आतिशबाजी से बढ़ जाता है वायू प्रदूषण का स्तर
जागरण संवाददाता, गुड़गांव : निर्धारित समय के दौरान ही आतिशबाजी हो, अधिक क्षमता के पटाखे लोग न छोड़ें,
जागरण संवाददाता, गुड़गांव : निर्धारित समय के दौरान ही आतिशबाजी हो, अधिक क्षमता के पटाखे लोग न छोड़ें, इस पर नजर रखने के लिए हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से स्थानीय अधिकारियों की जिम्मेदारी तय कर दी है। सभी अधिकारी अपने-अपने इलाकों पर नजर रखेंगे। हालांकि जिम्मेदारी हमेशा ही खानापूर्ति से अधिक नहीं दिखी है। अधिकांश अधिकारी दीपावली के दिन शहर से गायब रहते हैं। शाम से लेकर देर रात तक आज तक कोई भी अधिकारी फिल्ड में नहीं दिखा। इसका सबसे बड़ा प्रमाण है देर रात तक आतिशबाजी होना।
हर साल बोर्ड की ओर से अधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपी जाती है। इस बार भी रस्म अदायगी की गई है। बोर्ड की ओर से रस्म अदायगी के तौर पर मंगलवार को बच्चों की रैली निकाली गई। रैली को छोड़कर आतिशबाजी में कमी आए इसके लिए कभी भी बोर्ड द्वारा कार्यक्रम का आयोजन नहीं किया जाता है। यदि थोड़ी बहुत जागरुकता आई है तो वह स्कूलों के प्रयास से। हालांकि हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सहायक पर्यावरण अभियंता विजय चौधरी का दावा है कि बोर्ड के प्रयास का काफी असर दिखता है।
छह से दस गुणा बढ़ जाता है प्रदूषण
एक अध्ययन के मुताबिक दीपावली पर वायु प्रदूषण का स्तर 6 से 10 गुणा बढ़ जाता है। अस्थमा के रोगियों की संख्या बढ़ जाती है। ध्वनि प्रदूषण का स्तर भी खतरनाक स्तर को पार का जाता है। यही नहीं दीपावली के दिन की जानेवाली आतिशबाजी का असर कई दिनों तक रहता है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मानकों के अनुसार पटाखे छोड़ने के बिंदू से चार मीटर की दूरी पर ध्वनि का स्तर 125 डेसीवल से ज्यादा नहीं होना चाहिए। 125 डेसीवल से ज्यादा ध्वनि उत्पन्न करने वाले पटाखों के निर्माण, बिक्री व इस्तेमाल प्रतिबंधित है। इसके बाद भी कहीं कोई असर नहीं दिखता है।
इको फ्रेंडली तरीके से मनाएं दीपावली
''दीपावली को इको फ्रेंडली तरीके से मनाएं। आतिशबाजी की जगह केवल दीप जलाएं। आतिशबाजी से ध्वनि एवं वायू प्रदूषण के साथ ही जल प्रदूषण भी होता है। इससे कई प्रकार की परेशानियां पैदा होती हैं। दीपावली पर खुशियों का त्योहार है।''
- शेखर विद्यार्थी, जिला उपायुक्त, गुड़गांव।