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ट्रैक्टर अटैच करने में भी अनियमिताएं!

By Edited By: Published: Fri, 29 Aug 2014 07:50 PM (IST)Updated: Fri, 29 Aug 2014 07:50 PM (IST)

जागरण संवाददाता, गुड़गांव : नगर निगम की दो विंग सफाई एवं इंजीनियरिंग विंग में ट्रैक्टर अटैच करने के रेट अलग-अलग हैं। दोनों के रेट में जमीन-आसमान का अंतर है। साथ ही अटैच करने की प्रक्रिया पर भी लगातार सवाल उठते रहे हैं। ट्रैक्टर अटैच के लिए टेंडर प्रक्रिया नहीं अपनाने से कई सवाल पैदा हो रहे हैं। अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर अंगुली उठ रही हैं।

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हाल ही में सफाई विंग ने बिना टेंडर किए करीब डेढ़ दर्जन ट्रैक्टर साढ़े 24 हजार रुपए प्रति माह के हिसाब से अटैच किए। अधिकारी भले ही आचार संहिता का हवाला देकर टेंडर नहीं करने की बात कह रहे लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं है। एक अगस्त से ठेकेदारी प्रथा खत्म हो गई और सभी ठेकेदार को बाय-बाय बोल दिया गया। यदि निगम उसी समय टेंडर प्रक्रिया शुरू करता तो अभी तक वह सिरे चढ़ जाती। बावजूद निगम ने मेयर टीम के एक सदस्य के करीबी को बिना टेंडर के कोटेशन आधार पर उसके ट्रैक्टर अटैच कर उसकी बल्ले-बल्ले कर दी। दूसरी ओर इंजीनियरिंग विंग में पचास-साठ हजार रुपए प्रति माह के हिसाब से ट्रैक्टर अटैच किए जाते हैं। रेट में इतने अंतर से अनियमिताओं की बात इंकार नहीं किया जा सकता। हालांकि इसके लिए इंजीनियरों का कहना है कि पहाड़ी एरिये एवं अधिक कार्य के कारण अधिक रेट दिए गए हैं। इसको लेकर सवाल उठता है कि निगम ने वाहनों के अटैच करने के लिए एक ही नियम क्यों नहीं बनाया और टेंडर क्यों नहीं करते। विंग अधिकारी अपने हिसाब से अपने या नेताओं के नजदीकियों को फायदा पहुंचा रहे हैं। इसको लेकर मेयर टीम पर भी सवाल उठता है कि आखिरकार वह इस प्रकार की अनियमिताओं के बावजूद क्यों मौन है।

पार्षदों ने खोला मोर्चा

पार्षद सीमा पाहूजा का कहना है कि एक एजेंसी की दो विंग में वाहन अटैच करने के रेट में इतना अधिक अंतर साफ रूप से घोटाले की ओर इशारा करता है। पार्षद मोनिका यादव ने इस मामले की जांच दूसरी एजेंसी से कराने की बात कही है। साथ ही बिना टेंडर मात्र कोटेशन के आधार पर काम करने को उन्होंने सीधे-सीधे घोटाला बताया है। पार्षद सुनीता कटारिया का कहना है कि जब हमारी अगुवाई करने वाले इस प्रकार के कार्यो में लिप्त हैं, तो फिर अधिकारियों से क्या उम्मीद करें। बावजूद सदन में अवश्य यह मामला उठाएंगे।

टेंडर प्रक्रिया अनिवार्य करेंगे

''यह मामला उनके संज्ञान में नहीं है। यदि दो विंग में अलग-अलग रेट और उसमें भी जमीन-आसमान का अंतर है, तो कई सवाल पैदा होते हैं। टेंडर प्रक्रिया अपनाई जाए इसके लिए प्रयास किए जाएंगे। ताकि पारदर्शिता से काम हो और किसी पर अंगुली न उठे।''

-विमल यादव, मेयर

कार्य के हिसाब से तय होते हैं रेट

''ट्रैक्टर अटैच में टेंडर की क्या आवश्यकता। रही बात रेट में भिन्नता तो पहाड़ी एरिये में काम करने के रेट निश्चित रूप से अधिक होंगे। हालांकि सफाई विंग ने जिस प्रकार ट्रैक्टर अटैच किए उस पर अवश्य सवालिया निशान लग रहे हैं।''

-बलजीत सिंह सिंगरोहा, चीफ इंजीनियर

आचार संहिता के कारण नहीं किए टेंडर

''आचार संहिता लगने की संभावनाएं थी और इसी के चलते जल्दबाजी में कोटेशन के आधार पर ट्रैक्टर अटैच कर लिए गए। तीन माह बाद टेंडर प्रक्रिया अपनाएंगे।''

-नरेंद्र सिहाग, एसडीओ (सफाई)।


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