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निगम की डायरी: संदीप रतन

इंदौर। लगातार तीसरी बार स्वच्छता रैंकिग में सरताज। इंदौर शहर पहुंचकर गुरुग्राम के पार्षदों और निगम अधिकारियों ने वहां की सफाई व्यवस्था को देखा।

By JagranEdited By: Published: Thu, 20 Feb 2020 12:15 PM (IST)Updated: Thu, 20 Feb 2020 12:15 PM (IST)
निगम की डायरी: संदीप रतन
निगम की डायरी: संदीप रतन

इंदौर तो इंदौर है..यहां ऐसा हो तो बात बने

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इंदौर। लगातार तीसरी बार स्वच्छता रैंकिग में सरताज। गुरुग्राम के पार्षदों और निगम अधिकारियों ने इंदौर शहर जाकर वहां की सफाई व्यवस्था को देखा। एक तो अपने यहां बंधवाड़ी में 30 लाख टन कूड़े का पहाड़ है, दूसरी ओर इंदौर में कूड़े के पहाड़ को पौधे लगाकर हरियाली में बदल दिया गया है। लैंडफिल साइट पर कूड़े का निपटान हो रहा है, साथ ही बढि़या कंपोस्ट भी तैयार हो रही है। इंदौर ऐसे ही एक दिन में नहीं बन गया देश का सबसे स्वच्छ शहर। वहां के पार्षदों, मेयर से लेकर अधिकारियों तक का योगदान है। गुरुग्राम में बदहाल सफाई व्यवस्था देखकर वहां की मेयर मालिनी लक्ष्मण गौड़ से जनवरी 2018 में एक इंटरव्यू के दौरान जब उनसे स्वच्छता में नंबर एक रहने का राज पूछा गया तो उनका जवाब था, 'स्वच्छता के लिए करोड़ों का बजट नहीं, बस एक संकल्प चाहिए।' इस संकल्प के नतीजे आप सबके सामने हैं।

यहां जुगाड़ चलता है

गुरुग्राम नगर निगम एक ऐसा महकमा है, जहां सिर्फ जुगाड़ चलता है। नगर निगम अधिकारियों को शहर में काम करवाने की चिता नहीं है। सपनों में चंडीगढ़ दिखता है। सब मुख्यालय में अपनी सेटिग के चक्कर में हैं। पता नहीं कब तबादला हो जाए, किसी घोटाले की जांच खुल जाए..काम तो आखिर में जुगाड़ ही आएगा। पिछले दिनों में हुए तबादलों की लिस्ट पर गौर फरमाइए। जिसका भी तबादला हुआ, किसी न किसी तरह से वापस आने की फिराक में रहता है। ताजा मामला निगम के एसडीओ दलीप का है। तीन जनवरी को एसडीओ का तबादला यहां से रानियां हुआ था। एक माह में ही मुख्यालय से तबादले के आदेश निरस्त करवा लिए। भाई! गजब है। अब बात करते हैं, इनकी ज्वाइनिग की। सुनने में आया है जनाब दोबारा एक्सईएन का चार्ज लेने के मूड में हैं, तो ये भी बता दें जुगाड़ होगा तो ये पद भी मिल जाएगा। जांच तो धरी रह ज्यागी, जब हो ज्यागा तबादला

नगर निगम में इन दिनों एक चर्चा हर कहीं सुनने को मिल जाएगी। चर्चा जनवरी में हुए ग्रीन बेल्ट घोटाले से जुड़ी है। इस मामले में सिर्फ एक जेई पर ही कार्रवाई हुई है। मामले से संबंधित एसडीओ पवन और एक्सईएन विवेक गिल की जांच रिपोर्ट पर निगमायुक्त की कलम नहीं चली है। हालांकि निगमायुक्त विनय प्रताप सिंह काफी सख्त नजर आ रहे हैं और दोनों को क्लीनचिट नहीं मिली है, लेकिन निगम के खबरी बता रहे हैं एसडीओ पवन अपना तबादला कहीं और करवाने का जोर लगा रहे हैं। खबरी भी यही चर्चा कर रहे हैं 'जांच तो धरी रह ज्यागी, जब हो ज्यागा तबादला।' नगर निगम विजिलेंस विग की घोटालों की जांच करने की रफ्तार ऐसी रही तो कुछ भी संभव है। इस विग को अभी तो घोटालों के दो-चार मामले ही जांच के लिए मिले हैं, हो सकता है आने वाले दिनों में काम और बढ़ जाए। टेंडर पर हुआ बवाल..

नगर निगम की कांट्रेक्टर यूनियन अधिकारियों के एक फैसले के विरोध में उतर आई है। निगम द्वारा बागवानी सहित अन्य कार्य पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिग कंपनी (पीएसयू) द्वारा कराए जाने हैं। इस टेंडर की शर्तें ऐसी हैं कि पीएसयू कंपनी ही पूरा कर सकती है। ऐसे में ठेकेदारों में बेरोजगार होने का डर बढ़ गया। टेंडर के विरोध में निगम की कांट्रेक्टर यूनियन ने सीवर व नालों की सफाई का काम बंद कर दिया है। ठेकेदारों की सभी सात सुपर सकर और पांच जेटिग मशीनें ठप पड़ी हैं। ठेकेदार इस टेंडर के खिलाफ पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट की शरण में भी पहुंचे थे। कांट्रेक्टर यूनियन के प्रधान अनिल दहिया का कहना है कि यह सब अधिकारियों की मिलीभगत से हो रहा है। ठेकेदारों पर की जा रही ज्यादती को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इसके लिए यूनियन धरने-प्रदर्शन के साथ-साथ नगर निगम में चल रहे काम भी बंद कर सकती है।


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