकी कैप पहनकर बदमाश मनीष को मारने आए थे, या किसी और के धोखे में उन्हें मार गए? कहीं गाड़ी का मालिक तो उनके निशाने पर नहीं था? इन सभी सवालों का जवाब खोजने में पुलिस की छह टीमें लगी हुई हैं। क्योंकि मनीष को बदमाश उस वक्त भी मार सकते थे जब वह बाइक से फिरोज गांधी कालोनी निवासी अधिवक्ता शिवजीत सिंह के घर आ रहे थे। फिल्मी अंदाज में बदमाशों ने जिस तरह वारदात को अंजाम दिया उससे यह जरूर लोग कह रहे हैं कि वह पूरी तैयारी से आए थे। सामने से गोली चलाने के बाद दोनों बदमाशों ने एसयूवी की साइड में जाकर भी गोलियां चलाई। गोलियों की आवाज से इलाका गूंजा तो एकबारगी लोग अपने घर व दुकान से बाहर आ गए। बाहर का ²श्य देखते ही फौरन अंदर चले गए।

बदमाशों द्वारा जब कार पर गोलियां चलाई जा रही थीं तब अधिवक्ता शिवजीत सिंह की पत्नी रसोई में थीं। अपनी कार पर गोली चलाते दो युवकों को देखा तो अपने पति को आवाज लगाई, लेकिन गोलियों की आवाज के बीच अधिवक्ता ने पत्नी की आवाज को नहीं सुना। इस पर भागकर वह नीचे ग्राउंड फ्लोर पर आई और मुख्य दरवाजे के अपने घर के अंदर का दूसरा दरवाजा भी बंद कर दिया, जिससे हमलावर घर के अंदर न घुस सकें। अधिवक्ता अपने परिवार के साथ पहले फ्लोर पर रहते हैं। नकाबपोश बदमाशों ने जिस समय डेयरी संचालक मनीष पर फायरिग शुरू की, उसी समय एक महिला कार से कुछ दूरी पर गुजर रही थी। वह गोली से बाल-बाल बची। उसने भागकर खुद को बचाया।

गोलीबारी के बाद आसपास सन्नाटा छा गया। लोग दहशत में आ गए। कुछ बोलने के बजाय सिर्फ एक-दूसरे का मुंह ताकते रहे गए, जबकि बदमाश आराम से फरार हो गए। अगर लोग हिम्मत दिखाते तो बदमाशों को पकड़ सकते थे, लेकिन कोई आगे नहीं बढ़ा। वहीं घटना के बाद पहुंची पुलिस ने लोगों से वारदात के बारे में जानने की कोशिश, पर किसी ने पुलिस के सामने मुंह नहीं खोला। सभी पल्ला झाड़ते नजर आए। सीसीटीवी कैमरों में साफ दिख रहा है कि हत्या के दौरान लोग अपनी दुकानों के बाहर खड़े होकर देख रहे थे। वहीं अधिवक्ता के घर के नीचे की दुकानें वारदात के बाद बंद हो गई। पुलिस के मुताबिक अधिवक्ता का कुछ लोगों से वर्ष 2012 में विवाद हुआ था मगर उस मामले में समझौता हो गया। मनीष के स्वजन का रंजिश से इन्कार

मनीष तीन भाइयों में सबसे छोटे था। उसके पिता बुधराम डेयरी चलाते हैं। मनीष भी उनकी पूरी मदद करते थे। तीन साल से वह आटो भी चलवाने लगे थे। हत्या के बाद परिवार के लोग सकते में हैं। उनका यही कहना है कि मनीष की किसी से रंजिश नहीं थी। दो साल में दूसरी बार दहली फिरोज गांधी कालोनी

इस घटना ने फिरोज गांधी कालोनी में रहने वालों लोगों को 29 मई 2020 में दिनदहाड़े हुई वारदात की यादें ताजा कर दी। इसी कालोनी में बलदेव नगर कालोनी निवासी विकास टुरेजा पर तीन बाइक तथा स्कार्पियों में सवार युवकों ने घेर कर ताबड़तोड़ 36 गोलियां चलाई थीं। विकास क्रेटा कार में सवार होकर दिल्ली जा रहे थे। बीस से अधिक गोली लगने से विकास की मौके पर ही मौत हो गई थी। विकास गैंगस्टर बिदर गुर्जर का करीबी था। रोहतक जिला के कबूलपुर गांव निवासी नवीन सहित कई को आरोपित बनाया था। तीस जून को नवीन को गिरफ्तार किया गया था। उसने बदमाशों के लिए रेकी कर पिस्टल व रिवाल्वर उपलब्ध कराए थे। उसके बाद भी कई आरोपित पकड़े गए थे।


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