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Lockdown: गुुरुग्राम में कंक्रीट के जंगल में भी सुनाई देने लगी पक्षियों की चहचहाहट, देखें तस्वीरें

Coronavirus Lockdownपक्षी अब खुली व स्वच्छ हवा में सांस ले रहे हैं। सुबह-सुबह पक्षियों की चहचहाहट से वातावरण गूंजने लगा है।

By Mangal YadavEdited By: Published: Tue, 07 Apr 2020 01:36 PM (IST)Updated: Tue, 07 Apr 2020 01:36 PM (IST)
Lockdown: गुुरुग्राम में कंक्रीट के जंगल में भी सुनाई देने लगी पक्षियों की चहचहाहट, देखें तस्वीरें
Lockdown: गुुरुग्राम में कंक्रीट के जंगल में भी सुनाई देने लगी पक्षियों की चहचहाहट, देखें तस्वीरें

गुरुग्राम [आदित्य राज]। कोरोना वायरस के खिलाफ देशभर में लागू किए गए लॉकडाउन से भले ही लोगों को परेशानी हो रही हो लेकिन इससे वातावरण काफी हद तक प्रदूषण मुक्त हो गया है। इसका सबसे बड़ा प्रमाण है कंक्रीट के जंगल में तब्दील होती जा रही साइबर सिटी में पक्षियों की चहचहाहट। सभी इलाकों में तरह-तरह के पक्षी दिखाई देने लगे हैं, जो वर्षो से नहीं दिखे।

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लॉकडाउन की वजह से आवश्यक सेवाओं से संबंधित प्रतिष्ठानों को छोड़कर अन्य सभी प्रतिष्ठान पूरी तरह बंद हैं, और इसके साथ-साथ सड़कों पर सिर्फ आवश्यक कार्यो से संबंधित वाहन ही चल रहे हैं। इस वजह से सभी सड़कों से लेकर पार्को एवं मैदानों तक में सन्नाटा पसरा हुआ है। इससे जहां वायु प्रदूषण का स्तर काफी कम हो गया है वहीं ध्वनि प्रदूषण भी न के बराबर है।

पक्षी अब खुली व स्वच्छ हवा में सांस ले रहे हैं। सुबह-सुबह पक्षियों की चहचहाहट से वातावरण गूंजने लगा है। सेक्टर-52 में तितली पार्क विकसित करने वाले उत्थान नामक संगठन के अध्यक्ष संजय कौशिक कहते हैं कि वर्षो से कई पक्षियों की आवाज शहर में नहीं सुनाई दे रही थी। अब गौरैया व बुलुबुल काफी संख्या में हर तरफ दिखाई दे रहे हैं।

गांव के भीतर पहुंच रही पक्षियों की आवाज

अरावली पहाड़ी क्षेत्र की गोद में बसे गांवों के लोग पक्षियों की चहचहाहट से आनंदित हैं। गांव मानेसर निवासी व पर्यावरण कार्यकर्ता प्रो. केके यादव कहते हैं कि 20 साल पहले जैसा माहौल लॉकडाउन के बाद से दिख रहा है। लॉकडाउन ने हर व्यक्ति को अहसास करा दिया है कि विकास की आंधी में यदि बहुत कुछ पाया है तो काफी कुछ खोया भी है।

मुख्य वन संरक्षक एमएम मलिक ने बताया कि वायु एवं ध्वनि दोनों प्रदूषण पक्षियों के लिए खतरनाक हैं। इस समय दोनों का स्तर काफी कम है। खासकर ध्वनि प्रदूषण न के बराबर है। यही वजह है कि पक्षियों की आवाज अब सुनाई देने लगी है।


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