From Sinper Rifle to Air Missiles: साकार होने जा रहा है एपीजे अब्दुल कलाम का सपना : एके सिंह
एयर वाइस मार्शल (रिटा.) एके सिंह का कहना है कि रक्षा के क्षेत्र में मजबूती को लेकर केंद्र सरकार जाे भी निर्णय ले रही है वह बेहतर है।
गुरुग्राम [आदित्य राज]। एयर वाइस मार्शल (रिटा.) एके सिंह (Air Vice Marshal (Reta.) AK Singh ) का मानना है कि मिसाइलों से लेकर रडार तक का निर्माण होने से देश रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनेगा। विश्व शक्ति बनने के लिए आर्थिक एवं सामरिक दोनों दृष्टिकोण से हर स्तर पर मजबूती आवश्यक है। खुशी है कि केंद्र सरकार दोनों क्षेत्र के ऊपर एक साथ काम कर रही है। आवश्यकता है कि किसी भी क्षेत्र में अनुमति देने से लेकर काम शुरू होने तक के बीच के अंतराल को कम करने की। साथ ही जो भी काम शुरू किया जाए वह निर्धारित समय से पहले ही संपन्न हो न कि बार-बार समय सीमा का विस्तार किया जाए। अपने देश के भीतर कई बार किसी भी चीज के निर्माण में इतना समय लगा दिया जाता है कि निर्माण होने के बाद उस चीज की अहमियत अधिक नहीं रह जाती। इस विषय पर गंभीरता से ध्यान देना होगा अन्यथा देश के भीतर मिसाइलों से लेकर रडार तक के निर्माण का फैसला आत्मघाती साबित होगा।
वायु सेना में असिस्टेंट चीफ ऑफ एयर स्टाफ (वेपंस) की जिम्मेदारी संभाल चुके एयर वाइस मार्शल (रिटा.) एके सिंह ने दैनिक जागरण से बातचीत में कहा कि रक्षा के क्षेत्र में मजबूती को लेकर केंद्र सरकार जाे भी निर्णय ले रही है, वह बेहतर है। आगे समर्पित भाव से काम करने की आवश्यकता है। जब तक समर्पित भाव से काम नहीं किया जाएगा तब तक निर्णय बेहतर साबित नहीं हो सकते। किसी भी चीज को तैयार करने के लिए योजना एक ही बार में तैयार होनी चाहिए न कि बार-बार उसमें संशोधन किया जाए। बार-बार संशोधन किए जाने से योजना समय पर पूरी नहीं होती। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के पास काफी क्षमता है। आवश्यकता है संगठन की क्षमता का भरपूर उपयोग करने की। किसी भी हथियार के निर्माण को लेकर टाइम लाइन तय हो।
आवश्यकता अनुसार तैयार होंगे हथियार
देश के भीतर मिसाइलों से लेकर रडार तक के उत्पादन से लाभ यह होगा कि संबंधित छोटे-छोटे सामानों का भी उत्पादन अपने देश में ही होना शुरू हो जाएगा। निजी क्षेत्र की काफी कंपनियां आगे आएंगी। इससे जहां रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे वहीं युद्ध के समय आवश्यकता के मुताबिक तत्काल प्रभाव से हथियारों का उत्पादन किया जा सकेगा। मिसाइलमैन के नाम से प्रसिद्ध पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का सपना अब साकार होने जा रहा है। वह चाहते थे कि देश रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बने। बाहर से कुछ हथियार खरीदकर आप विश्व शक्ति नहीं बन सकते। विश्व शक्ति बनने के लिए आत्मनिर्भर बनना होगा।