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माता-पिता के जीवन की सिलवटें मिटाना चाहते हैं ओमप्रकाश

सर्दी गर्मी धूप और बरसात माता-पिता को लगातार मेहनत करता देख ओमप्रकाश के मन में तकलीफ होती थी लेकिन वे कुछ कर नहीं सकते थे। ऐसे में कपड़ों की इस्तरी कर घर चलाने वाले पिता ने उन्हें समझाया कि जीवन का यह अंधियारा अच्छी शिक्षा से दूर हो सकता है। तभी से ओमप्रकाश ने ठान ली कि वे उनके जीवन की इन सिलवटों को दूर करेंगे और पढ़लिख कर उनकी जिदगी संवारेंगे। अपने लक्ष्य के एक पढ़ाव की सफलता उन्होंने बारहवीं कक्षा में कॉमर्स संकाय से 95.4 प्रतिशत अंक प्राप्त करके पार कर चुके हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 15 May 2019 08:18 PM (IST)Updated: Thu, 16 May 2019 08:21 AM (IST)
माता-पिता के जीवन की सिलवटें मिटाना चाहते हैं ओमप्रकाश
माता-पिता के जीवन की सिलवटें मिटाना चाहते हैं ओमप्रकाश

जागरण संवाददाता, गुरुग्राम:

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गणित : 98

अर्थशास्त्र : 97

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अंग्रेजी : 95

अकाउंटस : 91

सर्दी, गर्मी, धूप और बरसात में माता-पिता को लगातार मेहनत करता देख ओमप्रकाश के मन में तकलीफ होती थी, लेकिन वे कुछ कर नहीं सकते थे। ऐसे में कपड़ों की इस्तरी कर घर चलाने वाले पिता ने उन्हें समझाया कि जीवन का यह अंधियारा अच्छी शिक्षा से दूर हो सकता है। तभी से ओमप्रकाश ने ठान ली कि वे उनके जीवन की इन सिलवटों को दूर करेंगे और पढ़-लिखकर उनकी जिदगी संवारेंगे। अपने लक्ष्य के एक पड़ाव की सफलता उन्होंने बारहवीं कक्षा में कॉमर्स संकाय से 95.4 प्रतिशत अंक प्राप्त करके पार कर ली हैं।

हरियाणा शिक्षा बोर्ड के बारहवीं कक्षा के परिणामों में कॉमर्स संकाय में शहर के जीवन ज्योति स्कूल के ओमप्रकाश ने 95.4 अंक प्राप्त किए हैं। ओमप्रकाश अब दिल्ली यूनिवर्सिटी से बीकॉम ऑनर्स करना चाहते हैं। इसके आगे उनका लक्ष्य सीए बनने का है। ओमप्रकाश के माता-पिता का कहना है कि बच्चे की पढ़ाई के प्रति लगन को देखते हुए उन्होंने हर परिस्थिति में उसका सहयोग किया। पिता अमर सिंह और मां गीता कपड़े इस्तरी करने का काम करते हैं। पिता के मुताबिक उन्होंने आर्थिक तंगी का असर बच्चों पर कभी नहीं पड़ने दिया। ओमप्रकाश का छोटा भाई भी इसी स्कूल से आगे की पढ़ाई कर रहा है। जीवन ज्योति स्कूल के प्राचार्य नीरज जैन के मुताबिक ओमप्रकाश शुरुआती कक्षाओं से बेहतर परिणाम देते रहे हैं। केवल पढ़ाई ही नहीं, ओमप्रकाश खेलों में भी अव्वल हैं।

ओमप्रकाश का कहना है वि वे माता पिता की आर्थिक स्थिति और परेशानियों को बखूबी समझते हैं। उनके मुताबिक वे अक्सर उनकी मदद करते हैं। पिता के सपने को पूरा करने के लिए वे पूरी मेहनत कर रहे हैं। पिता अमर सिंह मौका न मिल पाने के कारण दसवीं कक्षा तक पढ़े हैं, लेकिन वे अपने बेटे को सर्वोच्च शिक्षा दिलवाना चाहते हैं। उनका कहना है कि वह जितना भी पढ़ना चाहता है, पढ़े, उसपर किसी तरह का कोई कामकाज का दबाव नहीं है। नियिमत पढ़ाई ने बनाया आ‌र्ट्स टॉपर

अंग्रेजी : 97

हिदी : 92

इतिहास : 95

राजनीति विज्ञान : 94

शारीरिक शिक्षा : 99

कला संकाय में रिठौज की छात्रा आकांक्षा ने 95.4 प्रतिशत करके बारहवीं कक्षा की परीक्षा में सफलता पायी है। आकांक्षा ने 500 में से 477 अंक हासिल किए हैं। आकांक्षा पांच घंटे की नियमित पढ़ाई को इस सफलता का कारण मानती हैं। उनका कहना है कि केवल परीक्षा के दिनों में पढ़ने से केवल दबाव बढ़ता है। उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता पिता व शिक्षकों को दिया। वे आगे की शिक्षा अपने गांव के डिग्री कॉलेज रिठौज से पूरी करेंगी। साथ ही वे सिविल सर्विसेज की तैयारी भी करना चाहती हैं। आकांक्षा के पिता भगवान चंद बाल भारती पब्लिक स्कूल सहजावास में शिक्षक हैं। माता-पिता बेटी की सफलता से बेहद खुश हैं और वे चाहते हैं कि वह जिस क्षेत्र में भी जाना चाहती है बिना किसी दबाव के जा सकती है।


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