सिर्फ कागजों में स्वच्छ शहर के दावे
हर माह लाखों रुपये सफाई के नाम पर खर्च होने के बावजूद शहर स्वच्छ नहीं हो पा रहा है। नगर निगम की ओर से सफाई के नाम पर बिल तो बना रहे हैं लेकिन सड़कों के किनारे और गलियों में लगे कूड़े के ढ़ेर निगम अधिकारियों की कार्यप्रणाली को उजागर कर रहे हैं। सड़कों से लेकर कॉलोनियों और सेक्टरों में लगे कूड़े के ढेर सफाई व्यवस्था की पोल खोल रहे हैं।
जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: हर माह लाखों रुपये सफाई के नाम पर खर्च होने के बावजूद शहर स्वच्छ नहीं हो पा रहा है। नगर निगम की ओर से सफाई के नाम पर बिल तो बना रहे हैं, लेकिन सड़कों के किनारे और गलियों में लगे कूड़े के ढेर निगम अधिकारियों की कार्यप्रणाली को उजागर कर रहे हैं। सड़कों से लेकर कॉलोनियों और सेक्टरों में लगे कूड़े के ढेर सफाई व्यवस्था की पोल खोल रहे हैं। खासतौर पर शहर के बीच में बसे गांवों की स्थिति और भी ज्यादा बदतर है। इन गांवों में नियमित सफाई की कमी होने के कारण आसपास के पॉश इलाके भी प्रभावित हो रहे हैं। पुराने शहर में डोर टू डोर कचरा उठाने की योजना पूरी तरह से कारगर साबित नहीं हो पा रही है।
सफाईकर्मियों की है पूरी फौज
शहर में निगम के ढाई हजार से ज्यादा सफाईकर्मी लगे हुए हैं। सफाईकर्मियों की कामचोरी को रोकने के लिए नगर निगम ने गत वर्ष बायोमीट्रिक हाजिरी लगाने की शुरुआत की थी लेकिन इसका कोई असर नजर नहीं आ रहा है। जिन इलाकों में अगर नियमित रूप से सफाई हो भी रही है, तो वहां पर कचरे को उठाने में लापरवाही की जा रही है।
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800 टन कूड़े का नहीं हो रहा है निपटान
गुरुग्राम से से करीब 800 टन कूड़ा रोजाना बंधवाड़ी प्लांट पहुंच रहा है। निस्तारण नहीं होने के कारण प्लांट में और कचरा डालने की जगह नहीं बची है। एनजीटी ने हाल ही में इसके लिए प्रदेश सरकार और नगर निगम अधिकारियों को फटकार भी लगाई थी। जगह-जगह कूड़े के ढेर
सदर बाजार, सब्जी मंडी ,गुरुद्वारा रोड, शांति नगर, शिवाजी नगर, भीमनगर, रेलवे रोड, गुड़गांव, शीतला माता रोड, न्यू कॉलोनी, दयानंद कॉलोनी, सेक्टर 12 रोड, सेक्टर 14 के नजदीक सहित शहर में काफी जगहों पर नियमित रूप से सफाई नहीं हो रही है। गंदगी फैलने के कारण नागरिक परेशान है।
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यह इंतजाम करने की जरूरत
-शहर में जगह-जगह डस्टबीन लगाए जाएं।
-कचरे के निस्तारण के लिए प्लांट को जल्दी तैयार करने की जरूरत।
-खुले में कचरा जलाने पर सख्त कार्रवाई की जाए।
-सेक्टरों, कॉलोनियों और गांवों में सफाई व्यवस्था में सुधार किया जाए।
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